New Parliament Building: कपिल मिश्रा बोले- 'अब लग रहा ये छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप और मौर्य के वंशजों की संसद है'
New Parliament Building: बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने ट्वीट कर लिखा है कि धर्मदंड की स्थापना आजादी के बाद पहले संसद के पहले दिन होना चाहिए था.
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Delhi News: रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंत्रोच्चार के साथ नए संसद भवन का उद्घाटन करने के बाद से इस पर राजनीति चरम पर पहुंच गया है. इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को नहीं बुलाने से 21 विपक्षी दलों के नेता इतने नाराज हैं कि कोई पीएम की तुलना ताबूत से कर रहा है तो आप के एक नेता ने संविधान को दफन करने तक का आरोप पीएम पर लगा दिया है. आप के नेता ने इस घटना के बाद पीएम का नाम लिए बगैर उन्हें शहंशाह करार दिया है. इस बीच बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने विपक्षी दलों पर तंज कसते हुए कहा कि अब लग रहा है कि हां, भारतीय संसद छत्रपति शिवाली, महाराणा प्रताप, चंद्र गुप्त मौर्य के वंशजों की संसद है.
बीजेपी नेता अपने लैटेस्ट ट्वीट में लिखा है कि नए भारत भवन का अद्भुत दृश्य सबको आनंदित करने वाला है. यह काम स्वाधीनता मिलते ही होना चाहिए था. प्रथम संसद का प्रथम दिन मंत्रोच्चारों, शंख और घंटियों की गूंज के बीच धर्मदंड की स्थापना होनी चाहिए थी. कोई बात नहीं, जो पहले नहीं हुआ वो अब हो रहा है. धर्मदंड की स्थापना के बाद से लग रहा है कि ये छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप और चंद्र गुप्त मौर्य के वंशजों की संसद है. वीरों के स्वप्न को वास्तविकता में बदलने का ये पुण्य कार्य केवल @narendramodi जी के द्वारा ही संभव था, जिसे उन्होंने पूरा कर भी दिखाया. एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि हिंदू संस्कृति का जगत में आज फिर सम्मान हो। चिर पुरातन राष्ट्र का फिर से नया निर्माण हो. नई संसद में लगा अखंड भारत का मानचित्र. यह नया संकल्प, नए लक्ष्य और नया है हमारा संसद भवन.
ये है सौरभ भारद्वाज का बयान
वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन करने और सेंगोल को स्थापित करने के तत्काल बाद दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने उन पर तंज कसते हुए कहा कि संसद का मतलब है प्रजातांत्रिक मूल्य, संसद का मतलब है संविधान सर्वोपरि, संसद का मतलब है बोलने की आजादी और संसद का मतलब है सरकार की जवाबदेही. इसके उलट, उन्होंने कहा कि मुगल काल में एक शहंशाह ने ताजमहल में मुमताज को दफनाया था और पूरी दुनिया देखने आती है। आज एक शहंशाह ने संविधान भारतीय को दफना दिया है. इसे भी लोग देखने तो आएंगे ही.
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