Delhi News: दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को छह महीने का सेवा विस्तार दिए जाने के एक दिन बाद वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र का यह फैसला लोकसभा चुनाव 2024 से भी आगे बढ़ गया है. केंद्र सरकार दिल्ली में अधिकारियों की नियुक्ति केजरीवाल सरकार को असहज करने के लिए करना चाहती है.
कपिल सिब्बल ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा है कि दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने का सेवा विस्तार दिया. यह हमें 2024 के लोकसभा चुनावों से आगे ले जाता है. इससे आगे कपिल सिब्बल ने लिखा है कि केंद्र बस यही चाहता था. दिल्ली सरकार को आने वाले दिनों में असहज करने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति वो खुद करे.
गृह मंत्रालय के आदेश में क्या है?
दरअसल, कपिल सिब्बल की यह टिप्पणी गृह मंत्रालय द्वारा एजीएमयूटी कैडर के आईएएस अधिकारी और वर्तमान में दिल्ली के मुख्य सचिव के रूप में कार्यरत नरेश कुमार के लिए सेवा विस्तार को मंजूरी देने वाला एक आधिकारिक आदेश जारी करने के एक दिन बाद आई है. उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा है कि सक्षम प्राधिकारी ने विस्तार के लिए मंजूरी दे दी है. इससे कुमार को छह महीने की अतिरिक्त अवधि के लिए मुख्य सचिव के रूप में अपनी भूमिका जारी रखने की अनुमति मिल गई है. एमएचए के आदेश में कहा गया है कि अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु सह सेवानिवृत्ति लाभ) नियम 1953 के नियम 16(1) के अनुसार विस्तार 1 दिसंबर, 2023 से 31 मई 2024 तक प्रभावी रहेगा.
सेवा विस्तार कानूनी पहलुओं का उल्लंघन नहीं
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र के पास कुमार की सेवाओं को छह महीने की अवधि के लिए बढ़ाने की शक्ति है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि इस स्तर प निवर्तमान मुख्य सचिव की सेवाओं को छह महीने की अवधि के लिए बढ़ाने के केंद्र सरकार के फैसले को कानून या केंद्र और एनसीटी दिल्ली सरकार के बीच शक्तियों के संवैधानिक वितरण का उल्लंघन नहीं माना जा सकता है.
AAP सरकार ने दी थी ये दलील
दिल्ली सरकार द्वारा दायर याचिका में दलील दी गई थी कि मुख्य सचिव की नियुक्ति हमेशा 'विशेष रूप से' निर्वाचित सरकार ही करती है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने व्यवहार्य समाधान देने के लिए केंद्र सरकार से पांच वरिष्ठ नौकरशाहों की एक सूची देने को कहा था और दिल्ली सरकार केंद्र द्वारा सुझाए गए लोगों में से एक नाम चुन सकती है. इसमें कहा गया था कि ऐसा करने से केंद्र सरकार की चिंताएं पूरी होंगी. साथ ही राज्य की निर्वाचित शाखा के अधिकारी में कुछ हद तक विश्वास बढ़ेगा.