Delhi: '15 से 20 साल पुराने आदेश बदल सकते हैं', जानिए मनीष सिसोदिया ने क्यों दिया ये बयान
Delhi Politics: दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना सहमति और असहमति जता सकते हैं, लेकिन एलजी कुछ भी पलट दे रहे है.
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Delhi LG vs CM: दिल्ली एलजी बनाम सीएम: दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना द्वारा शनिवार को डिस्कॉम बोर्ड से आप के दो नेताओं को हटाए जाने के बाद डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि एलजी विनय सक्सेना साहब जब से आए हैं, हर रोज एक नया आदेश पारित करते हैं. उनका आदेश ये दिखाता है कि ना तो वो सुप्रीम कोर्ट का आर्डर मानते हैं और ना ही संविधान को मानते हैं. आज इसी सीरीज में एक नया आदेश उन्होंने दिया है. उन्होंने आज केजरीवाल कैबिनेट द्वारा 4 साल पहले के पास फैसले को पलट दिया है.
बिजली विभाग में 4 साल से जो बोर्ड डायरेक्टर काम कर रहे हैं, आज अपने आदेश से एलजी ने उन्हीं को बदलने का काम किया है. इससे तो 15 से 20 साल पुराने आर्डर भी बदल सकते है. उन्होंने कहा कि नीतिगत मसलों पर निर्णय लेने का अधिकार मुख्यमंत्री और चुनी हुई सरकार के पास है. एलजी विनय सक्सेना सहमति और असहमति दे सकते हैं लेकिन उपराज्यपाल कुछ भी पलट दे रहे है.
3 मामलों में LG को है फैसला लेने का हक
डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ 3 मामलों में उन्हें फैसला लेने का अधिकार दिया है. ऐसे में बाकी चीजों में उनको हस्तक्षेप करने का कोई हक नहीं है. एलजी आपत्ति भी किसी बहुत खास मामले में ही कर सकते है. एलजी की ड्यूटी है कि पहले वो मंत्री और मुख्यमंत्री को बुलाकर उनसे चर्चा करेंगे. फिर कैबिनेट में फैसले लिए जाएंगे. अगर ऐसा नहीं होता तो फिर वो केंद्र सरकार को भेज सकते हैं.
आरोपों की जांच क्यों नहीं कराते?
डिप्टी सीएम का कहना है कि दिल्ली के मामले में LG किसी संविधान को और किसी सिस्टम को नहीं मानते. अब उपराज्यपाल 8000 करोड़ रुपए के घोटाले के आरोप लगा रहे हैं. उसकी ये जांच करवा लें, लेकिन इस तरह आप कैबिनेट का फैसला नहीं बदल सकते.
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