Manish Sisodia Letter: 'आजकल जेल में बंद दो ही लोगों की चर्चा, एक सिसोदिया और...', मनीष के लेटर पर BJP का पलटवार
BJP On Manish Sisodia Letter: दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि दो महीने से जेल में रहने से मनीष सिसोदिया की राजनीतिक प्रासंगिकता पूरी तरह खत्म हो गई है.
Virendraa Sachdeva On Manish Sisodia Letter: दिल्ली (Delhi) के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जेल से देश के नाम चिट्ठी लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की शिक्षा पर सवाल खड़े किए हैं. अब इसकी कड़ी आलोचना करते हुए बीजेपी (BJP) ने आरोप लगाया है कि भ्रष्टाचार के पर्याय बन चुके दो महीने से जेल में बंद मनीष सिसोदिया सिर्फ खबरों में बने रहने के लिए चिट्ठी-चिट्ठी का खेल रहे हैं. चिट्ठी पर पलटवार करते हुए दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि लंबे समय से मनीष सिसोदिया राजधानी के साथ-साथ देश में भ्रष्टाचार के पर्याय के रूप में देखे जा रहे हैं.
वीरेन्द्र सचदेवा ने आगे कहा कि दो महीने से जेल में रहने से मनीष सिसोदिया की राजनीतिक प्रासंगिकता पूरी तरह खत्म हो गई है, इसलिए अब केवल खबरों में बने रहने के लिए हर कुछ दिन बाद जेल से पत्र लिखकर चर्चा करवाते हैं और चिठ्ठी-चिठ्ठी का खेल खेलने में लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि दूसरों की शैक्षणिक योग्यता पूछ रहे मनीष सिसोदिया से दिल्ली वाले यह जानना चाहते हैं कि खुद उनकी शैक्षणिक योग्यता क्या है?
'दो ही लोग आजकल पत्र लिखकर चर्चा में हैं'
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि सिसोदिया और उनके राजनीतिक गुरु अरविंद केजरीवाल जानते हैं कि कोर्ट में जमानत न मिलने से उनकी बची-खुची राजनीतिक प्रासंगिकता भी खत्म हो रही है, इसीलिए वह प्रधानमंत्री पर टिप्पणी कर खबरों में बने रहना चाह रहे हैं. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि जेल से दो ही लोग आजकल पत्र लिखकर चर्चा में हैं- मनीष सिसोदिया और सुकेश चंद्रशेखर.
दिल्ली के स्कूलों के लेकर साधा निशाना
सचदेवा ने कहा कि पिछले 8 साल से सिसोदिया दिल्ली के शिक्षा मंत्री के रूप मे नहीं, बल्कि एक इवेंट मैनेजर की तरह स्कूलों पर काम करते रहे, जिसका नतीजा है कि आज सरकारी स्कूलों में 9वीं-11वीं में 40 प्रतिशत तक छात्र या तो फेल होते हैं या कम्पार्टमेंट आते हैं. यहां तक कि 10वीं-12वीं के नतीजे भी बेहाल हैं, क्योंकि सिसोदिया ने स्कूलों में टीचर्स लगा कर पढ़ाई का स्तर सुधारने की बजाय एक इवेंट मैनेजर की तरह हैप्पीनेस क्लास करवाने पर ज्यादा ध्यान दिया. स्कूलों में प्रिंसिपल की जगह अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को स्कूल मैनेजर लगा कर धन और साधनों की बर्बादी की.