Delhi News: देश के युवा क​वि और हर मसले पर बिना लाग लपेट में बोलने वाले कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) ने एक साक्षात्कार के दौरान बड़ा बयान देकर सबको चौंका दिया है. साथ ही आम आदमी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं सहित उनके समर्थकों को एक बार फिर नाराज कर दिया है. इस बार उनसे जब यह पूछा गया कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के बारे में आपके विचार क्या हैं, इस पर उन्होंने तपाक से जवाब दिया कि उन्हें, मैं एक 'ऐतिहासिक भूल' मानता हूं. जबकि पीएम नरेंद्र मोदी को एक 'संकल्प' और राहुल गांधी को 'भोला प्रयास' करार दिया.


लोकसभा चुनाव लड़ने पर कहा- 'मैं झूठ नहीं बोलूंगा'


इसी तरह लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर जब उनसे यह पूछा गया कि क्या आप लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे? इसका जवाब देते वक्त उन्होंने अपने दिमाग पर जोर लगाया और कहा कि मैं, कह नहीं सकता. इससे आगे उन्होंने कहा कि ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं कि, भारतवासी जजमेंटल होते हैं. किसी भी सवाल के जवाब में पलटकर हां या न, कह देते हैं. मैं ये नहीं करूंगा. मैं पूछता हूं, क्यों झूठ बोलते हैं सब. आपको पता नहीं हैं? सच तो यह है कि लोगों को पता ही नहीं होता है, जिंदगी में उन्हें क्या-क्या करना पड़ेगा. जिंदगी किस दिशा में जाएगी? सच भी यही है, किस दिशा में जाना पड़ेगा, ये किसी को पता नहीं होता. ​ये बात मुझ पर भी समान रूप से लागू होता है. आखिर मैं, खुदा तो नहीं हूं न... इसलिए इस सवाल के जवाब में मैं, झूठ नहीं बोलूंगा.


'PM पद के लिए अनफिट केजरीवाल'


कुमार विश्वास से TV9 को दिए इंटरव्यू के दौरान जब यह पूछा गया कि क्या आप आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के सीएम को भविष्य का पीएम मानते हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि नहीं. इसी तरह उनसे जब यह पूछा कि आप महात्मा गांधी के ​बारे में क्या सोचते हैं, उन्होंने कहा कि एक विचार, नाथूराम गोडसे से असंवैधानिक असहमति जताई, देश के पूर्व पीएम को जवाहरलाल नेहरू को पहला सवार, विनायक दामोदर सावरकर को योद्धा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संकल्प, राहुल गांधी को भोला प्रयास बताया. जबकि ​सीएम अरविंद केजरीवाल को उन्होंने ऐतिहासिक भूल करार दिया.


पहले समर्थन, अब विरोध भी उसी सिद्धत से


दरअसल, आम आदमी पार्टी के कद्दावर नेता रहे और युवा कवि कुमार विश्वास का रिश्ता अरविंद केजरीवाल से करीबी और विरोधी का एक जैसा ही रहा है. भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना आंदोलन से लेकर आप से इस्तीफा देकर विश्वास और सीएम केजरीवाल की जोड़ी को राम लक्ष्मण की जोड़ी माना जाता रहा. जब उन्हेंने आप से संबंध​ विच्छेद किया तो उनका विरोध भी उसी सिद्धत से कर रहे हैं, ​जैसा उन्होंने दोस्ती निभाई. अंतर केवल इतना है कि पहले समर्थन करते थे अब खुलकर विरोध करते हैं. उनकी विरोध की सीमा का अंदाजा आप इसी से लगा सकतें है कि वो देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी आप क प्रमुख को भविष्य का पीएम चेहरा स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं. इतना नहीं, वो अरविंद केजरीवाल को भारतीय राजनीति में एक ऐतिहासिक भूल करार देते हैं.


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