Delhi MCD News: दिल्ली नगर निगम का बजट तय समय में पेश नहीं होने पर दिल्ली कांग्रेस ने सख्त नाराजगी जाहिर की है. दिल्ली कांग्रेस के नेताओं ने इसे आप सरकार की बदइंतजामी करार दिया है. एमसीडी में कांग्रेस दल की नेता नाजिया दानिश ने कहा कि जिस तरह की बजट को लेकर खबरे सामने आ रही है कि वर्ष 2023-24 के लिए 15,523 करोड़ रुपये की आय का अनुमान लगाया गया था, जिसमें से 16,023 करोड़ रुपये का व्यय अनुमानित था. इससे तय है कि लगभग 500 करोड़ घाटे का बजट पेश होगा. घाटे को पाटने के लिए आप सरकार की नगर निगम संपत्ति कर से राजस्व बढ़ाने की योजना है. 


नाजिया दानिश ने कहा कि कांग्रेस टोल टैक्स से राजस्व बढ़ाने की किसी प्रकार की योजना का विरोध करेगी. इससे दिल्लीवासियों पर बोझ पड़ेगा। उन्होंने कहा कि बीजेपी और आम आदमी पार्टी के सत्ता की लालसा के कारण निगम चुनाव को एक साल पूरा होने के बावजूद दिल्ली में नगर निगम द्वारा विकास के काम ठप पड़े हैं. नगर निगम पार्षद अपने क्षेत्र में जनता के विकास कार्य नही करवा पा रहे हैं।


सीधे सदन में पेश होगा एमसीडी का बज


वहीं दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग के वाईस चेयरमैन अनुज आत्रेय ने कहा कि बीजेपी और आम आदमी पार्टी की नूरा कुश्ती की वजह से स्थायी समिति का गठन नहीं होने के कारण इतिहास में पहली बार सीधा निगम के सदन में बजट पेश करने का निर्णय हुआ है। निगम की सबसे महत्वपूर्ण कमेटी का गठन नहीं हो पाया है, जिसके कारण बजट स्थायी समिति के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जा सका। नियमानुसार यह बजट स्थायी समिति के समक्ष पेश किया जाता है। वार्ड समितियों से लेकर तदर्थ और विशेष समितियां अपना बजट स्थायी समिति को देती थीं, लेकिन दिल्ली की जनता का दुर्भाग्य है कि स्थायी समिति सहित नगर निगम में अब तक इन समितियों का गठन ही नहीं हुआ है।


मेयर और निगमायुक्त के बीच तालमेल का अभाव


दिल्ली नगर निगम के पूर्व नेता जितेंद्र कोचर ने कहा कि दिल्ली नगर निगम द्वारा तय तारीख के बावजूद अंतिम समय बजट पेश नही कर पाना निगम में बदइंतजामी का नतीजा दिखाता है। निगम ने बजट नहीं पेश करने और बजट की कॉपी तक निगम पार्षदों को मुहैया न कराने पर कांग्रेस पार्टी इसकी कड़ी निंदा करती है। इतिहास में पहली बार हुआ है कि दिल्ली नगर निगम का तय बजट निर्धारित समय पर पेश नहीं हुआ और पोस्टपोन कर दिया गया. जबकि निगम आयुक्त द्वारा निगम की आम बैठक में बजट पेश होना 3 से 4 दिन पहले तय हुआ था। महापौर के आदेश के बाद निगम सचिव ने अचानक बजट को पोस्टपोन करने के संबधित आदेश जारी कर दिए. इसकी जानकारी तक निगम पार्षदों को नहीं दी गई. जितेंद्र कोचर ने हैरानी जताते हुए कहा कि महापौर को बजट प्रस्तुत करने से 2 घंटे पहले अचानक याद आया कि बजट के लिए जनता से भी राय करना होता है. जबकि निगम आयुक्त ने बजट को फाइनल कर आज पेश करने की तैयारी कर ली थी। साफ है कि महापौर और निगम आयुक्त के बीच कोई तालमेल नहीं है. 


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