Manish Sisodia Letter: अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद मनीष सिसोदिया ने किसे लिखी भावुक चिट्ठी , यहां पढ़ें पूरा लेटर
Manish Sisodia News Today: मनीष सिसोदिया ने लिखा कि बीते एक साल में जेल में रहते हुए आपके बारे में बहुत सी कोते याद आती रहती हैं. किस तरह आप सबने निस्वार्थ भाव से अपना तन-मन-हान लगाकर मिसाल पेश की है.
Manish sisodia Latest News: मनीष सिसोदिया ने तिहाड़ जेल से पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने कई बातें लिखी हैं. सिसोदिया ने चिट्ठी में लिखा कि पटपड़गंज विधानसभा के मेरे प्यारे साथियों, पिछले कुछ महीनों से मुझे रोजाना करीब एक दर्जन पत्र दिल्ली और देश के अलग-अलग कोनों से प्राप्त हो रहे हैं. पटपड़गंज विधानसभा में मेरे साथ काम करते आ रहे बहुत से भाईयों-बहनों के पत्र भी मुझे लगातार मिल रहे हैं.
मनीष सिसोदिया ने लिखा कि बीते एक साल में जेल में रहते हुए, आप सबके बारे में कई घटनाएं याद आती रहती हैं. किस तरह आप सबने निस्वार्थ भाव से अपना तन-मन-धन लगाकर, ईमानदारी और देशभक्ति की राजनीति की मिसाल पेश की है. उससे जुड़ी सैकड़ों घटनाएं एक एव चेहरे के साथ मुझे खूब याद आते हैं. आप सबकी भूमिका ऐसे ही है जैसे किसी समय लोग आजादी की लड़ाई के लिए अपना तन-मन-धन लगाकर देश को आजाद कराने के लिए आगे आए थे.
उस वक्त लोगों ने देश को आजाद कराने का महान काम किया था. आजादी के 75 साल बाद आज आप लोग देश के हर बच्चे को अच्छी शिक्षा, अच्छे स्कूल-कॉलेज के लिए लड़ रहे हैं. जिस तरह अंग्रेजी हुकूमत की तमाम तरह की तानाशाही और जोर जुल्म के बावजूद आजादी का सपना सच हुआ था, वैसे ही मुझे पूरा यकीन है कि एक दिन हमारे भारत के हरेक बच्चे को, राजधानी दिल्ली से लेकर दूर-दराज के गांवों तक के हर बच्चे को सही और अच्छी शिक्षा मिलने का सपना भी जरूर पूरा होगा.
अंग्रेजों को भी बहुत ज्यादा घमंड था, अपनी सत्ता की ताकत पर. अपनी सत्ता के दम पर वे जिसे चाहते, तरह-तरह के घंटे आरोप लगाकर जेल में डाल देते थे. उन्हें भी लगता था कि जेल की दीवारें आजादी के लिए लड़ने वालों का मनोबल तोड़ देंगी. उन्होंने सत्ता के अहंकार में डूबकर गांधी जी को भी कई बार कई वर्षों तक जेल में डालकर रखा था. लेकिन इतिहास गवाह है कि महात्मा गांधी जैसे संत पर झूठे आरोप और तानाशाही बाले कानून लगाकर उन्हें जेल में डालने वाले अंग्रेजी राज का सूरज डूब गया.
आज गांधी जी का नाम सारी दुनिया में इतनी इज्जत से लिया जाता है कि गांधी के नाम का सूरज कभी नहीं डूबता. सत्ता के नशे में चूर इन्हीं अंग्रेजों ने नेल्शन मंडेला को भी 30 साल तक जेल में डालकर रखा लेकिन आज दुनिया जेल में डालने वाले उन तानाशाहों का नहीं बल्कि मंडेला को उनकी लड़ाई के लिए याद करती हैं. ये लोग बहुत बड़े लोग थे. मैं, तो इनके पैरों की धूल के बराबर भी नहीं, लेकिन ये लोग मेरी प्रेरणा हैं. आप सब मेरी ताकत हैं और ये लोग मेरी प्रेरणा है.
पिछले एक साल के दौरान जेल में रहते हुए, मैंने राजनीति में आने के अपने कारण-आपके और अपने सपने पर बहुत बारीकी से चिन्तन-अध्ययन किया है. इससे मेरा अपन संकल्प और अधिक मजबूत हुआ है. यह संकल्प है- "ऐसी शिक्षा-व्यवस्था, जब हम अपने देश में गारंटी के साथ कह सकेंगे कि देश के हर गांव, हर कस्बे, हर शहर में, वहां रहने वाले हर बच्चे के लिए शानदार और मुफ्त शिक्षा व्यवस्था सुनिश्चित हो गई है. हर बच्चे के लिए शानदार और मुफ्त शिक्षा की गारंटी. और शानदार शिक्षा तब होगी, जब'
- हर भारतीय बच्चा स्कूली शिक्षा पूरी करके निकलेंगे तो वह अपने अंदर अध्यात्म की मजबूती पर टिके होंगे. बाहर से ज्ञान-विज्ञान के शिखर पर खड़ा होने को तैयार होंगे. इनमें से एक भी अगर कम है, तो शिक्षा को मैं शानदार नहीं मान सकता.
- यही बच्चा जब कॉलेज से पढ़ाई पूरी करके निकले तो वह दुनिया की बड़ी से बड़ी कंपनी में काम करने के योग्य होने के साथ दुनिया की सबसे टॉप कंपनी बना सकने वाला मस्तिष्क वाले भी हों. क्योंकि, इसके बिना हम विकसित देश बनना तो दूर, बेरोजगारी और गरीबी जैसी बीमारी से नहीं निपट सकेंगे आज के समय में देशों की सामाजिक मजबूती स्कूलों से तय हो रही है और आर्थिक मजबूती कॉलेजों—युनिवर्सिटी के स्तर से तय हो रही है. यानि कोई समाज अपने आप में, अपने सामाजिक ताने बाने के साथ, कितनी मजबूती से खड़ा है, यह इस बात से तय हो रहा है कि उसने स्कूलों में शिक्षा का स्तर कैसा है. उसकी आर्थिक समृद्धि, टेक्नॉलॉजी, व्यापार में उसकी वैश्विक स्थिति व अन्य, इस बात से तय हो रहा है कि उसके यूनिवर्सिटी-कॉलेजों में शिक्षा का स्तर क्या है?
- यह बात हमारे देश की राजनीति को भी समान होगी. आज जब हम भारत को विकसित देश बनाने की बात कर रहे हैं तो यह बात, एक राजनीतिक कार्यकर्ता होने के नाते आप सबके लिए समझना बहुत जरुरी है. विकसित देशों ने अपने स्कूल-कॉलेजों को सिर्फ पढ़ाई पूरी होने का सर्टिफिकेट बांटने के हिसाब से नहीं खड़ा किया है. विकसित देशों में स्कूल का मतलब है- बच्चे को कॉलेज आदि आगे की पढ़ाई के लिए तैयार करने के साथ समाज में जाति-धर्मों का मेलजोल, समानता, स्त्री-पुरुष भेदभाव व पूर्वाग्रह खत्म करने, बच्चों-बुजुर्गों के प्रति समान को संवेदनशील बनाने, झूड-स्वार्थों से व्यक्ति को ऊपर उठाकर प्रकृति व पर्यावरण के प्रति प्रेम से सरने जैसी योग्यताओं से आने वाली पीढ़ी को संपन्न बनाने के लिए जिम्मेदार संस्थान स्कूल सिर्फ कॉलेज 'आदि की पढ़ाई के लिए तैयार नहीं करते बल्कि यह भी तय करते हैं कि हर व्यक्ति, बच्चे का समान रूप से विकास कैसे हो?
इसी तरह कॉलेज-यूनिवर्सिटी सिर्फ बच्चों को अच्छी सी नौकरी देने के लिए नहीं होने चाहि. नई-नई कंपनियां बनाने और नए-नए रोजगार पैदा करने की क्षमता, परिवार की समृद्धि के लिए और पूरे देश की आर्थिक समृद्धि के लिए नौजवान तैयार करके देने का काम देश के सभी कॉलेज-यूनिवर्सिटी की होनी चाहिए.
मैं, मानता हूं कि ऐसे स्कूल ऐसे कॉलेज तैयार करने की गारंटी की राजनीति सभी को लेनी पड़ेगी. और मुझे खुशी है कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी का हर कार्यकर्ता अपने आप कसे शिक्षा क्रांति का सिपाही मानकर चल रहा है. आज सिर्फ दिल्ली ही नहीं, पंजाब में भी शिक्षा क्रांति की खबरें पढ़ने को मुझे मिलती हैं. यह एक बड़ा सुखद परिवर्तन देखने को मिल रहा है.
आजादी के दीवानों के सपनों का भारत यही तो था. भगत सिंह के सपने का भारत गांधी-सुभाष-अंबेडकर साहब के सपनों का भारत यही हो था. आप जानते हैं कि मैंने अपना पूरा जीवन इसी सपने को पूरा करने में लगाने का संकल्प लिया है. आप लोग, पटपड़गंज से लेकर पूरे देश में AAP कार्यकर्ता इसमें मेरी ताकत हैं. अरविंद केजरीवाल जी इसी सपने के पूरा होने की उम्मीद है जेल में रहने के पिछले एक साल में मैंने महसूस किया है कि मेरे मन में आपके प्रति प्यार और विश्वास कई गुना बढ़ा है. आप लोगों का प्यार और विश्वास किसी MLA या मंत्री पद से भी बड़ी ताकत है.
आप में से कईयों के पत्र मुझे मिलते हैं. कई साथियों को मैं कोर्टरूम के बाहर, दूर से आंखों में 'Hello भैया' कहने के लिए घंटों इंतजार करते देखता हूं. कई साथी जो किसी कारण से कोर्टरूम के बाहर तक नहीं पहुंच पाते हैं. बहुत बार मैने कोर्ट परिसर बाहर खड़े होकर उस जेल वैन में झांकते देखा है, जिसमें मुझे लाया जाता है. ये पल भर की हेलो भैया' की आपकी आवाज या जेल वैन की ओर देखती आखें, एक-एक आंख हर बार मेरे चित्त की गहराई में उतर जाती है और मैं कई दिन तक आपने बारे में सोचता रहता हूं.
इस बीच आप सबने सीमा का जितना ध्यान रखा है, उसकी बातें मुझे, सीमा बताती रहती है. वह आप सबकी बात बड़े गर्व से और भावुक हो-होकर बताती है.
जितना प्यार और सम्मान आप सबने मुझे दिया है उसके सामने हर पद हर सम्मान छोटा है. ये तो मैं पहले से जानता था कि आप लोग मुझे बहुत प्यार करते हैं. परंतु जेल जाने का अवसर नहीं आता तो यह जानने का सौभाग्य नहीं मिलता कि आपने मुझे अपने दिल में कितने बड़े पद पर बिए रखा है. इसने सामने में अपनी योग्यता बहुत कम पाता हूं. मैं, ईश्वर से यही प्रार्थना करता हूं कि मुझे आपके इस प्यार और सम्मान के लायक बनने में मेरी मदद करे.
आप अपना ख्याल रखिएगा. और मेरी तरफ से अपने परिवार में सभी को प्यार आशीर्वाद, सम्मान देना. जल्द ही बाहर मिलेंगे.
शिक्षा क्रांति - जिन्दाबाद! Love you All.
जेल से शिक्षा क्रांति के जनक मनीष सिसोदिया जी ने अपनी विधानसभा के लोगों के लिए लिखा भावुक संदेश ❤️
— AAP (@AamAadmiParty) April 5, 2024
इस संदेश को ज़रूर पढ़ें: pic.twitter.com/C6fcagH6ZZ