Delhi Electricity: दिल्ली की बिजली कंपनियों का अनुमान है कि शहर में सिर पर लटकते (ओवरहेड) हाईटेंशन तारों को पूरी तरह भूमिगत करने पर 2,400 करोड़ रुपये खर्च होंगे. यह राशि तारों को इंसुलेट करने यानी करंट रोधी बनाने की लागत से तीन गुना अधिक है. बिजली कंपनियों के सूत्रों के मुताबिक दिल्ली बहुत पुराना शहर है, इसका अधिकांश भाग अनियोजित है और इसके बावजूद महत्वपूर्ण बिजली नेटवर्क का एक बड़ा हिस्सा इंसुलेट या भूमिगत है. वास्तव में, ज्यादा जनसंख्या वाले क्षेत्रों में भूमिगत नेटवर्क का प्रतिशत अधिक है.


दूसरी ओर, ग्रामीण और अर्ध-ग्रामीण क्षेत्रों में विशाल खुले स्थान के साथ, ओवरहेड नेटवर्क का उच्च स्तर होता है. इसके अलावा, आमतौर पर पुराने नेटवर्क ओवरहेड होते हैं, और सभी नए आने वाले नेटवर्क भूमिगत होते हैं. एलटी वोल्टेज स्तर सामान्य रूप से एक अपवाद है.


तीन बिजली कंपनियां करेगी इंसुलेट


कुछ दिन पहले ही केजरीवाल सरकार ने कहा था कि दिल्ली में लगभग 2,264 किमी तारों के नेटवर्क को तीन बिजली कंपनियों- टाटा दिल्ली बिजली वितरण लिमिटेड (टीपीडीडीएल), बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड (बीवाईपीएल) और बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड (बीआरपीएल) द्वारा इंसुलेट नेटवर्क में परिवर्तित किया जाएगा. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने यह भी कहा था कि सरकार सभी ओवरहेड बिजली के तारों को भूमिगत करने पर काम कर रही है.


इंसुलेट बनाने में करीब 700 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान


आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि कुल 2,264 किमी बिजली के तारों में से, टीपीडीडीएल 1,270 किमी को, बीवाईपीएल 29 किमी को और बीआरपीएल 965 किमी को इंसुलेटेड नेटवर्क में बदलेगी. सूत्रों ने का कहना है कि मौजूदा ओवरहेड नेटवर्क को भूमिगत करने के लिए लगभग 2,400 करोड़ रुपये की आवश्यकता होने का अनुमान है. वहीं, इन्हें इंसुलेट बनाने में करीब 700 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है.


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