Delhi Mayor Election: दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) मेयर का चुनाव 22 फरवरी को होगा. 22 फरवरी को सुबह 11 बजे एमसीडी (MCD) सदन में मेयर का चुनाव होगा. शनिवार सुबह मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने एलजी विनय सक्सेना (Vinai Saxena) को पत्र लिखा था. उन्होंने पत्र में 22 फरवरी को मेयर चुनाव कराने की बात कही थी. इसके बाद एलजी विनय सक्सेना ने 22 फरवरी की तारीख को मंजूरी दे दी.


आपको बता दें कि शुक्रवार को आम आदमी पार्टी को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मनोनीत सदस्य दिल्ली नगर निगम के मेयर के चुनाव में मतदान नहीं कर सकते हैं. साथ ही सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने 24 घंटे में एमसीडी की पहली बैठक बुलाने और मेयर, डिप्टी मेयर और स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव की तारीख तय करने का नोटिस जारी करने का भी आदेश दिया था.


सुप्रीम कोर्ट ने आप की इस दलील को भी किया था स्वीकार


पीठ ने आप की इस दलील को भी स्वीकार कर लिया कि मेयर चुने जाने के बाद वह डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों के चुनाव की अध्यक्षता करेंगे, न कि प्रोटेम पीठासीन अधिकारी की. सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 243आर और दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 3 (3) पर भरोसा करते हुए कहा कि प्रशासक की ओर से नामित व्यक्तियों को वोट देने का अधिकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने 13 फरवरी को मौखिक रूसे से कहा था कि मनोनीत सदस्य मेयर के चुनाव में मतदान नहीं कर सकते हैं.


सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया था कि मनोनीत सदस्य चुनाव में नहीं जा सकते हैं और संवैधानिक प्रावधान बहुत स्पष्ट हैं. याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया था कि संविधान का अनुच्छेद 243आर इसे बहुत स्पष्ट करता है. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने अपनी ओर से सुझाव दिया कि 16 फरवरी को होने वाला चुनाव 17 फरवरी के बाद हो सकता है.


चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने और क्या कहा था?


इस पर चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने जैन से पूछा था कि क्या आप इस तथ्य पर विवाद कर रहे हैं कि मनोनीत सदस्यों को मतदान नहीं करना चाहिए, यह बहुत अच्छी तरह से सुलझा हुआ है. यह एक स्पष्ट संवैधानिक प्रावधान है. वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि हमें आधिपत्य को मनाने का अवसर मिलना चाहिए जो अनुमेय हो सकता है.


चीफ जस्टिस ने पूछा था कि किस प्रावधान के तहत इसकी अनुमति है? सिंह ने कहा कि वह प्रावधान जिसके तहत वह सदस्यों को स्थायी समिति का हिस्सा बनने की अनुमति देते हैं और वह पूर्ण सदस्य बन जाते हैं और सुप्रीम कोर्ट से इस मामले पर बहस करने के लिए कुछ समय देने का आग्रह किया. सिंघवी ने कहा कि एक भ्रम है, निगम के एल्डरमेन को बाहर रखा गया है, निगम में उन्हें विशेष रूप से बाहर रखा गया है, स्थायी समिति में वे मतदान कर सकते हैं और हम स्थायी समिति में नहीं हैं. सिंह ने उत्तर दिया कि यह उस तर्क के लिए है जिस पर विचार किया जाना है.


आप की मेयर प्रत्याशी शैली ओबेरॉय ने दायर की थी याचिका


पीठ ने कहा कि उन्हें एक समिति में अनुमति दी जाएगी, यह मामले का एक अलग पहलू है. सिंह ने कहा कि तीन समितियां हैं जो निगम का ही गठन करती हैं. सुप्रीम कोर्ट दिल्ली नगर निगम के मेयर के चुनाव के संबंध में आप की मेयर प्रत्याशी शैली ओबेरॉय की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. ओबेरॉय का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता शादान फरासत ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता दो दिशाओं की मांग कर रहा है- नामांकित सदस्यों को वोट देने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और मेयर, डिप्टी मेयर और स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव अलग-अलग होने चाहिए.


उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है और यह तर्क देने के लिए डीएमसी अधिनियम की धारा 76 पर भी निर्भर है कि महापौर और उप महापौर को सभी बैठकों की अध्यक्षता करनी होती है. यह तर्क दिया गया कि तीन पदों (मेयर, डिप्टी मेयर और स्थायी समिति के सदस्य) के लिए एक साथ चुनाव कराना डीएमसी अधिनियम के विपरीत है.


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