Manish Sisodia And Satyendar Jain Resigns: दिल्ली (Delhi) में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) और उनक सरकार इन दिनों मुश्किलों में घिरी नजर आ रही हैं. मंगलवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने अपने पद इस्तीफा दे दिया. मनीष सिसोदिया ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाला (Delhi Liquor Policy Scam) मामले में सीबाआई (CBI) की ओर से गिरफ्तार किए जाने के बाद इस्तीफा दे दिया, तो वहीं सत्येंद्र जैन पिछले नौ महीने से मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल में बंद है. इससे पहले दिल्ली के एक और कैबिनट मंत्री राजेंद्र पाल गौतम (Rajendra Pal Gautam) ने अपने विवादित बयान पर हंगामा होने के बाद पिछले साल अक्टूबर महीने में इस्तीफा दे दिया था. इस तरफ पिछले लगभग पांच महीनों में दिल्ली सरकार (Delhi Government) के तीन मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं.


मनीष सिसोदिया के इस्तीफे की पूरी वजह



  • दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को बीते रविवार को गिरफ्तारी किया था. इसके बाद सोमवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सिसोदिया को पांच दिन की सीबीआई रिमांड में भेज दिया.

  • सीबीआई की ओर से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक पंकज गुप्ता ने दलील दी, "जांच में सामने आया है कि सिसोदिया ने मौखिक रूप से सचिव को नीति में बदलाव लाने के लिए नया कैबिनेट नोट डालने का निर्देश दिया था. वह आबकारी नीति के लिए कैबिनेट की ओर से गठित मंत्रियों के समूह का नेतृत्व कर रहे थे. लाभ मार्जिन को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया था. वह यह नहीं बता सके कि बदलाव क्यों किए गए."

  • मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी का आधार पिछले साल जुलाई से तैयार किया जा रहा था, जब दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें सिसोदिया पर 'कमीशन' के बदले शराब के लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया गया था.

  • एक सूत्र के मुताबिक, "आबकारी नीति मामले पर सतर्कता विभाग की जांच रिपोर्ट मनीष सिसोदिया और आबकारी विभाग के अधिकारियों की ओर से लिए गए फैसलों से संबंधित है, जिसके परिणामस्वरूप सरकारी खजाने को भारी वित्तीय नुकसान हुआ है. विदेशी शराब के मामले में आयात पास शुल्क और लाभ मार्जिन, शुष्क दिनों की संख्या में कमी और उत्पाद शुल्क नीति के अवैध विस्तार से भी पता चलता है कि नीति ने भारी राजस्व अर्जित करने में मदद की थी." हालांकि, काफी विवाद के बाद अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली कैबिनेट ने पिछले साल जुलाई में आबकारी नीति 2021-22 को वापस ले लिया था.

  • मामले में सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है कि सिसोदिया, तत्कालीन आबकारी आयुक्त अरवा गोपी कृष्णा और उत्पाद शुल्क विभाग के दो अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना साल 2021-22 के लिए आबकारी नीति से संबंधित सिफारिश करने और निविदा के बाद लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के इरादे से निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.


सत्येंद्र जैन ने क्यों दिया इस्तीफा?



  • सत्येंद्र जैन पर आरोप है कि 14 फरवरी 2015 को दिल्ली सरकार में मंत्री बनने के बाद 31 मई 2017 तक उन्होंने ऐसी संपत्ति अर्जित की थी, जो उसकी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक थी. इस मामले में सत्येंद्र जैन को पिछले साल 30 मई को केंद्रीय एजेंसी की ओर से धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया गया था.

  • ईडी ने केंद्रीय जांच ब्यूरो की ओर से 2017 में पीसी अधिनियम, 1988 की धारा 13(2) के साथ धारा 13(1)(ई) के तहत सत्येंद्र जैन, उनकी पत्नी पूनम जैन, अजीत प्रसाद जैन, सुनील कुमार जैन, वैभव जैन और अंकुश जैन के खिलाफ दर्ज एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी.

  • सीबीआई की ओर से 3 दिसंबर 2018 को सत्येंद्र जैन, उनकी पत्नी पूनम जैन और अन्य आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी. इससे पहले ईडी ने 31 मार्च 2022 को जैन के स्वामित्व वाली और नियंत्रित कंपनियों से संबंधित 4.81 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया था.


राजेंद्र पाल गौतम को इसलिए देना पड़ा था इस्तीफा



  • दिल्ली सरकार में समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने पिछले साल अक्टूबर महीने में इस्तीफा दिया था. उस समय उनका एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह एक धर्मांतरण कार्यक्रम में शामिल हुए थे. जहां सैकड़ों लोगों ने बौद्ध धर्म अपनाने के लिए हिंदू धर्म को त्याग दिया. इसे लेकर दिल्ली बीजेपी के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी मंत्री के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी.

  • इसके बाद गौतम ने अपना इस्तीफा पत्र देते हुए कहा था, "मैं कई बंधनों से मुक्त हुआ और आज मेरा नया जन्म हुआ है. अब मैं और अधिक मजबूती से समाज पर होने वाले अत्याचारों और अधिकारों की लड़ाई को बिना किसी बंधन के जारी रखूंगा. बीजेपी को बाबा साहब और उनकी तरफ से दी गई 22 शपथों पर आपत्ति है. बीजेपी इसका इस्तेमाल गंदी राजनीति करने के लिए कर रही है, जिससे मुझे चोट पहुंची है और मैं अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे रहा हूं."


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