Delhi News: दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना (Vinai Kumar Saxena) ने संशोधित कृषि भूमि सर्किल रेट फाइल (Delhi Circle Rate ) एक माह बाद दिल्ली सरकार को लौटा दी है. एलजी ने कुछ बिंदुओं पर दिल्ली सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा था. सात अगस्त को अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की सरकार ने कृषि भूमि के सर्किल रेट में बढ़ोतरी के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. उसके बाद से मंजूरी के लिए ये फाइल एलजी के पास भेजी गई थी. अब इस फाइल को एलजी ने लौटा दी है. इस बीच दिल्ली सर्किल रेट बढ़ाने के तरीके को लेकर कांग्रेस और बीजेपी ने आपत्ति जताई थी. 


मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने छह जुलाई को बताया कि उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कुछ प्रश्नों के साथ दिल्ली में कृषि भूमि की सर्किल दरों में प्रस्तावित संशोधन की फाइल लौटा दी है. उन्होंने सर्किल रेट से संबंधित कुछ पहलुओं पर स्पष्टीकरण मांगें हैं. अभी तक दिल्ली में कृषि भूमि का एक समान सर्किल रेट 53 लाख रुपये प्रति एकड़ निर्धारित था, लेकिन दिल्ली सरकार के संशोधित सर्किल रेट में सभी जिलों में प्रति एकड़ दरें अलग-अलग रखी गई थी. सरकार ने सर्किल दरों को ग्रीन बेल्ट गांवों, शहरी गांवों और ग्रामीण गांवों में वर्गीकृत किया था. 


प्रस्तावित सर्किल रेट


दिल्ली सरकार ने संशोधित कृषि भूमि सर्किल रेट के तहत दक्षिण और नई दिल्ली जिलों में कृषि भूमि का सर्कल रेट 5 करोड़ रुपये प्रति एकड़ तय किया था. उत्तर, पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पश्चिम में 3 करोड़ रुपये, मध्य और दक्षिण पूर्व जिलों में 2.5 करोड़ रुपये और शाहदरा, पूर्वोत्तर और पूर्व में 2.25 करोड़ रुपये तय किया था. 


15 साल बाद हुई थी सर्किल रेट में बढ़ोतरी


राजनिवास के अधिकारियों ने बताया है कि एलजी वीके सक्सेना ने प्रस्ताव का अध्ययन करने के बाद दिल्ली सरकार से दो बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है। बता दें कि दिल्ली सरकार द्वारा प्रस्तावित दरें कृषि भूमि की दरों पर कब्जा करने के लिए गठित एक कार्य समूह की की रिपोर्ट पर आधारित हैं. साल 2017 के बाद से कई गांवों का शहरीकरण किया गया. इसके परिणामस्वरूप दक्षिण-पश्चिम जिले के संबंध में शहरीकृत और ग्रीन बेल्ट गांवों की श्रेणियों में कुछ गांवों का ओवरलैप हो गया है. फाइल में अलग-अलग दरों के हिसाब से गांवों को ग्रीन बेल्ट में वर्गीकृत करने के औचित्य और तरीके के बारे में कुछ नहीं है. बता दें कि दिल्ली सरकार ने 15 साल बाद कृषि भूमि के सर्कल दरों में बढ़ोतरी की थी. 


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