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Kapil Sibal Exclusive: एनकाउंटर और ED रेड के सवाल पर कपिल सिब्बल का जवाब- 'हर सरकार में गलत होता है'

Kapil Sibal on ABP: विपक्ष को एकत्रित करने के सवाल पर कपिल सिब्बल ने कहा कि, 'मैं चाहता हूं विपक्ष एक मंच पर आए. मैंने एक शुरुआत की थी. मैंने प्लेटफार्म लॉन्च किया था.'

Kapil Sibal Exclusive Interview: कपिल सिब्बल देश की राजनीति का जाना पहचाना नाम हैं. भले ही कपिल सिब्बल ने कांग्रेस पार्टी से किनारा कर लिया हो, लेकिन वह आज भी खुद को विचारधारा का रक्षक बताते हैं. एबीपी लाइव ने कपिल सिब्बल से कांग्रेस के हालात और भाजपा सरकार की कार्यप्रणाली पर विस्तृत बातचीत की. पढ़िए, कपिल सिब्बल से बातचीत के मुख्य अंश.

1. राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द हुई है. इस पर आप क्या कहेंगे?

जवाब- यह फैसला बिल्कुल गलत है. कानून के खिलाफ है. ऐसा लगता है कि कुछ लोग चाहते हैं कि इनकी सदस्यता जाए. उन्होंने वह हासिल कर लिया. हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट उन्हें राहत दे, यह मेरी कामना है. उन्हें राहत मिलनी चाहिए. स्पीच हुई कर्नाटक में और केस फाइल हुआ सूरत में. जो कह रहे हैं मानहानि की बात हुई, वह तीनों मोदी हैं. तीनों मोदी में से किसी ने याचिका दायर नहीं की. जिनकी मानहानि हुई, वह कोर्ट नहीं गए. जिसकी नहीं हुई, वह कोर्ट गया. वह कहता है कि मानहानि इनकी नहीं हुई. पूरे मोदी समाज की हुई. मोदी बैकवर्ड हैं, लेकिन मोदी बैकवर्ड है नहीं. कोर्ट को यह मालूम है कि जब तक दो साल की सजा नहीं दी जाएगी, तब तक सदस्यता नहीं जाएगी. यह सब दाल में काला लगता है.

2. जिस तरह राहुल गांधी का मकान खाली कराया गया. क्या आप उसे सही मानते हैं?

जवाब- सीधी बात यह है कि यह लोग राहुल गांधी को टारगेट कर रहे हैं. एक ही मानहानि का मुकदमा उनके खिलाफ नहीं है. उनके खिलाफ कई मुकदमे हैं. पटना में आज ही उन्हें राहत मिली है, मैंने अखबार में पढ़ा. कई ऐसे मुकदमे हैं. यह सरकार चाहती है कि कांग्रेस मुक्त नहीं, बल्कि विपक्ष मुक्त भारत हो. राहुल गांधी तो एक अलग टारगेट हैं. मुझे बताइए कि किसे टारगेट नहीं किया जा रहा है? भाजपा ने चुनी हुई सरकार गिरा दी मध्य प्रदेश में. शुरुआत उत्तराखंड से हुई थी. अरुणाचल प्रदेश में सरकार गिराई गई. सुप्रीम कोर्ट तक हमें जाना पड़ा. कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी में सरकार गिर गई और फिर महाराष्ट्र में भी सरकार गिराई. गोवा में कांग्रेस के पास बहुमत था, लेकिन फिर भी राज्यपाल ने किसी और को सरकार बनाने के लिए बुलाया. यह लोग हिंदुस्तान में भाजपा के अलावा कुछ नहीं देखना चाहते.

3. उड़ीसा में तो बीजू जनता दल की सरकार है. वहां तो भाजपा ने कोई छेड़छाड़ नहीं की?

जवाब- हां, तो यह आप उनसे पूछे. क्यों छेड़छाड़ नहीं की? आप भी जानते हैं कि बीजू जनता दल की सरकार से छेड़छाड़ क्यों नहीं की गई?

4. तमिलनाडु और केरल में भाजपा ने छेड़छाड़ क्यों नहीं की?

जवाब- वहां भाजपा का नामोनिशान ही नहीं है. वहां कैसे छेड़छाड़ की जा सकती है?

5. राजस्थान में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच आप ने ट्वीट किया था कि क्या कांग्रेस तब जागेगी जब अस्तबल से घोड़े निकल जाएंगे. क्या आपको लगता नहीं कि कांग्रेस सुस्त मूड में रहती है?

जवाब- अगर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की 50 से कम सीटें आई हैं, तो क्या यह बहुत बड़ी उपलब्धि है? कांग्रेस कमजोर हुई है. अब मैं कांग्रेस में नहीं हूं. अगर मैं कांग्रेस में होता, तो टिप्पणी कर सकता था. अब मैं कांग्रेस में नहीं हूं, तो मैं कोई टिप्पणी नहीं करता. क्योंकि यह उनका अपना अंदरूनी मामला है. राजस्थान की टिप्पणी के वक्त मैं कांग्रेस में था. आज मैं कांग्रेस में नहीं हूं. जिस परिवार का आज मैं नहीं हूं, मैं उस बारे में कोई टिप्पणी क्यों करूं? बिल्कुल नहीं करूंगा. मैं तो तानाशाही के खिलाफ हूं. मैं तो भाजपा के खिलाफ हूं. भाजपा की नीतियों के खिलाफ हूं.

6. आखिर बीजेपी ऐसा क्या कर रही है जिससे आपको यह तानाशाही लग रही है?

जवाब- (तंज करते हुए) भाजपा बहुत अच्छा काम कर रही है. आज मीडिया का मुंह बंद कर रही है. भाजपा का एजेंडा मैन स्ट्रीम मीडिया चला रहा है. यह बहुत अच्छा काम है. जहां-जहां कोई भी विपक्ष का नेता है, वहां ईडी भेज दी जाती है. यह बहुत अच्छा काम है. जहां लगता है कि इसे सीबीआई के फंदे में डालना है, वहां सीबीआई नोटिस भेज देती है. यह तो बड़ा अच्छा काम है. झारखंड में सरकार गिराने में लगे हैं. छत्तीसगढ़ में सरकार गिराने में लगे हैं. जहां-जहां सरकार गिरा रहे हैं, वह बड़ा अच्छा काम है. मीडिया के लिए भी नोटिफिकेशन जारी कर दी कि कौन-सा कंटेंट सोशल मीडिया में दिखाया जाएगा? यह तो बहुत अच्छा काम हो रहा है. एनकाउंटर बहुत अच्छा काम है.

7. आपने एनकाउंटर का जिक्र किया. उत्तर प्रदेश में हाल ही में अतीक अहमद के एनकाउंटर के मामले में वकील के तौर पर आप क्या कहेंगे?

जवाब- कोई भी आरोपी जब अगर कस्टडी में हो. पुलिस का मतलब क्या है? पुलिस का काम ही हिरासत में लिए गए आरोपी को सुरक्षा मुहैया करवाना है. रात को 10:30 बजे कौन सी मेडिकल इमरजेंसी थी? जो उसे अस्पताल ले जाना पड़ा. यह तो कोई नहीं पूछ रहा कि डॉक्टर क्यों जेल में नहीं गया? दोनों भाईयों को एक साथ इमरजेंसी कैसे पड़ गई? फिर जब पुलिस लेकर गई, तो बाकी लोगों को कैसे पता चला? जब मामला इतना सेंसिटिव हो. आरोपी सुप्रीम कोर्ट तक गया था कि मुझे जान का खतरा है. पुलिस को भी मालूम था. तब उसे रात के अंधेरे में क्यों लाया गया? ऐसे मामले में तो किसी को पता भी नहीं चलता कि कैसे अस्पताल पहुंचा? फिर उन्होंने अस्पताल के गेट पर उन्हें  दरवाजे से बहुत दूर उतारा. मीडिया भी वहीं था. तीनों वहां एक साथ कैसे पहुंच गए? फिर तीनों जय श्रीराम बोलते रहे. कोई भी गैंगस्टर हो, कुछ भी हो. जैसे कसाब. कसाब तो टेररिस्ट था. हमारे कई बेकसूर लोग मारे गए. उसका भी ट्रायल हुआ. उसे भी गोली मारी जा सकती थी, लेकिन उसका ट्रायल हुआ. उसके पास वकील नहीं था. सरकार ने उसे वकील दिया. अगर आप किसी के विरोध में हैं तो आप बयान देते हैं कि देखिए कितने लोग खुश हैं? लोग खुशी मना रहे हैं. लोकतंत्र में ऐसा नहीं होता.

8. लेकिन, ऐसा भी तो नहीं होता कि जब कसाब को फांसी दी गई तो लोग रात के अंधेरे में सुप्रीम कोर्ट चले गए.

जवाब- कुछ लोग गए होंगे. कोई वकील उस मामले में गया था. मैं तो आपको यह बता रहा हूं कि संविधान किस लिए बना है? कानून किस लिए बना है? अगर आप किसी मामले में फंस जाओ तो आपको कानून के मुताबिक सजा मिलनी चाहिए.

9. यह जो मामला हुआ, यह तो सजा नहीं. यह तो मर्डर है?

जवाब- पहले उसके बेटे का एनकाउंटर किया गया. अतीक को करने आए इन तीनों आरोपियों के ऊपर पुलिस ने गोली क्यों नहीं चलाई? अतीक और उसके भाई को हथकड़ी लगाई गई थी. जब आरोपी आए तो पुलिस ने पिस्टल क्यों नहीं निकाली? जब अपराधी पकड़े गए तो उन्हें कस्टडी में भेजा गया. क्या आपने कभी ऐसा सुना है? जिनके पास इतने महंगे हथियार हो, विदेशी हथियार हो, पहले तफ्तीश होनी चाहिए थी कि हथियार कहां से मिले?

10. दूसरा सवाल यह भी खड़ा होता है कि जब दिनदहाड़े बमबारी कर उमेश पाल की हत्या की गई?

जवाब- उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. ट्रायल होना चाहिए. उन्हें मौत की सजा दी जानी चाहिए.

11. उमेश पाल की हत्या के दौरान विपक्ष ने सवाल खड़े क्यों नहीं किए?

जवाब- विपक्ष की ओर से सवाल तब खड़े होंगे, जब बिना कानून के काम होगा. हम तो यह कहते हैं कि जो तीनों लोग पकड़े गए हैं, उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाए. अगर अतीक जिम्मेदार था तो उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए थी. हम इसके पक्ष में हैं.

12. एक तरफ विपक्षी एकता की बात हो रही है. दूसरी तरफ शरद पवार कहते हैं कि अडानी मामले में जेपीसी की जरूरत नहीं. इस पर आप क्या कहेंगे?

जवाब- इसके बाद तो उन्होंने दूसरा बयान भी दे दिया. उन्होंने कहा है कि अगर पूरा विपक्ष जेपीसी चाहता है तो जेपीसी गठित होनी चाहिए.

13. क्या आपको लगता है कि विपक्ष को एकत्रित करने के लिए नीतीश कुमार जो प्रयास कर रहे हैं, वह सफल होंगे?

जवाब- कौन विपक्ष की एकता का कन्वीनर बने, यह मैं नहीं कह सकता. यह तो विपक्ष को ही तय करना है. सभी राजनीतिक दलों को यह तय करना है कि कैसे आगे बढ़ा जाए? मैं तो केवल एक साधन बन सकता हूं.

14. आप कैसे साधन बनेंगे? क्या कोई फार्मूला है?

जवाब- मैं चाहता हूं विपक्ष एक मंच पर आए. मैंने एक शुरुआत की थी. मैंने प्लेटफार्म लॉन्च किया था insafkesipahi.co.in. उसका क्या मतलब है? हर पॉलिटिकल पार्टी के खिलाफ अन्याय हो रहा है. कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सब जगह जाकर कहते हैं कि हम डबल इंजन सरकार चाहते हैं. जिस तरह ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग हो रहा है, यह डबल बैरल सरकार है.

15. हाल ही में दिल्ली सरकार में मंत्री मनीष सिसोदिया को जेल भेजा गया. इस पर कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि जो हो रहा है ठीक हो रहा है?

जवाब- हाल ही में खरगे साहब ने कहा है कि जो हो रहा है, गलत हो रहा है. बेल न देने का क्या मतलब है? सुनवाई ही नहीं हो रही. आज ही सुप्रीम कोर्ट ने ऑर्डर किया है कि कम से कम उसे सुनो तो सही. एक आदमी पर चार्जशीट फाइल हो गई तो आप उसे अंदर ही रखोगे? इसलिए ऐसा हो रहा है ताकि सरकार ही चल न सके. आपने सरकार के दोनों प्रमुख मंत्रियों को अंदर रखा है और कोई इन्वेस्टिगेशन होना नहीं है. अब आप उन्हें और कितने दिन अंदर रख सकोगे?

16. आम आदमी पार्टी कांग्रेस और भ्रष्टाचार के खिलाफ माहौल बनाकर सत्ता में आई थी और अब खुद ही भ्रष्टाचार में फंस रही है?

जवाब- यह तो सिर्फ आरोप है.

17. कांग्रेस पर भी तो आम आदमी पार्टी ने आरोप ही लगाए थे.

जवाब- वह भी सरासर गलत था. तब जन लोकपाल बिल की बात कही जाती थी, आज जन लोकपाल का क्या हुआ? यह राजनीतिक खोखलापन है. आपने अपने स्वार्थ के लिए आरोप लगाना शुरू कर दिए. आम आदमी पार्टी भी आरोप लगा रही थी. आज भाजपा भी वही काम कर रही है. फिर आम आदमी पार्टी की वाह वाह क्यों की जा रही है? भ्रष्टाचार तो तब माना जाता है, जब कोर्ट में साबित हो जाए.

18. शीला दीक्षित सरकार के खिलाफ जो आरोप लगाए गए थे, क्या उनमें कोई आरोप सिद्ध हो सका?

जवाब- आज तक कौन सा आरोप साबित हुआ है? टेलीकॉम घोटाले की बात कही जा रही थी, जिसके खिलाफ बहुत रोष था. क्या वह साबित हो सका? इस देश में लोकतंत्र की बुनियाद आज बदल चुकी है. जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है.

19. जांच एजेंसियों को लेकर तो सुप्रीम कोर्ट ने यूपीए सरकार के कार्यकाल में भी टिप्पणी की थी. क्या तब वह सही था?

जवाब- क्या अगर उस समय कुछ गलत हुआ था तो आज भी वह होना चाहिए. यह कैसा तर्क है? पहले और अब को बात छोड़ दो. क्या पहले कभी ऐसे एनकाउंटर होते थे? क्या कभी पहले ऐसे ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग किया जाता था? साल 2017 से लेकर अब तक करीब 125 लोगों की जांच हो रही है. इसमें 118 लोग विपक्ष के हैं. आपको दुनिया भर में ऐसा कोई शासन नहीं मिलेगा, जहां गलत काम न हुए हो. चाहे अमेरिका हो या फिर यूरोप. हमारी सरकार हद से पार हो चुकी है. प्रदेशों के राज्यपाल कहते हैं कि पहले मैं आरएसएस का हूं. उसके बाद गवर्नर हूं.

20. आपने राज्यपाल की बात की पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने पुलवामा मामले को लेकर बयान दिया. क्या आप इस पर कुछ कहना चाहेंगे?

जवाब- सत्यपाल मलिक ने जो सवाल रखे हैं, उसका जवाब सरकार को देना चाहिए. गृहमंत्री ने हाल ही में कहा कि जब वे राज्यपाल थे, तब उन्होंने कुछ क्यों नहीं कहा? उसका भी जवाब सत्यपाल मलिक ने दिया कि उन्होंने उस वक्त भी बात करने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें चुप रहने के लिए कहा गया. मैं उसमें पड़ना नहीं चाहता. देश के सामने जब इतनी बड़ी बात आती है तो किसी ना किसी को तो जवाब देना ही चाहिए.

21. विपक्ष इस पर एकजुट होकर मांग क्यों नहीं करता?

जवाब- विपक्ष एक साथ बोल रहा है, लेकिन सरकार खुद ही सदन नहीं चलने देती. यह भी एक नई चीज है. सत्ता पक्ष के लोग खुद चाहते हैं कि पार्लियामेंट न चले. दो मिनट में स्पीकर साहब सदन को स्थगित कर देते हैं. यह भी नई बात है. क्या कभी पहले ऐसा हुआ है कि फाइनेंस एक्ट में ऐसा कानून पारित करवाया गया, जिसका फाइनेंस से कोई लेना-देना ही न हो. मैं आपको कई ऐसी बातें बता सकता हूं जो कभी पहले हुई ही नहीं.

22. G-23 के वक्त की कुछ बातें बता दीजिए. क्या हुआ था? आप सक्रिय सदस्य थे.

जवाब- उसमें तो कुछ नहीं हुआ. कुछ हुआ होता, तो यह नतीजा नहीं होता.

23. उस दौरान क्या बातें होती थी? एक-एक कर सभी नेता छोड़ते ही चले गए.

जवाब- उस वक्त क्या बातें होती थी, यह मैं आपको नहीं बता सकता.

24. कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के लिए क्या किया जा सकता है?

जवाब- मैं इस बारे में कुछ नहीं बोलूंगा. मेरी विचारधारा आज भी कांग्रेस से ही जुड़ी हुई है. हो सकता है कि मैं पार्टी में नहीं हूं, लेकिन मेरी विचारधारा कांग्रेस की ही है. मैं उस विचारधारा की हमेशा रक्षा करूंगा. मुझे किसी के बारे में कोई टिप्पणी नहीं करनी. राजनीति में ऐसा नहीं होना चाहिए.

25. जैसा आज-कल जो रहा है?

जवाब- जिस तरह का मैं माहौल देख रहा हूं, वैसा नहीं होना चाहिए. देश एक परिवार जैसा होता है. एक छोटा-सा परिवार है. परिवार में जब लोग एक साथ नहीं चलेंगे तो परिवार कभी सफल नहीं हो सकता. परिवार कभी उन्नति नहीं कर सकता. अगर देश एक साथ नहीं चलेगा तो अमृत काल में देखे जा रहा भारत का सपना पूरा नहीं हो पाएगा.

ये भी पढ़ें:- 'इन्हें कोर्ट भी बेल नहीं दे रही, अब तीसरा नंबर केजरीवाल का है', मनोज तिवारी ने बताया आगे क्या होगी बीजेपी की रणनीति

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