Manish Sisodia And Satyendar Jain Resigned: दिल्ली (Delhi) में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) की सरकार बनने के बाद शायद ही ऐसा कोई बड़ा तूफान आया होगा, जब 2 कैबिनेट मंत्रियों ने एक ही दिन अपना इस्तीफा दे दिया. मंगलवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने अपने पद से इस्तीफा दिया. दोनों के इस्तीफे को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की ओर से मंजूर भी कर लिया गया है. मनीष सिसोदिया की जहां सीबीआई (CBI) रिमांड पर पूछताछ जारी है, वहीं सत्येंद्र जैन नौ महीने से जेल में बंद हैं.
मनीष सिसोदिया पर दिल्ली आबकारी नीति में हजारों करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है, तो वहीं मनी लॉन्ड्रिंग आरोप में सत्येंद्र जैन महीनों से दिल्ली के जेल में बंद हैं. ऐसी स्थिति में सीएम अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ना स्वभाविक है. भ्रष्टाचार के आरोपों पर कैबिनेट के दो प्रमुख मंत्रियों का एक साथ इस्तीफा देना सरकार चलाने के साथ-साथ पार्टी भविष्य के लिए परेशानी में डालने वाला है.
अब कैसी होगी दिल्ली कैबिनेट की स्थिति?
दिल्ली सरकार में सात में से छह मंत्रालयों को आप के नेताओं के नेताओं की ओर से संभाला जा रहा था, जिसमें सबसे ज्यादा मनीष सिसोदिया के पास 18 विभागों की जिम्मेदारी थी. वहीं सत्येंद्र जैन के पास जेल जाने से पहले स्वास्थ्य सहित कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी थी. ऐसी स्थिति में सीएम केजरीवाल के सामने दिल्ली कैबिनेट की जिम्मेदारी संभालने और पार्टी के शीर्ष नेताओं पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप के बाद भविष्य की नीति निर्धारित करने की बड़ी चुनौती है. मनीष सिसोदिया अकेले 18 महत्वपूर्ण विभाग संभाल रहे थे, जिसमें शिक्षा ,पीडब्ल्यूडी, पर्यटन, वित्त, रोजगार, श्रम, शहरी विकास, जल और योजना सहित कई विभाग शामिल हैं. यानी अब कुल तीन दर्जन से अधिक प्रमुख मंत्रालय खाली है, जिसका सीधा प्रभाव दिल्ली के मूलभूत विकास से जुड़ा हुआ है.
क्या सीएम केजरीवाल नए चेहरे पर करेंगे भरोसा?
दो प्रमुख कैबिनेट मंत्रियों के इस्तीफे के बाद दिल्ली सरकार चलाने के लिए अरविंद केजरीवाल को बेहद काबिल और योग्य चेहरे की जरूरत है. ऐसे में सीएम केजरीवाल को जल्द से जल्द एक बड़ा फैसला लेना होगा, जो दिल्ली के हित के साथ-साथ स्वयं के पार्टी के लिए भी बेहतर हो. अब ये देखना बेहद निर्णायक होगा कि सीएम केजरीवाल क्या इन मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभालने के लिए नए चेहरे पर भरोसा जताते हैं या स्वयं इन मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभालते हैं. इसके अलावा उनके पास अन्य चार मंत्रियों को अतिरिक्त मंत्रालय देने का भी विकल्प मौजूद है.
भ्रष्टाचार मुक्त मुद्दे पर ही राजनीति में आए थे केजरीवाल
दिल्ली में समाजसेवी अन्ना हजारे की ओर से 2011 में लोकपाल विधेयक बनाने की मांग को लेकर एक बड़ा आंदोलन किया गया था. इसमें अरविंद केजरीवाल सहित कई लोग शामिल हुए थे. यहां से ही केजरीवाल की राजनीति में एंट्री हुई थी. पार्टी बनाने से लेकर दिल्ली-पंजाब की सत्ता और बेहद कम समय में आप को राष्ट्रीय पार्टी बनाने तक का सफर तय कर लेते हैं. यह पूरा आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ था और केजरीवाल भी दिल्ली की सियासत में तीन बार एक अच्छी बहुमत के साथ आए कि वह भ्रष्टाचार मुक्त शासन देंगे. अब पार्टी के दो बड़े चेहरों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगना कई मुश्किलें एक साथ खड़ा करने वाला है. ऐसी स्थिति में देखना होगा कि अपने सियासी सफर के साथ-साथ आम आदमी पार्टी की नैया केजरीवाल कैसे पार लगाते हैं.
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