एमसीडी ने शहर के लैंडफिल पर एक स्थिति रिपोर्ट दिल्ली नगर निगम आयुक्त को सौंप दी है. माना जा रहा है कि यह रिपोर्ट जल्द ही दिल्ली के एलजी कार्यलाय में भेजी जाएगी. बता दें कि दिल्ली के नए उपराज्यपाल ने रविवार को लैंडफिल का दौरा किया था और उन्होंने कहा था कि दिल्ली के कूड़े के पहाड़ कैसे खत्म होंगे इसके लिए तीन दिनों में रिपोर्ट तैयार करके भेजें.


इस पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नगर निगम आयुक्त ने प्रत्येक लैंडफिल के लिए 15-20 अधिकारियों की एक टीम नियुक्त की है. यह टीम दिल्ली के तीनों लैंडफिल गाजीपुर, भलस्वा और ओखला के क्षेत्र में उनके अनुभव के आधार पर बायोमाइनिंग कार्य की निगरानी करेगी. हमने प्रत्येक लैंडफिल पर प्रसंस्करण और बायोमाइनिंग विरासत कचरे के लिए एक महीने का लक्ष्य निर्धारित किया है और रिपोर्ट में आवश्यक पैसे का भी जिक्र किया है.


लैंडफिल के लिए हर महीने ऊंचाई में कमी को मापना और स्थिति को सत्यापित करने के लिए हर दो महीने के बाद ड्रोन सर्वेक्षण करना होता है. इसके लिए अब हर महीने की रिपोर्ट एलजी के कार्यालय को भेजी जाएगी. नगर निगम की तरफ से कहा गया कि राज्य और केंद्र सरकारों ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत सुधार कार्य के लिए 174 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. जहां केंद्र ने मिशन के तहत तीन लैंडफिल पर पुराने कचरे के सुधार के लिए 776 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी है, इसके लिए अब तक 174 करोड़ रुपये की किस्त मंजूर की गई है.


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भलस्वा लैंडफिल को समतल करने की समय सीमा जुलाई 2023, ओखला के लिए दिसंबर 2023 और गाजीपुर के लिए दिसंबर 2024 है. तीनों लैंडफिल पर लगभग 280 लाख टन कचरा पड़ा है, जिसमें से लगभग 60% निष्क्रिय है. वर्तमान में एमसीडी एनटीपीसी बदरपुर, ताजपुर पहाड़ी, एनएचएआई के जैतपुर-फरीदाबाद रोड और शहरी विस्तार रोड और मीठापुर में एक साइट को निष्क्रिय कचड़ा भेजता है. इन साइटों पर बायोमाइनिंग के बाद उत्पन्न 20% से अधिक निष्क्रियता का उपयोग नहीं किया जाता है.  


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