Delhi: 10 साल बाद भी सरकारी स्कूलों में शुरू नहीं हुई Legal Studies की पढ़ाई, ACP ने शुरू की 'कानून का कायदा' मुहिम, जानें इसके फायदे
CBSE News: सीबीएसई ने 2013 में देश के सभी स्कूलों में लीगल स्टडीज को पढ़ाने पर जोर दिया था. इसका मकसद नई पीढ़ी को आपराधिक गतिविधियों और उसके उपायों के प्रति सचेत करना था.
Delhi News: कहा जाता है कि एक स्कूल खोलना, एक जेल को बंद करने के समान है. इसके बावजूद केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के रिकमेंडेशन के बावजूद दिल्ली (Delhi) के सरकारी स्कूलों (Government school) में लीगल स्टडीज (Legal studies) की पढ़ाई बतौर वैकल्पिक विषय के रूप में अभी तक शुरू नहीं हो पाई है. अब इस विषय की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली सतर्कता विभाग में तैनात एसीपी ने कानून का कायदा नाम से मुहिम की शुरुआत की है. इसके पीछे उनका मकसद नई पीढ़ी के बच्चों को आपराधिक माहौल और कानूनी उपायों के बारे में जागरूक करना है.
एसीपी वीरेंद्र पुंज का कहना है किअगर ऐसा हो जाए, तो यह दिल्ली एजुकेशन मॉडल (Delhi education Model) को चार चांद लगाने के समान होगा. इतना ही नहीं, एक विषय के रूप में लीगल स्टडीज निर्भया कांड और बाल अपराध को रोकने का प्रभावी जरिया होने के साथ यह नशामुक्त समाज व बच्चों के बेहतर भविष्य के निर्माण में भी सहायक साबित होगा.
सीबीएसई रिकमेंडेशन को दिल्ली सरकार (Delhi government) ने तो गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन राजधानी के एक दर्जन से अधिक निजी स्कूलों में लीगल स्टडीज की पढ़ाई वैकल्पिक विषय के रूप में जारी है, लेकिन सीबीएसई ने जिस मकसद से लीगल स्टडीज को देश के सभी स्कूलों में पढ़ाने पर जोर दिया था, वो तभी पूरा होगा, जब सरकारी स्कूलों में इसे शामिल करने की पहल वहां की सरकार करे. ताज्जुब की बात यह है कि दिल्ली एजुकेशन मॉडल की हर स्तर पर पैरवी करने वाली दिल्ली सरकार का ध्यान इस ओर अभी तक क्यों नहीं गया?
CBSE रिकमेंडेशन पर किसी ने नहीं फरमाया गौर
दरअसल, सीबीएसई ने 2013 में एक पत्र भारत के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश की सरकारों, जिसमें दिल्ली सरकार, केंद्रीय विद्यालय संगठन, दिल्ली कैंटोनमेंट बोर्ड भी शामिल हैं, को अपने-अपने स्कूलों में लीगल स्टडीज को गयारहवीं और बारहवीं के छात्रों को पढ़ाने के लिए लिखा था. इतना ही नहीं, सीबीएसई ने इस विषय का सिलेबस, पुस्तकें भी संबंधित संस्थानों, सरकारों, बोर्डों और एजेंसियों को भेजी थी. अपने पत्र में सीबीएसई ने इस बात का भी जिक्र किया था लीगल स्टडीज को कौन शिक्षक पढ़ा सकता है. सीबीएसई ने ये भी बताया था कि इस विषय में पढ़ाई की व्यवस्था शुरू करने से अतिरिक्त मैनपावर की भी जरूरत नहीं है. राजनीति शास्त्र के शिक्षक ही लीगल स्टडीज विषय को पढ़ाने में सक्षम हैं.
अफसोस की बात
अफसोस की बात यह है कि सीबीएसई रिकमेंडेशन के बावजूद धरातल पर स्थिति इसके विपरित है। साल 2021 तथा 2022 में आरटीआई के माध्यम से पता चला कि दिल्ली सरकार अपने स्कूलों में बच्चो को लीगल स्टडीज विषय ऑफर नहीं कर रही, न ही इस विषय को पढ़ाने की कोई व्यवस्था अभी तक की गई है। यही स्थिति केंद्रीय विद्यालय और अन्य विद्यालय में भी एक समान है।
जानें किसने शुरू की 'कानून का कायदा' मुहिम
अब दिल्ली पुलिस सतर्कता यूनिट में कार्यरत एसीपी वीरेंद्र पुंज के साथ महिला वकील मेघवर्णा दत्ता और शुभम पुष्प ने स्कूली बच्चों को इस गंभीर विषय के बारे में जागरूक करने के लिए 'कानून का कायदा' ('kanoon ka kayada' campaign) नाम से एक मुहिम की शुरुआत की है. इन लोगों ने बताया कि बच्चों से मुलाकात करने पर पता चला कि बच्चों को लीगल स्टडीज पढ़ाना तो दूर अभी तक इस बारे में बताया तक नहीं गया है. जबकि सीबीएसई की इसके पीछे सोच एक बेहतर समाज निर्माण पर जोर देना है.
देर से ही सही, पढ़ाई शुरू होने से बच्चों का होगा भला
'कानून का कायदा' मुहिम के तहत दिल्ली के सोनिया विहार, करावल नगर, खजूरी खास, शकरपुर, लक्ष्मी नगर, रानी बाग, दयालपुर, घोंडा, यमुना विहार और उस्मानपुर क्षेत्र में बच्चों को लीगल स्टडीज के बारे में जानकारी देने की मुहिम जारी है. इसके अलावा लीगल मिशन टीम में शामिल अजय नेगी, सचिन, रजनीश, चंदन, रोहित, सुलेमान, पूजा सहित सैकड़ों स्कूली बच्चों दिल्ली सरकार से लीगल स्टडीज एक विषय के रूप में पढ़ाने की मांग की है. इन लोगों का कहना है कि 10 साल देर से ही सही अगर दिल्ली सरकार यहां के स्कूलों में इसकी पढ़ाई शुरू कर दे, तो इससे बच्चों का भला होगा. वह लीगल विषय को बतौर करियर भी अपना पाएंगे हैं. फिर, जिस समाज में हम जी रहे हैं, उसमें लीगल काउंसलर्स की जरूरत आगामी वर्षों में होगी. ऐसे में लीगल स्टडीज स्वयं के रोजगार का एक बेहतर जरिया भी साबित हो सकता है. फिर, लीगल स्टडीज विषय खासकर कला और वाणिज्य संकाय के बच्चो को काफी लाभ देगा. इन बच्चों को 12th के बाद रोजगार से संबंधित सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मददगार साबित होगा.
जानें क्या कहते हैं एसीपी वीरेंद्र पुंज
दिल्ली पुलिस सतर्कता विभाग के ACP वीरेंद्र पुंज का 'कानून का कायदा' मुहिम के बारे में कहना है कि सीबीएसई ने साल 2013 में देश के सभी स्कूलों में लीगल स्टडीज को एक वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाने की अनुशंसा की थी. ताकि समाज में निर्भया जैसी अमानीय व अन्य आपराधिक घटनाओं के बारे में नई पीढ़ी के बच्चों को जागरूक करना संभव हो सके. वीरेंद्र पुंज का कहना है कि सरकारी स्कूलों में इसकी पढ़ाई शुरू होने से न केवल बच्चों के करियर को संवारने में मदद मिलेगी, बल्कि समाज को अपराधमुक्त और जेल विमुक्त भारत का निर्माण में भी यह सहायक हो सकता है.
सीबीएसई रिकमेंडेशन के अनुरूप सरकारी स्कूलों में अभी तक इसकी पढ़ाई न शुरू होने को लेकर एसीपी वीरेंद्र पुंज कई सवाल उठाते हुए पूछते हैं कि :
1. क्या आपके बच्चे को लीगल स्टडीज विषय के बारे में स्कूल ने कभी जानकारी दी?
2. क्या आप जानते है की दिसंबर 2012 में दिल्ली में निर्भया केस हुआ था?
3. क्या आप जानते हैं, अप्रेल 2013 में कक्षा 11 और 12 में लीगल स्टडीज विषय बच्चों को पढ़ाने के लिए CBSE ने स्कूलों में लागू किया हुआ है?
4. क्या आपके बच्चों को स्कूल ने कभी बताया कि लीगल स्टडीज विषय कला, वाणिज्य और विज्ञान (ARTS, COMMERCE और SCIENCE) संकाय के बच्चे वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ सकते हैं.
5. क्या आपको पता है की सीबीएसई ने लीगल स्टडीज विषय का पाठ्यक्रम और पुस्तकें भी स्कूलों में बच्चों को देने के लिए उपलब्ध करा रखी है?
6. क्या आप जानते हैं की लीगल स्टडीज का ज्ञान सीयूईटी, सीए, सीएस, एमबीए, बैंकिंग, बीबीए, एनएलयू, एलएलबी, आईआईएम, पुलिस, टीचर, जज आदि क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए जरूरी है?
7. क्या आप जानते हैं की लीगल स्टडीज विषय अभी दिल्ली में केवल कुछ निजी स्कूलों तक सीमित है?
8. क्या आपको पता है की लीगल स्टडीज विषय को राजनीति शास्त्र के टीचर पढ़ा सकते हैं?
Legal Studies को दिल्ली के 1037 सरकारी स्कूलों में पढ़ाने की मांग
पूजा रत्ना चैरिटेबल ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ बिपिन पयाल ने दिल्ली सरकार से इसे राजधानी के सभी 1037 स्कूलों में इसे पाठ्यक्रमों में शामिल करने की मांग की है. बिपिन पयान का कहना है कि दिल्ली के सभी सरकारी स्कूलों में भी कानूनी शिक्षा विषय पर बच्चों को इसे एक करियर के रूप चुनने की आजादी मिलनी चाहिए. बच्चे इसे तभी चुन पाएंगे जब स्कूलों में वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाई की व्यवस्था दिल्ली सरकार शुरू करे.