MCD Action On Fire Incidents: बीते कुछ दिनों से राजधानी में पड़ रही प्रचंड गर्मी के बीच आगजनी की घटनाओं में भी इजाफा हुआ है, जिसमें सबसे ज्यादा आग बिजली के शॉर्ट-सर्किट की वजह से लग रहे हैं. जिसे देखते हुए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने अपने भवनों में आग लगने की घटना को कम से कम करने और एहतिहातन बचाव के प्रयास तहत कुछ आवश्यक दिशानिर्देश जारी किए हैं. 


एमसीडी की ओर से विभागीय स्तर पर जारी निर्देश के अनुसार भवनों में अग्निशमन प्रणाली का निरीक्षण, विद्युत लोड ऑडिट, स्मोक डिटेक्टर, फायर अलार्म और ऑटोमैटिक वाटर स्प्रिंकल लगाने के साथ सभी अधिकारियों को अग्नि सुरक्षा निर्देशों पर अमल करने को कहा है. 


इसके अलावा, हाइड्रेंट और अलार्म की जांच करेंगे, जिसमें अग्निशामक यंत्रों की एक्सपायरी की जांच, हाइड्रेंट की उपलब्धता सुनिश्चित करना और पर्याप्त पानी के दबाव की सुनिश्चित करने और अग्नि अलार्म की जांच आदि शामिल हैं. जांच के साथ यह भी कहा गया कि सभी अग्नि सुरक्षा उपकरणों के लिए एक रखरखाव कार्यक्रम बनाया जाएं. जिसमें अग्निशामक यंत्रों की मासिक जांच, अग्नि अलार्म और हाइड्रेंट की त्रैमासिक परीक्षण शामिल हो. इलेक्ट्रियल डक्ट्स के लिए गैर-ज्वलनशील सामग्री व ज्वलनशील सामग्री का प्रबंधन करने पर भी जोर दिया जाएगा.


सुरक्षा मानदंडों का पालन सभी के लिए अनिवार्य


एमसीडी ने ये सभी उपाय अपने सभी भवनों खासतौर पर अस्पतालों, डिस्पेंसरियों, स्कूलों, सामुदायिक केंद्रों, मल्टी-लेवल पार्किंग प्लेस, जोनल कार्यालयों और अन्य इमारतों में लागू करने के निर्देश दिए हैं. जहां बड़ी संख्या में लोग जमा होते हैं. एमसीडी के निर्देश के मुताबिक इन उपायों को लागू करना और निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है.


इमारत की बिजली खपत खास तौर पर उच्च मांग वाले क्षेत्रों जैसे आईसीयू का मूल्यांकन करने के लिए वर्ष में दो बार विद्युत ऑडिट को एमसीडी ने आवश्यक बताया है. बिजली के लोड की निगरानी और ओवरलोडिंग को रोकने के लिए ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली का उपयोग करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही यह भी सुनिश्चित करने कहा गया कि सिंगल सर्किट में कई हाई पॉवर उपकरणों को कनेक्ट न किया जाए.


एमसीडी ने अपने अस्पतालों के आईसीयू और ऑपरेशन थिएटर सहित महत्वपूर्ण क्षेत्रों में संबंधित अधिकारियों से वाटर स्प्रिंकल और सुलभ होज पाइप फिट कराने को कहा है. साथ ही यह सिस्टम फायर अलार्म सिस्टम के साथ लिंक होना चाहिए. ताकि आग लगने की स्थिति में तत्काल सक्रिय हो सके.


स्टाफ प्रशिक्षण और ड्रिल्स


सभी स्टाफ को अग्नि सुरक्षा, आपातकालीन प्रक्रियाओं और अग्निशमन उपकरणों के उपयोग पर एक निरंतर प्रशिक्षण कार्यक्रम अमल करने को कहा गया है. वर्ष में दो बार अग्नि ड्रिल्स व निकासी ड्रिल्स का आयोजन करना शामिल है. ताकि स्टाफ, डॉक्टर और मरीज आपातकालीन स्थिति में कैसे प्रतिक्रिया करें, यह पता लगाया जा सके.


एनबीसी का पालन जरूरी 


राष्ट्रीय भवन कोड 2016 के अनुसार नवीनतम अग्नि सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए अस्पताल के बुनियादी ढांचे की नियमित समीक्षा एवं अपडेट करने को कहा गया है. इसमें उचित वेंटिलेशन सिस्टम, अग्नि-प्रतिरोधी दरवाजे और गलियारों और सीढ़ियों में आपातकालीन लाइट शामिल हैं.


फायर सेफ्टी एनओसी प्राप्त करना 


अग्नि सुरक्षा नियमों के अनुसार अग्नि सुरक्षा अनापत्ति प्रमाणपत्र का वार्षिक नवीनीकरण करें. इसमें अग्नि सुरक्षा योजनाओं और उपकरणों के रखरखाव और स्टाफ प्रशिक्षण के रिकॉर्ड को अपडेट कर जमा करना शामिल है. दिल्ली नगर निगम इन उपायों को लागू करके अपनी इमारतों की अग्नि सुरक्षा की तैयारी को महत्वपूर्ण रूप से बेहतर करना चाहता है जिससे निवासियों, कर्मचारियों और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.


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