Delhi News: शराब मामले में मनीष सिसोदिया पर हुई कार्रवाई को लेकर भी कांग्रेस कई खेमे में बंटी नजर आ रही है. इसका प्रमाण यह है कि जहां एक तरफ दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने इस मामले पर हुई कार्रवाई को उचित ठहराया और खुद का इस मामले में सबूत देने के लिए पीठ भी थपथपाई. वहीं, दूसरी तरफ अन्य राज्यों व रायपुर के 85 वे अधिवेशन में सीबीआई, ईडी और अन्य जांच एजेंसियों के कार्रवाई पर सवाल उठाया. इसके अलावा कांग्रेस के ज्यादातर बड़े नेताओं ने इस मामले को लेकर दूरी बना रखी है.


खुद कांग्रेसी नेता ने सुप्रीम कोर्ट में आम आदमी पार्टी की पैरवी की


शराब घोटाले मामले को लेकर मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद तुरंत ही कांग्रेस पार्टी ने इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि भ्रष्टाचार ने दिल्ली को खोखला कर दिया है.  इस मामले में कांग्रेस पार्टी यह श्रेय लेने से भी पीछे नहीं रही कि सबसे पहले उन्होंने ही इस मामले में सुबूत जांच एजेंसियों के सामने रखा और मामला भी दर्ज कराया.


दूसरी तरफ, इस मामले में जब जमानत के लिए आम आदमी पार्टी सुप्रीम कोर्ट पहुंची तो उनकी दलीलें रखने के लिए कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी शामिल हुए. वैसे इस मामले को लेकर दिल्ली और कांग्रेस प्रदेश संगठन के नाराजगी की भी खबरें सामने आई और कहा गया कि शराब मामले को लेकर कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने जमीन पर संघर्ष किया है और इस मुद्दे को पूरे जोरों से उठाया है जिसका परिणाम है कि आज आप नेता पर शिकंजा कसा गया है.


सुप्रिया श्रीनेत ने भी खुलकर नहीं किया विरोध


कांग्रेस पार्टी की जानी-मानी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत बीजेपी पर अक्सर हमलावर रहती हैं, उद्योगपति गौतम अडानी मामले में कोई भी ऐसा दिन नहीं जिस दिन उन्होंने बीजेपी पर जुबानी हमला न किया हो लेकिन इस मामले में उन्होंने ना तो आप का बचाव किया है और ना ही जांच एजेंसियों की इस कार्रवाई का समर्थन. दिल्ली के प्रदेश कांग्रेस इकाई ने इस मामले पर खुल कर आम आदमी पार्टी का विरोध किया है, इसलिए यह स्थिति स्पष्ट दर्शाती है कि कांग्रेस पार्टी मुद्दों को लेकर अलग-अलग खेमे में बंटी हुई है.


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