'...देश के लिए हानिकारक है', मुस्लिमों के खिलाफ दुष्प्रचार का आरोप लगाकर मदमूद मदनी ने क्या कहा?
Jamiat Ulama-I-Hind: जमीयत प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि सरकारी संस्थानों में भर्ती पर खास ध्यान दिए जाने की जरूरत है. व्यवस्था से बाहर रह कर भेदभाव से छुटकारा पाना बहुत मुश्किल है.
Jamiat Ulama-i-Hind Delhi Meet: मुस्लिम सगंठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एमएम समूह) ने केंद्र सरकार से ‘इस्लामोफोबिया’ के खिलाफ अलग से कानून बनाने की मांग की है. संगठन की ओर से चार जुलाई को कहा गया है कि कि चुनाव में नफरती बयान देने पर राजनीतिक दलों का पंजीकरण व उम्मीदवारों का नामांकन रद्द किया जाना चाहिए. संगठन ने एक बयान में कहा कि नफरती घटनाएं “गांधी (महात्मा गांधी) और नेहरू (पंडित जवाहर लाल नेहरू) के भारत के लिए शर्मनाक हैं.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से जारी बयान के अनुसार संगठन के प्रमुख और राज्यसभा के पूर्व सदस्य मौलाना महमूद मदनी ने कहा, “भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करना और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ दुष्प्रचार देश के लिए हानिकारक है. इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारे प्यारे देश की छवि धूमिल हो रही है.”
उन्होंने सरकारी संस्थानों में भर्ती पर खास ध्यान दिए जाने की जरूरत बताते हुए कहा कि इसके लिए प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जाएं, क्योंकि व्यवस्था से बाहर रह कर भेदभावपूर्ण रवैये से छुटकारा पाना बहुत मुश्किल काम है.
'इस्लामोफोबिया के खिलाफ अलग से बने कानून'
मौलाना महमूद मदनी ने नफरत का मुकाबला प्यार से करने पर जोर देते हुए कहा कि सभी वर्गों के साथ संवाद और आपसी समन्वय को बढ़ावा देना समय की मांग है. गलतफहमियों को दूर किया जाना चाहिए. महासभा में ‘इस्लामोफोबिया’ के खिलाफ अलग से कानून बनाने की मांग करते हुए दावा किया गया है कि देश को ‘इस्लामोफोबिया’ और मुसलमानों के खिलाफ घृणा और उकसावे का रोग लग गया है.
नरसंहार के लिए ये हैं जिम्मेदार
जमीयत उलेमा ए हिंद की महासभा ने गाजा में इजराइल-हमास जंग को लेकर भी प्रस्ताव पारित किया. जमीयत के प्रस्ताव में फिलिस्तीन में जारी “नरसंहार” पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए सभी देशों, खासकर अमेरिका, ब्रिटेन और भारत से मांग की गई है कि कब्जा करने वाले शासकों को हथियार और गोला-बारूद का निर्यात बंद किया जाएं. इसमें कहा गया है कि जो देश इजराइल को हथियार और राजनीतिक सहायता प्रदान करते हैं, वे भी इस “नरसंहार” में समान रूप से हिस्सेदार हैं.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की महासभा की राष्ट्रीय राजधानी में दो दिवसीय बैठक के पहले दिन नफरती अभियान और ‘इस्लामोफोबिया’ से मुकाबला करने और फलस्तीन में इजराइल की “दमनकारी सरकार द्वारा जारी नरसंहार” पर प्रस्ताव पारित किए गए.