Krishna Janmashtami 2022: दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश के इस्कॉन मंदिर में जन्माष्टमी की तैयारियां धूमघाम से हो रही  हैं. इस्कॉन मंदिर में इस बार 19 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी. इस बार भगवान कृष्ण की पोशाक वृंदावन के कारीगरों ने खास तौर पर राधा पार्थसारथी के कपड़े और गहने बनाए हैं. दिल्ली में कहीं भगवान का दरबार थाइलैंड के फूलों से सजेगा, तो कहीं 2100 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा. कान्हा को सोने और रत्न जड़ित मुकुट भी पहनाया जाएगा. कान्हा को 1009 प्रकार के व्यंजनों का भगवान को भोग लगेगा. 


जानें आरती का समय
इस्कॉन से मिली जानकारी के अनुसार सुबह 4:30 बजे मंगल आरती होगी. 7:30 जे दर्शन आरती होगी. वहीं मंदिर दिनभर खुला रहेगा. रात 12 बजे से महाभिषेक शुरू होगा और साढ़े 12 बजे महाआरती होगी. दिनभर भजन-कीर्तन और कृष्ण की लीला प्रस्तुत की जाएगी. सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद रहेगी. दिल्ली पुलिस के जवानों के अलावा 500 निजी सुरक्षा कर्मी और 2500 सेवक सेवा करेंगे. 180 सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जाएगी.


इन मंदिरों में हो रही तैयारी
कृष्ण जन्माष्टमी राजधानी के सभी मंदिरों में 19 अगस्त को भारी उत्साह से मनाई जाएगी. इसके लिए सभी जगह भव्य स्तर पर तैयारियां की गई हैं. बद्री भगत झंडेवाला मंदिर, झंडेवालान के ट्रस्टी रवींद्र गोयल के बताया कि बांके बिहारी का भव्य फूल बंगला सजाया जाएगा जो कृष्ण भगवान की छठी 24 अगस्त तक रहेगा. आद्यकात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर, छतरपुर के कमल किशोर भाटिया ने बताया कि फूलों और लाईट की भव्य सजावट की गई है.


इन जगहों पर धूमधाम से मनाई जाती है जन्माष्टमी
वृंदावन के कण-कण में कृष्ण विराजमान हैं, ऐसा माना जाता है. मथुरा से करीब 15 किलोमीटर दूर यह वही जगह है, जहां भगवान श्रीकृष्ण बड़े हुए, गोपियों के साथ रासलीला की, राधा रानी से प्रेम किया. यहां का जन्मोत्सव सबसे भव्य माना जाता है. वृंदावन में 10  दिन पहले से ही जन्माष्टमी का त्योहार शुरू हो जाता है. यहां निधि वन, रंगनाथजी मंदिर, राधारमण मंदिर और इस्कॉन मंदिर यहां से सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से हैं.


भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा की जन्माष्टमी दिव्य होती है. यहां दो भाग में जन्मोत्सव मनाया जाता है. झूलनोत्सव और घाट. झूलनोत्सव में मथुरा के लोग अपने घरों में झूला लगाते हैं. उस झूले में कृष्ण की मूर्तियां रखते हैं. सुबह-सुबह दूध, दही, शहद और घी से मूर्ति को स्नान कराया जाता है. नए कपड़े और गहने पहनाए जाते हैं. दूसरी प्रथा घाट में शहर के सभी मंदिरों को एक ही रंग से सजाया जाता है. कृष्ण के जन्म के समय इन मंदिरों में एक साथ पूजा की जाती है. 



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