Delhi News: दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना (Vinai Kumar Saxena) ने गुरुवार को शहर में अस्पताल परियोजनाओं में अत्यधिक देरी पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को पत्र लिखा और आरोप लगाया कि सरकार का इरादा केवल जनता के बीच चर्चा में बने रहना है. आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार की तरफ से कोई तात्कालिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.
इन कामों में हुई देरी
अपने पत्र में सक्सेना ने कहा कि न केवल सिरसपुर में नए अस्पताल का निर्माण कार्य निर्धारित समय से एक साल पीछे चल रहा है, बल्कि लोक नायक अस्पताल, गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल, डॉ. बी.एस. आंबेडकर अस्पताल, राव तुला राम अस्पताल और अरुणा आसफ अली अस्पताल जैसे मौजूदा अस्पतालों में बिस्तरों की बढ़ोतरी में भी तीन साल से अधिक की देरी हुई है. इसमें कहा गया, 'महत्वाकांक्षी इंदिरा गांधी अस्पताल का काम 2012-13 में शुरू हुआ था, जो 10 साल बीत जाने के बावजूद अभी तक पूरा नहीं हुआ है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मौजूदा भगवान महावीर अस्पताल, अरुणा आसफ अली अस्पताल और दीप चंद बंधु अस्पताल में काम, जो 2019 में शुरू किया गया था और 2020 तक पूरा होने वाला था, तीन साल बाद भी अटका हुआ है और इनके पूरा होने की कोई निश्चित तारीख नहीं है.'
ये प्रोजेक्ट भी अटके
उपराज्यपाल ने कहा कि 17 अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या में वृद्धि और समय पर एक नए अस्पताल के निर्माण से दिल्ली के लोगों के लिए लगभग 12,500 अतिरिक्त बिस्तर उपलब्ध हो जाते. उन्होंने कहा, 'इनमें से कई अस्पतालों के लिए परियोजनाओं की घोषणा 2014 और 2019 में बहुत धूमधाम से की गई थी, जिनके पूरा होने की अनुमानित तारीखें 2017 से 2020 तक थीं. अगर समय पर ये (योजनाएं) पूरी हो जातीं, तो हजारों दिल्ली वासियों को राहत मिलती जिन्हें कोविड महामारी के दौरान बिस्तरों की अनुपलब्धता का खामियाजा भुगतना पड़ा.' उपराज्यपाल ने घोषणाओं के बजाए कार्यान्वयन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि वर्तमान मामले में यह बिल्कुल स्पष्ट है कि सरकार का इरादा सार्वजनिक क्षेत्र में प्रचार पाने के अलावा कुछ नहीं है. जमीनी स्तर पर बड़े पैमाने पर निष्क्रियता के कारण प्रचार सफल नहीं हो पाता.
'ये कहने पर विवश हूं कि...'
उपराज्यपाल ने कहा, 'जीएनसीटीडी द्वारा किए गए मीडिया प्रचार के अनुसार, सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के बारे में जो तस्वीर उभरती है वह मजबूत (स्थिति) दर्शाती है. मैं यह कहने को विवश हूं कि जमीनी स्तर पर स्थिति बिल्कुल विपरीत है. एक भी नया अस्पताल नहीं बना है और यहां तक कि उनमें भी जहां बिस्तरों और इमारतों के मामले में वृद्धि की घोषणा की गई थी, उसके समय और लागत में वर्षों और सैकड़ों करोड़ की वृद्धि हुई है और ऐसा लगता है कि यह सामान्य बात बन गई है.'
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