Lawyer Virendra Kumar Murder: राजधानी दिल्ली की उपनगरी द्वारका सेक्टर-1 में बदमाशों द्वारा सरेराह की गई वकील वीरेंद्र कुमार की गोली मारकर हत्या मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है. दरअसल यह हत्या 36 साल पहले हुए एक कत्ल का बदला लेने को लेकर की गई है. पुलिस ने वकील वीरेंद्र कुमार की हत्या की गुत्थी सुलझा लेने का दावा करते हुए बताया कि वारदात को अंजाम देने वाले दोनों हमलावरों की पहचान कर ली गयी है और इस मामले में 3 लोगों को हिरासत में लिया गया है.


36 साल पहले वकील के दादा ने की थी हमलावर के चाचा की हत्या
पुलिस ने बताया कि अब तक की जांच से पता चला है कि प्रदीप और नरेश नामक दोनों हमलावर उसी आउटर दिल्ली के सन्नोठ गांव के रहने वाले हैं, जहां के वकील वीरेंद्र कुमार रहने वाले थे. साल 1987 में वीरेंद्र के दादा राम स्वरूप प्रदीप के चाचा की हत्या कर दी थी. इसी का बदला लेने के लिए मोटरसाइकिल सवार दोनों हमलावरों ने शनिवार को कार से जा रहे वकील का पीछा कर मणिपाल अस्पताल के पास वीरेंद्र को तीन गोलियां मारीं और मौके से फरार हो गए थे. इस दौरान वे आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद हो गए, जिससे पुलिस ने उनकी पहचान कर ली. पुलिस दोनों के परिजनों से पूछताछ कर उनकी गिरफ्तारी के लिए संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही है.


2017 में भी हुआ था वकील पर हमला
इससे पहले साल 2017 में भी प्रदीप ने रोहिणी इलाके में मृतक वकील वीरेंद्र पर हमला किया था. हालांकि इस हमले में वीरेंद्र बच गए थे, लेकिन उनका ड्राइवर गंभीर रूप से घायल हो गया था. इस हमले के बाद भी प्रदीप पुलिस की पकड़ में आने से बच गया था. इसके बाद वीरेंद्र को पुलिस की ओर से सुरक्षा भी उपलब्ध करवाई गई थी लेकिन 2021 में कोविड महामारी के दौरान हुई सुरक्षा समीक्षा के बाद उनसे पुलिस सुरक्षा वापस ले ली गई थी. पुलिस को जो सीसीटीवी फुटेज मिले हैं उसमें दोनों हमलावर मोटरसाइकिल पर सवार होकर काफी दूरी से वकील का पीछा करते हुए नजर आए हैं. द्वारका सेक्टर-1 के पास जब हमलावर ठीक वीरेंद्र के बगल में पहुंचे तो पीछे बैठे प्रदीप ने मौके को बिना गंवाए वीरेंद्र पर एक के बाद एक तीन गोलियां मारीं. 


वकील ने परिवार को नहीं मिलने दिया था मुआवजा
मिली जानकारी के अनुसार 1987 की घटना के बाद प्रदीप और नरेश के परिवार को जमीन का मुआवजा मिलना था लेकिन वीरेंद्र ने इसमें कानूनी अड़चन पैदा कर दी थी. इसके कारण परिवार को मुआवजा नहीं मिल पा रहा था जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने लगी. इधर प्रदीप और नरेश जो कि प्रोफेशनल पहलवानी किया करते थे इस आर्थिक तंगी के कारण उन्हें पहलवानी छोड़नी पड़ी. इसके बाद से ही दोनों वकील से बदला लेने की योजना बनाने लगे और 2017 में उन्होंने रोहिणी में पहली बार वीरेंद्र पर हमला किया लेकिन हमले में वीरेंद्र के बचने के साथ ही उन्हें पुलिस सुरक्षा भी मिल गई थी. इस दौरान दोनों के परिवार के लोगों ने वकील से सुलह कर मामले को सुलझाने का प्रयास किया पर मामला नहीं सुलझा. इसके बाद वीरेंद्र ने मुआवजा मामले को और उलझा दिया था.


वीरेंद्र की मौत को लेकर आज वकीलों की हड़ताल
वहीं वकील वीरेंद्र कुमार की हत्या के बाद से ऑल डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन गुस्से में है और आज 3 अप्रैल को सांकेतिक हड़ताल पर हैं. बार एसोसिएशन ने कहा कि जब तक ऐसी घटनाओं के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता और एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट के तहत कुछ नहीं होता तब तक यह अटैक ऐसे ही होते रहेंगे. सीआरडीसीएमएम के चेयरमैन विनोद शर्मा ने कहा कि यह हमला अकेले वीरेंद्र कुमार पर नहीं हमारे पूरे समुदाय पर है. हम इस घटना के खिलाफ मजबूती के साथ खड़े हैं.


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