अक्सर देशभर से पानी के किल्लत की तस्वीरें सामने आती रहती हैं. इसका कई रिपोर्ट्स में खुलासा भी हो चुका है कि ग्राउंडवाटर लगातार और नीचे जा रहा है. ऐसे में भविष्य में पानी की किल्लत को देखते हुए एसटीपी प्लांट की उपयोगिता बढ़ जाती है. सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट प्रदूषण के खिलाफ पर्यावरण को बचाता है. एसटीपी प्लांट से गंदे और दूषित पानी को फिर से इस्तेमाल करने लायक बनाया जाता है. एसटीपी तकनीक नदियों, झीलों और महासागरों तक दूषित पानी के पहुंचने से पहले उसके अंदर की अशुद्धियों को हटा देता है. यह तकनीक पानी के उपचार के लिए सबसे अच्छी तकनीक मानी जाती है. इसी तकनीक की मदद से दिल्ली में नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) दूषित पानी को स्वच्छ करने की योजना पर काम कर रहा है.


क्या होता है एसटीपी?
दरअसल एसटीपी यानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए दूषित पानी में से रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म किया जाता है और हानिकारक जीवाणुओं को मार दिया जाता है. सीवेज के पानी में कचरा अन्य तरह की गंदगी दोनों होती है, जिसमें घरों से, ऑफिसों और इंडस्ट्रीज से निकला वेस्ट होता है इसलिए इसकी सफाई बहुत जरूरी होती है। एसटीपी प्लांट इसी दूषित पानी की सफाई करता है.


एनडीएमसी ने कहा लगाए है एसटीपी
सीवेज के पानी को ट्रीट करके उसका इस्तेमाल गार्डेनिंग के लिए जाता है, एनडीएमसी ने अबतक लुटियंस दिल्ली इलाके के कुछ सबसे पॉश उद्यानों में एसटीपीएस लगाए हैं. जिसमें 500 केएलडी की क्षमता वाला नेहरू पार्क, सिंगापुर पार्क में 300 केएलडी की क्षमता वाला, ब्रिक्स रोज गार्डन में 100 केएलडी क्षमता, गोल मार्केट में 200 केएलडी की क्षमता और लोधी गार्डन में 500 केएलडी की क्षमता वाले एसटीपी प्लांट शामिल हैं. 


एनडीएमसी 50% सीवेज पानी का करता है इस्तेमाल
फिलहाल नई दिल्ली नगरपालिका परिषद एसटीपी के जरिए साफ किए गए दूषित पानी में से 50% का इस्तेमाल विभिन्न कार्यों में करता है. यह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट कम रखरखाव में और कम बिजली की खपत करके पानी को ट्रीट करके साफ करते हैं.