Manmohan Singh Died: विख्यात अर्थशास्त्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह न केवल देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं, बल्कि उन्होंने कई अहम संवैधानिक पदों पर प्रधानमंत्री बनने से पहले अपनी सेवाएं दी और भारत मे उदारीकरण का बड़ा श्रेय डॉ. मनमोहन सिंह को जाता है. लेकिन आज हम उनके राजनीतिक जीवन की बात न करके उनके जीवन के एक दूसरे पहलू के बारे में बात करने जा रहे हैं.
सिंह ने अपने जीवन काल का एक बड़ा हिस्सा राजधानी दिल्ली में बिताया, इसलिए उन्हें दिल्ली से लगाव भी खूब रहा. खास तौर पर पुरानी दिल्ली और वहां के चांदनी चौक इलाके से उनका गहरा नाता रहा है.
15 वर्षों तक लगातार पुरानी दिल्ली के रामलीला मंचन में हुए थे शामिल
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को पुरानी दिल्ली की रामलीलाओं से भी खूब लगाव था, यही वजह है कि लगातार 15 वर्षों तक हर वर्ष वे रामलीला का मंचन देखने पुरानी दिल्ली जाते रहे थे. पीएम बनने के बाद वर्ष 2004 से 2013 तक वे हर वर्ष रामलीला मैदान में आयोजित होने वाली रामलीला उत्सव में शरीक होते थे और रावण पर तीर चला कर बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देते थे.
कई मौकों पर कांग्रेस पार्टी की पूर्व अध्यक्षा सोनिया गांधी भी उनके साथ रामलीला मंचन का लुत्फ उठाने उनके साथ रामलीला उत्सव में शामिल हुई थी. वहीं, वर्ष 2017 में एक मौके पर वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ भी दशहरा उत्सव में नजर आए थे. उस वक्त वे लाल किला मैदान में होने वाली लीला के आयोजन में शामिल हुए थे.
इस कारण टूटा रामलीला जाने का सिलसिला
प्रधानमंत्री रहते तो वे रामलीलाओं में शिरकत करते ही रहे, लेकिन वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद भी यह सिलसिला वर्ष 2019 तक बदस्तूर जारी रहा. अंतिम बार उन्होंने दशहरा उत्सव में वर्ष 2019 में कबूतर उड़ाकर शांति का संदेश भी दिया था. लेकिन उसके बाद वर्ष 2020 में आई वैश्विक कोरोना महामारी और फिर उनके बिगड़ते स्वास्थ्य ने उन्हें रामलीला उत्सव से दूर कर दिया.
चांदनी चौक से भी रहा विशेष लगाव
रामलीला मैदान की श्री रामलीला कमेटी के पूर्व संरक्षक एवं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में दौरान लोकसभा सांसद रहे जयप्रकाश अग्रवाल बताते हैं कि, सिंह न केवल रामलीला के मंचन का लुत्फ उठाते थे, बल्कि इस आयोजन में शामिल हो कर वे श्रद्धापूर्वक प्रभु राम, लक्ष्मण और माता सीता की आरती उतारते थे और उन्हें तिलक लगाते थे. अग्रवाल ने बताया कि, सिंह को चांदनी चौक इलाके से भी विशेष लगाव था और अक्सर उनसे मुलाकातों के दौरान वे चांदनी चौक की बातें करके वहां के बारे में जानकारी लेते थे.
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