Delhi News: केन्या की अंतर्गर्भाशय के चौथे चरण के कैंसर से पीड़ित 57 वर्षीय महिला को एक अग्रणी अस्पताल में ‘‘लो डोज’’ इम्यूनोथैरेपी और कीमोथैरेपी कराने के बाद जीवनदान मिला है. डॉक्टरों ने दावा किया कि अभी तक चिकित्सा साहित्य जगत में अंतर्गर्भाशय कैंसर यानी गर्भाशय या कोख की सतह से शुरू होने वाले कैंसर के मामले में इस तरह के इलाज की इतनी शानदार प्रतिक्रिया नहीं मिली है. ‘लो डोज’ इम्यूनोथैरेपी ऐसा इलाज है जिसमें जब प्रतिरक्षा तंत्र उचित तरीके से काम नहीं करता तो उसकी ‘‘सहिष्णुता’’ में सुधार लाया जाता है. अपोलो अस्पताल ने एक बयान में कहा, ‘‘मरीज पिछले साल से अंतर्गर्भाशय कैंसर से जूझ रही थी और उसने अपने देश केन्या में नवंबर 2021 में ऑपरेशन कराया था.’’


चौथे चरण के कैंसर से पीड़ित मरीज को मिला जीवनदान


बयान में आगे कहा गया है, ‘‘हालांकि, ऑपरेशन के बाद कैंसर अन्य अंगों तक फैल गया और मरीज को पेट और कोख में बीमारी, दोनों फेफड़ों में तरल पदार्थ, यकृत में कैंसर का फैलना, पेट में ठीक न होने वाला सर्जिकल जख्म हो गया था और उनके पैरों में थक्के जम गए थे.’’


बयान में कहा गया है कि मरीज की हालत बिगड़ने और जान जाने की नौबत आने पर सबसे पहले उन्हें कीमोथैरेपी दी गयी. दिल्ली के एक अस्पताल में वरिष्ठ परामर्शक और सर्जिकल ओन्कोलॉजिस्ट डॉ. शुएब जैदी ने कहा, ‘‘अंतर्गर्भाशय कैंसर गर्भाशय की अंत: सतह का कैंसर है. अक्सर योनि से असामान्य रूप से रक्त बहने के कारण इसका शुरुआती स्तर पर ही पता चल जाता है लेकिन कुछ मामलों में पता न चलने पर यह चौथे चरण तक पहुंच जाता है.’’ 


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बीमारी से उबरने के बाद 57 वर्षीय महिला लौटी स्वदेश


उन्होंने कहा, ‘‘चौथे चरण के अंतर्गर्भाशय कैंसर के ज्यादातर मामलों में यह बीमारी इतनी ज्यादा फैल जाती है कि इसे सर्जरी से हटाना नामुमकिन हो जाता है और ऐसे में इलाज के लिए कीमोथैरेपी और इम्यूनोथैरेपी की आवश्यकता पड़ती है.’’ डॉक्टरों ने बताया कि अपोलो अस्पताल में भर्ती होने पर मरीज बहुत कमजोर थीं. उन्हें इस साल 20 जनवरी को भर्ती कराया गया लेकिन बीमारी बड़ी होने के कारण उनकी हालत बिगड़ने लगी और उन्हें कीमोथैरेपी के साथ इम्यूनोथैरेपी की सलाह दी गयी. अस्पताल में वरिष्ठ परामर्शक डॉ. अजय गुप्ता ने दावा किया कि महिला बीमारी से अच्छी तरह उबर गयी है और अपने देश लौट गयी है.