DMRC Phase 4: दिल्ली मेट्रो शहर में फेज चार का निर्माण कर रहा है. इस प्रस्तावित रिठाला-नरेला मेट्रो कॉरिडोर की परियोजना में डीएमआरसी ने एक बार फिर से बदलाव किया है. मंगलवार को डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक विकास कुमार ने जानकारी देते हुए कहा, यहां अब मेट्रो लाइट कॉरिडोर की जगह सामान्य मेट्रो कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है. इस प्रस्ताव को अगर स्वीकृति मिलती है तो इस कॉरिडोर पर गुरुग्राम की रैपिड रेल की तरह तीन कोच की मेट्रो चलेगी. कीर्ति नगर से बामनौली के बीच मेट्रो लाइट कॉरिडोर बनाने की योजना भी ठंडे बस्ते में डाल दी गई है. इसलिए अब दिल्ली में मेट्रो लाइट नहीं चलेगी.


तीन कॉरिडोर का होगा निर्माण
बता दें कि फेज चार में दिल्ली में छह मेट्रो कॉरिडोर का निर्माण होना है. मौजूदा समय में तीन प्रमुख कॉरिडोर का निर्माण चल रहा है, जिसमें जनकपुरी पश्चिम-आरके आश्रम, तुगलकाबाद-एरोसिटी और मजलिस पार्क-शिव विहार कॉरिडोर शामिल हैं. इस परियोजना पर 24,948.65 करोड़ रुपये खर्च होगा. इसके अलावा अन्य तीन कॉरिडोर की परियोजनाएं अभी लंबित हैं. इसमें नरेला-रिठाला (22.9 किलोमीटर), इंद्रलोक इंद्रप्रस्थ (12.38 किलोमीटर) और लाजपत नगर-साकेत जी ब्लाक (8.38 किलोमीटर) का कॉरिडोर शामिल है. वहीं इन तीनों कॉरिडोर की लंबाई 43.66 किलोमीटर होगी.


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बवाना-नरेला में सरकार की परियोजनाएं
विकास कुमार ने आगे कहा कि दिल्ली सरकार ने शुरुआत में रिठाला से नरेला के बीच भी सामान्य मेट्रो कॉरिडोर बनाने की योजना को मंजूरी दी थी. लेकिन बाद में केंद्र की सिफारिश पर मेट्रो लाइट कॉरिडोर बनाने का फैसला लिया गया. कम आबादी वाले इलाकों के लिए मेट्रो लाइट ज्यादा अच्छी सुविधा साबित होती है. इसके बाद यह तथ्य सामने आया कि आने वाले समय में बवाना और नरेला के आसपास दिल्ली सरकार की बड़ी परियोजनाएं आने वाली हैं. इसलिए मेट्रो लाइट दिल्ली में आवागमन की जरूरतें पूरी करने के लिए ज्यादा उपयुक्त नहीं है. इसके मद्देनजर अब सामान्य मेट्रो कॉरिडोर बनाने के लिए केंद्र सरकार सिफारिश की गई है. 


सामान्य मेट्रों से कम आता है खर्च
मेट्रो लाइट के निर्माण में सामान्य मेट्रो कारिडोर की तुलना में महज एक चौथाई खर्च आता है. रिठाला-नरेला मेट्रो लाइट का निर्माण 2914 करोड़ में होना था. यह कारिडोर सड़क के समानांतर जमीन पर बनना था, स्टेशन भी बस स्टैंड की तरह छोटे बनाए जाने थे. मेट्रो लाइट में छोटे-छोटे तीन कोच होते हैं, जिसमें 300 400 यात्री सफर कर पाते हैं, जबकि सामान्य मेट्रो के एक कोच में करीब 350 यात्री सफर कर सकते हैं. इसलिए तीन कोच की मेट्रो में करीब एक हजार यात्री सफर कर सकेंगे.


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