Manish Sisodia And Satyendar Jain Resigns: दिल्ली (Delhi) के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद से उनके और पिछले नौ महीनों से जेल में बंद स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के अपने पद से इस्तीफे के बाद राजनीति काफी गरमाई हुई है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने दोनों के इस्तीफे को स्वीकार भी कर लिया है. अब सवाल ये उठता है कि जिस मंत्री के नौ महीने जेल में रहने के बाद भी केजरीवाल ने न तो उनसे इस्तीफा लिया और न ही उन्हें बर्खास्त किया, तो मंगलवार को अचानक ऐसा क्या हो गया, जो सिसोदिया के साथ-साथ सत्येंद्र जैन ने भी इस्तीफा दे दिया.


राजनीतिक विश्लेषक रॉबिन शर्मा के मुताबिक केजरीवाल ये दर्शना चाहते हैं कि उन्हें या उनके साथियों को पद का लालच नहीं है. उन पर आरोप लगे तो उन्होंने अपना पद त्याग दिया और उन्होंने स्वीकार भी कर लिया. केजरीवाल ने अपनी साख बचाने की कोशिश में उनका इस्तीफा लिया है, लेकिन इससे कुछ फायदा उन्हें होने वाला नहीं है. हां, अगर यही इस्तीफा उन्होंने सत्येंद्र जैन के जेल जाने के बाद लिया होता या उन्हें उनके पद से बर्खास्त कर दिया होता, तो इससे जरूर उन्हें फायदा मिलता.


सीएम केजरीवाल के पास सिर्फ एक विकल्प


उन्होंने कहा कि आज केजरीवाल के दो मंत्री जेल में बंद हैं और वो भी अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी रखने वाले. ऐसे में केजरीवाल के सामने अब एक ही विकल्प बचा है कि वो जल्द से जल्द नए मंत्रियों की नियुक्ति कर विभागों का बंटवारा करें और सरकार को सुचारू रूप से चलाएं, जो कि उन्हें काफी पहले ही कर लेना चाहिए था.


'समय रहते नए मंत्रियों की नियुक्ति क्यों नहीं?'


रॉबिन शर्मा के अनुसार जब सत्येंद्र जैन जेल गए तो उनके विभागों की जिम्मेदारी भी मनीष सिसोदिया को दे दी गई. सिसोदिया के पास सत्येंद्र जैन के मंत्रालय सहित कुल डेढ़ दर्जन मंत्रालय थे. वे अकेले इतने मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभा रहे थे और जब केजरीवाल कई महीनों से ये बात कहते आ रहे हैं कि सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया जाएगा, तो उन्होंने समय रहते मंत्रालयों का बंटवारा कर नए मंत्रियों की नियुक्ति क्यों नहीं की?


सिसोदिया ने लाखों लोगों को नशे की दलदल में धकेला: रॉबिन शर्मा


उन्होंने कहा कि सिसोदिया ने दिल्ली के स्कूलों की बेहतरी और शिक्षा को उच्च स्तर के बनाने में योगदान तो किया है, लेकिन साथ ही आबकारी मंत्री होने के नाते उन्होंने स्कूल-कॉलेजों, गली-मुहल्लों में शराब की दुकानों को खुलवा कर बहुत ही गलत काम किया. एक तरफ तो वो बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा स्तर को सुधारने की बात करते थे तो वहीं दूसरी तरफ शराब तक आसानी से पहुंच का रास्ता साफ कर उन्होंने हजारों घरों और युवाओं सहित लाखों लोगों को नशे की दलदल में भी धकेल दिया.


'दिखावा है दोनों मंत्रियों का इस्तीफा'


राजनीतिक विशेषज्ञ का कहना है कि आप के दोनों आरोपी मंत्रियों को पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए था. केजरीवाल को भी आरोपी मंत्रियों का साथ देने से बचना चाहिए था, जो कि उन्होंने नहीं किया. अब जो इन्होंने दोनों मंत्रियों से इस्तीफा लिया है, वो सिर्फ दिखावे के लिए है. गौरतलब है कि सिसोदिया अपनी बेल की अर्जी लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे, जहां सुप्रीम कोर्ट ने ये कहते हुए इस मामले में सुनवाई करने से मना कर दिया कि 'मामला दिल्ली का है, सिर्फ इसलिए आप हमारे पास नहीं आ सकते हैं. मामला निचली अदालत में है, तो आप अपनी अर्जी हाईकोर्ट में लगाए."


किसे मिलेगा कौन सा विभाग?


सुप्रीम कोर्ट के सुनवाई से इनकार करने के बाद ही सिसोदिया और सत्येंद्र जैन ने अपना इस्तीफा सीएम अरविंद केजरीवाल को भेज दिया. इसे केजरीवाल ने स्वीकार भी कर लिया है. अब आने वाले दिनों में क्या होता है और कौन-कौन से नए चेहरे केजरीवाल के मंत्रिमंडल में शामिल होते हैं और किसे कौन सा विभाग मिलता है, ये तो आने वाले वक्त में ही पता चल पाएगा, लेकिन अब शायद केजरीवाल एक मंत्री को बहुत ज्यादा मंत्रालय देने की गलती नहीं करेंगे.


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