Mobile Tower Installation: दिल्ली में अब कहीं भी लग सकता है मोबाइल टावर, जान लें क्या हैं नियम?
Mobile Tower: एमसीडी पॉलिसी के मुताबिक, मोबाइल कंपनियां पार्क, पार्किंग, मार्केट, रोड साइड, खाली स्थानों, कम्युनिटी हॉल और रिहायशी इलाकों में बने मकानों को छतों पर मोबाइल टावर लगा सकती हैं.
Mobile Tower Installation: दिल्ली में मोबाइल टावर लगवाना अब आसान हो सकता है, क्योंकि टावर लगवाने के नियमों में ढील दी गई है. दिल्ली में मोबाइल टावर लगाने के लिए एमसीडी ने साल 2020 में नई पॉलिसी बनाई थी. नई पॉलिसी के मुताबिक, सभी जगहों पर मोबाइल टावर लगाने की छूट है. लेकिन, इसके लिए मोबाइल टावर ऑपरेटर्स को दूर संचार विभाग में रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है. इसके अलावा दूर संचार विभाग से रेडिएशन क्लियरेंस सर्टिफिकेट मिलने के बाद ही एमसीडी टावर लगाने का लाइसेंस जारी करती है.
पार्क-रोड साइड भी लग सकता है टावर
एमसीडी पॉलिसी के मुताबिक, मोबाइल कंपनियां पार्क, पार्किंग, मार्केट, रोड साइड, खाली स्थानों, कम्युनिटी हॉल और रिहायशी इलाकों में बने मकानों को छतों पर मोबाइल टावर लगा सकती हैं. बता दें कि ग्राउंड बेस्ड मोबाइल टावर लगाने के लिए अधिकतम 50 वर्ग मीटर जमीन की जरूरत होती है, जिसकी चौड़ाई 8 मीटर होनी चाहिए. लेकिन, छतों पर मोबाइल टावर लगाने के लिए इतने एरिया की जरूरत नहीं होती है. इसके अलावा मोबाइल टावर लगाने वाली प्राइवेट कंपनियों को आईआईटी रुड़की या रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकनॉमिक्स सर्विस जैसे संस्थानों से सेफ्टी के लिए स्ट्रक्चरल सर्टिफिकेट के लाइसेंस लेते समय जमा कराना होता है.
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क्लियरेंस लेना जरुरी
वहीं मोबाइल टावर अगर ऐतिहासिक जगहों के आसपास लगाना है, तो एएसआई की एनओसी और एयरपोर्ट के पास टावर लगाना है तो एयरपोर्ट ऑथारिटी ऑफ इंडिया से भी एनओसी लेनी जरूरी होती है. मोबाइल टावर लगाने वाली कंपनियों को एमसीडी से लाइसेंस लेने से पहले दूर संचार विभाग में रजिस्ट्रेशन करना जरूरी है. इसके बाद विभाग से उन्हें रेडिएशन क्लियरेंस सर्टिफिकेट भी लेना जरूरी है. ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मोबाइल टावर रेडिएशन से लोगों को कोई खतरा नहीं है. क्लियरेंस मिलने के बाद ही एमसीडी से लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकता है.