Lok Sabha Elections 2024: दिल्ली अध्यादेश बिल के कानून बनते ही INDIA में दरार! BJP नेता बोले- सच हो रही अमित शाह की बात
Delhi Politics: अलका लांबा से पहले संदीप दीक्षित कहा था कि सीएम अरविंद केजरीवाल की बात पर कैसे यकीन किया जा सकता है. दिल्ली सेवा बिल का विरोध आप नेता विजिलेंस जांच को प्रभावित करने के लिए कर रहे थे.
Delhi News: देश की राजधानी में दिल्ली सेवा कानून (Delhi Service Law) लागू होने के बाद से यहां की राजनीति में भूचाल की स्थिति है. सेवा बिल पास होने के बाद से इंडिया (INDIA) गठबंधन में जिस स्तर पर नये सियासी समीकरण बनने के संकेत दिखाई दे रहे हैं, उससे साफ है कि लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit shah) की भविष्यवाणी कहीं सच न साबित हो जाए. दरअसल, दिल्ली में सेवा कानून लागू होने के बाद प्रदेश कांग्रेस (Congress) और आप (AAP) के बीच खींचतान शुरू हो गई है. इसकी शुरुआत 16 अगस्त को कांग्रेस की उच्च स्तरीय गुप्त मीटिंग की बात पब्लिक डोमेन में आने बाद शुरू हुई है. बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, महासचिव केसी वेणुगोपाल, दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी और प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया शामिल थे. यहां तक तो सबकुछ ठीक था, लेकिन कांग्रेस नेता अलका लांबा की ओर से जारी एक बयान ने आप और कांग्रेस मतभेद को पैदा कर दिया है.
अलका लांबा ने अपने बयान में कहा था कि पार्टी की ओर से दिल्ली की सभी सात सीटों पर तैयारी शुरू करने की बात कही गई है. संगठन की तरफ से जिसको जो भी जिम्मेदारी दी जा रही है, उसे हम निभाएंगे. मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाना होगा. कांग्रेस सभी सातों सीटों पर चुनाव लड़ेगी. कांग्रेस नेता के इस बयान के बाद आम आदमी पार्टी भड़क गई. आप नेताओं ने साफ कर दिया कि जब कांग्रेस को अकेले चुनाव लड़ना है तो इंडिया का क्या मतलब? हालांकि, गुरुवार को कांग्रेस की ओर से यह बयान आने के बाद की दिल्ली में सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का मसला अलका लांबा का निजी बयान है. दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj) ने कहा कि कांग्रेस ने अपने बयान का खंडन खुद कर लिया है. बस, अब बात खत्म, सब ठीक है. कांग्रेस ने अपने प्रवक्ता पर स्पष्टीकरण दे दिया है. बात साफ हो चुकी है. जो बात आम आदमी पार्टी को कहना होगा वो वह खुल कर कह देगी.
कांग्रेस की हरकत आप को परेशान करने वाली
इसके बाद गुरुवार को एक घटना और हुई. वो यह है कि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल चौधरी पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं के साथ एलजी विनय सक्सेना से मिलने पहुंच गए. उन्होंने एलजी से मुलाकात के दौरान दिल्ली सरकार द्वारा हाल ही में घोषित दिल्ली सर्किट रेट को बदलने की मांग कर दी. कांग्रेस नेताओं ने एलजी को बताया कि आप सरकार ने पहली बार अलग-अलग क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण की दरें असमान तय की है, जिससे भ्रष्टाचार की बू आ रही है. यह घटना भी सीएम अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप के लिए आगाह करने वाली है. सियासी जानकारों का कहना है कि भले ही विपक्षी दलों के गठबंधन में आप ने शामिल होने का फैसला लिया है, लेकिन कांग्रेस और दिल्ली और पंजाब में सत्ताधारी पार्टी के बीच सीट शेयरिंग को लेकर राजनीति चरम पर है. सूत्रों के मुताबिक आप (AAP) और कांग्रेस (Congress) के बीच जिस तरीके से सियासी खिचड़ी पकाने की कोशिश हो रही है, उसके पीछे सियासी हकीकत कुछ और ही है.
बीजेपी ने ली इंडिया की चुटकी
इस बीच, दिल्ली में आप और कांग्रेस के बीच जारी सियासी खींचतान ने बीजेपी को हमला बोलने का एक नया मौका दे दिया है. केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि आगे कांग्रेस को यूपी में सपा, बंगाल में टीएमसी, बिहार में जेडीयू आरजेडी के साथ भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल सकता है. कांग्रेस दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह रही है. कांग्रेस के नेता व पूर्व सांसद संदीप दीक्षित के सुर तो पहले से ही बदले हुए हैं. कुछ दिनों पहले उन्होंने कहा था कि सीएम केजरीवाल की बात पर कैसे यकीन किया जा सकता है. दिल्ली सेवा बिल का विरोध आप नेता विजिलेंस जांच को प्रभावित करने के लिए कर रहे थे. इस मसले पर उन्होंने यह भी कहा था कि उनकी पार्टी केजरीवाल (Arvind Kejriwal) का समर्थन कर 1977 वाली गलती तो नहीं कर रही है. दूसरी तरफ दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर चल रही तकरार के बीच बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने तंज कसते हुए कहा कि अमित शाह ने लोकसभा में और राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल पर बहस के दौरान ही कह दिया था कि बिल पास होते ही केजरीवाल इंडिया से अलग हो जाएंगे. अब वैसा ही कुछ हो भी रहा है.
क्या कहा था अमित शाह ने
लोकसभा में दिल्ली सेवा बिल पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीएम अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा था कि वह संसद से इस बिल के पास होने के बाद इंडिया को बाय-बाय कर देंगे. दिल्ली सेवा बिल पास होने के बाद विपक्ष का गठबंधन I.N.D.I.A टूट जाएगा. इंडिया को अरविंद केजरीवाल छोड़ देंगे. गठबंधन में शामिल दलों के लोग अपनी छवि बचाने के लिए एक साथ आए हैं. कांग्रेस और आप सहित अन्य विपक्षी पार्टियों के लिए जनता के बिल जरूरी नहीं है, बल्कि गठबंधन से एक छोटी सी पार्टी न भाग जाए, इसकी चिंता कांग्रेस के नेताओं को जरूर है.
सीएम के हित इंडिया से नहीं होंगे पूरे
बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली अध्यादेश लागू होने के बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सेवा विधेयक राज्यसभा से पास न होने देने के लिए सभी विपक्षी दलों से समर्थन मांगा. मानसून सत्र के दौरान केंद्र सरकार दिल्ली सेवा विधेयक पेश किया. यह विधेयक दोनों सदनों से पास भी हो गया. अब यह दिल्ली सेवा कानून के नाम से राजधानी में लागू भी है. इससे पहले लोकसभा में अमित शाह ने कहा था कि दिल्ली सेवा विधेयक पास होने के बाद अरविंद केजरीवाल विपक्षी गठबंधन इंडिया को छोड़ देंगे. अमित शाह ने ये भी कहा था कि दिल्ली के सीएम केवल अपने सिसायी हित को साधनों के लिए इंडिया गठबंधन में शामिल हुए हैं. यही वजह कि अब इस बात की चर्चा हो रही है कि क्या अमित शाह की भविष्यवाणी सच साबित होगी.