Liquor Discount Delhi: दिल्ली में शराब के शौकीनों के लिए बड़ा झटका, हाई कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
दिल्ली HC ने शराब पर छूट बंद करने के सरकार के आदेश पर रोक लगाने के अनुरोध वाली याचिकाओं को मंगलवार को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि शराब की बोतल डिस्काउंट के साथ बेचना स्वस्थ प्रतिस्पर्धा नहीं है.
Liquor Discount in Delhi: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में शराब (Wine) के अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) पर किसी तरह के डिस्काउंट पर प्रतिबंध लगाने के दिल्ली सरकार (Delhi Government) के फैसले पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया. न्यायमूर्ति कामेश्वर राव ने यह कहते हुए कि छूट देने से बाजार में गड़बड़ी हुई है, 10 शराब लाइसेंसधारियों के आवेदनों को खारिज किया.
अदालत ने कहा कि वह सरकार की इस दलील से सहमत है कि दिल्ली आबकारी नीति में प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण की शर्त का शराब लाइसेंस धारकों द्वारा "लाभ के लिए" "दुरुपयोग" किया जा रहा था.
28 फरवरी को शराब पर छूट बंद करने का आदेश जारी किया गया था
बता दें कि 28 फरवरी को, दिल्ली के आबकारी आयुक्त (Excise Commissioner) ने शराब के एमआरपी पर किसी भी तरह की छूट को बंद करने का आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि इस तरह की छूट से दुकानों पर भीड़ के साथ-साथ अस्वास्थ्यकर बाजार प्रथाओं को बढ़ावा मिला है. वहीं उस फैसले का बचाव करते हुए, दिल्ली सरकार ने पहले उच्च न्यायालय को बताया कि लाइसेंसधारक अपनी उत्पाद नीति में छूट के प्रावधान का दुरुपयोग कर रहे थे. शराब की एमआरपी पर 50% या अधिक छूट की पेशकश करना बाजार की ताकतों को विकृत करेगा, एकाधिकार पैदा करेगा और शराब को बढ़ावा देगा.
शराब की एक बोतल मुफ्त में बेचना स्वस्थ प्रतिस्पर्धा नहीं- कोर्ट
वहीं अदालत ने कहा कि "प्रथम दृष्टया, रियायत / छूट या छूट के अनुदान के परिणामस्वरूप फरवरी 2022 के महीने में शराब की बिक्री में कुछ क्षेत्रों में दिसंबर 2021 के महीने में बिक्री की तुलना में भारी वृद्धि हुई है जबति अन्य क्षेत्रों में मामूली वृद्धि हुई.” कोर्ट ने कहा कि,“अनुबंध का इरादा सभी लाइसेंसधारियों के लिए समान अवसर प्रदान करना है. शराब की एक बोतल मुफ्त में बेचना स्वस्थ प्रतिस्पर्धा नहीं है, बल्कि प्रतिस्पर्धा-विरोधी है, जो स्पष्ट रूप से अस्वीकार्य है. ” न्यायमूर्ति राव ने कहा कि छूट पर प्रतिबंध लगाने का सरकार का निर्णय न केवल शराब की दुकानों की भीड़ पर बल्कि बाजार की विकृति पर भी आधारित था.
याचिकाकर्ताओं ने दी ये दलील
हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि लोग सस्ती शराब के लिए पड़ोसी शहरों की ओर भाग रहे हैं, जिससे उन्हें रोजाना करोड़ों रुपये का नुकसान होता है. याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि सरकार का आदेश बिना किसी अधिकार क्षेत्र के पारित किया गया था और यह विकृत और मनमाना था.
मामले की अगली सुनवाई 25 तारीख को होगी
वहीं इस पर सरकार ने कहा कि शराब के खुदरा विक्रेताओं द्वारा किसी भी छूट या छूट को प्रतिबंधित करने के आदेश के पीछे शराब के अवैध व्यापार को रोकना प्राथमिक उद्देश्य था और यह अस्वास्थ्यकर प्रतिस्पर्धा और बाजार की विकृतियों को प्रोत्साहित करने के लिए छूट को एक उपकरण बनाने का इरादा नहीं था. .गौरतलब है कि कोर्ट ने मुख्य याचिकाओं पर अगली सुनवाई के लिए 25 तारीख तय की है.
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