Samvidhan Hatya Diwas 2024: केंद्र सरकार ने आपातकाल की याद में 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का फैसला लिया है. इसके लेकर बीजेपी के नेताओं द्वारा बयान देने का सिलसिला जारी है. अब उत्तर पूर्व दिल्ली से बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि संविधान हमारे देश के लिए एक बहुत पवित्र ग्रंथ है. उसी के अनुसार हमारा देश चलता है. 


उन्होंने कहा, "25 जून 1975 में कांग्रेस के शासन में संविधान को दरकिनार कर दिया गया था. उसकी जगह आपातकाल घोषित कर दिया गया. जिन लोगों ने आपातकाल के खिलाफ बोला, उनको या तो मार डाला गया या जेल में बंद कर दिया गया."


 






'संविधान की सुरक्षा के लिए 25 जून याद रखना जरूरी'


अब 25 जून को भारत सरकार ने संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है, तो मैं समझता हूं कि देश के लोग आज केंद्र सरकार को धन्यवाद दे रहे होंगे. ताकि संविधान की आगे कोई इस प्रकार से हत्या ना कर सके. इसलिए, उस दिवस को याद रखना है. ऐसा इसलिए कि आने वाले दिनों में आज जिस संविधान की चर्चा हो रही है, हम उसके अनुसार चल सकें और समाज को सुरक्षित रख सकें.


इस दिन हुई थी इमरजेंसी की घोषणा


बता दें कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाने की घोषणा की थी. इसी के साथ आम लोगों की स्वतंत्रता समाप्त कर दी गई थी. तत्कालीन केंद्र सरकार तय करने लगी थी कि वे कितने बच्चे पैदा करेंगे, क्या बोलेंगे, क्या देखेंगे?


देश में 21 महीनों तक विरोधी दलों के नेता या तो जेल में बंद कर दिए गए या वे फरार हो गए. इंदिरा गांधी इमरजेंसी लगाकर बहुत ज्यादा ताकतवर हो चुकी थीं. संसद, अदालत, मीडिया किसी में उनके खिलाफ बोलने की ताकत नहीं रह गई थी. अब देश के उस काले पहलू को याद रखने के लिए केंद्र सरकार ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया है.