Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति पर देशभर में धर्म, आस्था और दानपुण्य का महत्व रहेगा. सुबह से ही मंदिरों में इष्ट के दर्शन होंगे, लोग पवित्र स्नान कर सूर्य देव की आराधना करेंगे साथ ही दान पुण्य करेंगे। इसके साथ ही सुहागिन महिलाएं सुहाग की वस्तुओं का दान करेंगी। ज्योतिषाचार्य अमित जैन ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य हर 30 दिन में राशि बदलता है. जब सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो इसे संक्रांति कहते हैं. इस तरह साल में कुल 12 संक्रांति होती है, लेकिन मकर संक्रांति का महत्व सबसे अधिक माना गया है. इस बार मकर संक्रांति को लेकर काफी कन्फ्यूजन है. इस बार ये पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा या फिर 15 जनवरी को इस में सबके अपने-अपने तर्क भी हैं. लेकिन इस बार ये पर्व दो दिन मनाया जाएगा. 14 जनवरी शनिवार को सूर्य देव का मकर राशि में प्रवेश रात 8 बजकर 45 मिनट पर  करेंगे. इसलिए मकर संक्रांति का पुण्य काल शनिवार दोपहर 2.21 बजे से रविवार दोपहर 12.45 बजे तक पुण्यकाल रहेगा.


स्नान, दान, धर्म आदि कार्य 15 को करना सर्वश्रेष्ठ


सूर्य देव का प्रवेश सूर्योस्त के बाद होने से स्नान, दान, धर्म आदि कार्य 15 को करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा. साल का पहला सावा भी 15 जनवरी से शुरू होगा. ज्योतिषाचार्य अमित जैन ने बताया कि इस बार सक्रांति का प्रवेश बाघ पर होगा उप वाहन घोड़ा रहेगा. जो राजनीतिज्ञ, राजपत्र अधिकारियों, जंगल में निवास करने वालो के लिए कल्याणकारी रहेगी. मंदाकिनी नाम की होगी और पीले वस्त्र धारण किए हुए हैं. हाथ में गदा और आयुध ले रखा है और खीर का सेवन कर रही है. शरीर पर कुमकुम का लेप कर हुआ हैं.


ये भी पढ़ें: Shattila Ekadashi 2023: षटतिला एकादशी पर इन रंग की चीजों का दान करना माना गया है शुभ, होती है विष्णु भगवान की कृपा

गुड़, तिल का दान करना सबसे लाभकारी


मकर संक्रांति यानी की खिचड़ी का त्योहार का अपने देश के लगभग कई हिस्सों में बहुत ज्यादा महत्व रखता है. इस दिन दान-पुण्य का भी अपना अलग ही महत्व है। इस दिन दान करने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है. मकर संक्रांति का पुण्य स्नान के बाद इष्टदेव को भोग लगाकर गुड़, तिल का दान करने से पुण्य फल मिलने की मान्यता है.

मकर संक्रांति का ही महत्व क्यों?


ज्योतिषियों के अनुसार, सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तो ये पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध की ओर गति करने लगता है. हमारे देश उत्तरी गोलार्ध में ही है. सूर्य के उत्तरी गोलार्ध की ओर गति करने से दिन बड़े होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं. सूर्य की ये स्थिति बहुत शुभ मानी जाती है क्योंकि सूर्य की रोशनी से फसलें पकती हैं और पानी का वाष्वीकरण तेजी से होता है, जो बाद में बारिश के रूप में पुन: प्राप्त होता है. इन्हीं कारणों से चलते मकर संक्रांति को बहुत शुभ माना जाता है.

सूर्य देव का उत्तरायण प्रवेश


मकर संक्रांति को उत्तरायण भी कहते हैं। उत्तरायण सूर्य की एक स्थिति है. ज्योतिषियों के अनुसार, सूर्य जब दक्षिणी गोलार्ध की ओर गति करता है तो इसे दक्षिणायन कहते हैं और जब सूर्य उत्तरी ध्रुव की ओर गति करता है तो इसे उत्तरायण कहते हैं। उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा जाता है. धर्म ग्रंथों में उत्तरायण को बहुत ही शुभ माना जाता है. भीष्म पितामाह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर ही प्राण त्यागे थे.
 
साल 2023 का पहला सावा 15 जनवरी को


ज्योतिषाचार्य अमित जैन का कहना हैं कि 16 दिसंबर से धनु का खर मास लगा था जो 14 जनवरी को रात 8.45 बजे समाप्त हो रहा है. फिर साल का पहला सावा 15 जनवरी को रहेगा. एक महीने के लिए शादी-विवाह आदि मांगलिक कार्य समेत शहनाईयों की आवाज भी एक महीने के लिए बंद थी जो 15 जनवरी से दोबारा शुरू होगी. साल 2023 के पहले माह जनवरी में मकर संक्रांति पर्व के साथ ही फिर से शहनाईयां बजने लगेंगी और शादी विवाह समेत सभी मांगलिक कार्य सुचारू रुप से होने लग जाएंगे.  

साल 2023 में विवाह के शुभ मुहूर्त


जनवरी- 15, 26, 27, 30, 31
फरवरी- 6, 7, 8, 9 10,, 15, 17, 22
मार्च- 8,9
मई- 2,3,10, 11, 12, 16, 20, 21, 22, 27, 29, 30
जून- 3, 5, 6, 7, 8,11, 12,13, 23, 25
नवंबर- 25, 27, 28, 29
दिसंबर- 4, 6, 7, 8,  15


ये भी पढ़ें: Surya Gochar 2023: सूर्य के गोचर का इस एक राशि पर होगा सबसे ज्यादा असर, अशुभ प्रभाव से बचने के लिए करें ये उपाय