Delhi: महरौली में झुग्गियों के डिमोलीशन का मामला, हाई कोर्ट ने दिया यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश
Mehrauli Slum Colony: हाईकोर्ट ने महरौली में दिल्ली विकास प्राधिकरण के अतिक्रमण विरोधी अभियान पर तत्काल रोक लगा दी है. कोर्ट ने 14 फरवरी की सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने को कहा है.
Mehrauli Jhuggis: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अधिकारियों को महरौली की एक झुग्गी बस्ती की 400 झुग्गियों पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया. इन झुग्गियों को दिन में गिराया जाना था. हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) और दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) सहित अधिकारियों के वकील के पास आज पूर्ण निर्देश नहीं थे, मामले को 14 फरवरी को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है.
न्यायमूर्ति मनप्रीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की कोर्ट में था मामला
न्यायमूर्ति मनप्रीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने कहा कि याचिका में किए गए तर्कों के आलोक में कि घोसिया स्लम कॉलोनी एक झुग्गी क्लस्टर है, जिसे डीयूएसआईबी की ओर से अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित सूची में विधिवत सूचीबद्ध किया गया है, जिसमें 400 झुग्गियों को रिकॉर्ड किया गया है, साथ ही 2015 की नीति और यह भी तथ्य है कि प्रतिवादियों के पास मामले में निर्देश नहीं है, प्रतिवादियों को सुनवाई की अगली तारीख तक डीयूएसआईबी की ओर से सत्यापित 400 झुग्गियों के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया जाता है.
महरौली पुरातत्व पार्क का हिस्सा बता रहा डीडीए
डीडीए ने शुक्रवार को पुलिस सुरक्षा के बीच महरौली इलाके में तोड़फोड़ अभियान शुरू किया. स्थानीय लोगों ने दावा किया कि अंधेरिया मोड़ पर औलिया मस्जिद के पास दो और तीन मंजिला इमारतों और कुछ झुग्गियों को अभियान के दौरान सुबह में गिरा दिया गया. यह दावा किया गया है कि जिस भूमि पर कथित अतिक्रमण किया गया था, वह डीडीए, वक्फ बोर्ड और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) सहित कई एजेंसियों की थी. इन्हें तोड़ने के लिए दिए गए नोटिस के अनुसार, जिस भूमि पर निर्माण को तोड़ा किया जा रहा है, वह महरौली पुरातत्व पार्क का हिस्सा है और 'मौजूदा अनाधिकृत अतिक्रमण' पार्क के विकास में अवरोध के रूप में काम कर रहा है.
एक अन्य याचिका पर सुनवाई होगी 16 फरवरी को
इस बीच, हाईकोर्ट ने एक अलग याचिका में अधिकारियों को महरौली गांव में एक विशेष इमारत के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का भी निर्देश दिया, जिसका दावा किया गया था कि विध्वंस आदेश में इसका उल्लेख नहीं किया गया था. न्यायमूर्ति ने कहा कि हालांकि, याचिका में कहा गया है कि इस 'खसरा' में भी विध्वंस की कार्रवाई प्रस्तावित की जा रही है, जो 12 दिसंबर, 2022 के विध्वंस आदेश के विपरीत है. इस तथ्य के मद्देनजर कि 12 दिसंबर, 2022 के विध्वंस आदेश में खसरा संख्या 1151/3 मिनट का कोई उल्लेख नहीं है, यह निर्देश दिया जाता है कि सुनवाई की अगली तारीख तक संबंधित संपत्ति के संबंध में यथास्थिति बनाई रखी जाए. यह अदालत ने गुण-दोष के आधार पर इस मुद्दे की जांच नहीं की है. इस याचिका पर अगली सुनवाई 16 फरवरी को होगी.
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