Satyendra Jain News: सत्येंद्र जैन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ED को जारी किया नोटिस, जानें क्या है पूरा मामला
मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रमुख जिला और सत्र न्यायाधीश विनय कुमार गुप्ता ने आदेश देते हुए विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल की कोर्ट से मामले को विशेष न्यायाधीश विकास ढुल के कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था.
Money Laundering Case: दिल्ली सरकार में मंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता सत्येंद्र जैन (Satyendra Jain) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को नोटिस जारी किया है. दरअसल, सत्येंद्र जैन ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर निचली अदालत के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसके तहत मनी लॉन्ड्रिंग का केस दूसरी अदालत में स्थानांतरित किया जा रहा था. लेकिन, दिल्ली हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था.
इसके बाद सत्येंद्र जैन ने सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए ईडी से जवाब तलब किया है. इस केस की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को है. आपको बता दें, सत्येंद्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग मामले के आरोप में ईडी की रडार पर हैं.
निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में दी थी चुनौती
गौरतलब है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने बीते सप्ताह जैन की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग केस के ट्रांसफर को लेकर निचली अदालत के आदेश के खिलाफ आवाज उठाई थी. यह सुनवाई जस्टिस योगेश खन्ना की अदालत में हुई थी. याचिका के जरिए सत्येंद्र जैन का कहना था कि 23 सितंबर 2022 को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने मनी लॉन्ड्रिंग केस क एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट में ट्रांसफर करने कै फैसला लिया है और जैन इस फैसले के खिलाफ हैं. सुनवाई में जस्टिस खन्ना ने कहा था कि सवाल उस जज की ईमानदारी का नहीं है, जिसके पास मामला ट्रांसफर किया गया था, बल्कि विरोधी पक्ष (ईडी) के मन में आई आशंका का है.
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दिल्ली हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप से किया था इनकार
सत्येंद्र जैन ने प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के मामले को ट्रांसफर करने के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. जस्टिस खन्ना ने सुनवाई के दौरान कहा कि फैक्ट्स से यह पता लगता है कि प्रवर्तन निदेशालय ने न केवल पूर्वाग्रह की आशंका को बरकरार रखा, बल्कि हाई कोर्ट के पास आकर इसपर एक्ट भी किया. इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि ईडी का शक कमजोर या तर्कहीन है.
कोर्ट ने कहा था कि जिला जज ने केस ट्रांसफर का फैसले लेने से पहले सभी पहलुओं पर विचार किया है. इसलिए इस फैसले में हाई कोर्ट के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है. जानकारी के लिए बता दें कि बीती 28 सितंबर को सत्येंद्र जैन ने कोर्ट में कहा था कि ईडी देश पर राज कर रही है और इसलिए न्यापालिका को न्यायाधीश की रक्षा के लिए खड़ा होना पड़ता है.
मामला पूर्व नियोजित होने की आशंका
ईडी का कहना था कि क्योंकि सत्यंद्र जैन क पास पहले स्वास्थ्य और जेल विभाग की जिम्मेदारी थी, इसलिए ऐसा हो सकता है कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में डॉक्टरों और जेल अधिकारियों की तरफ से पक्षपात की स्थिति बनी हो. वहीं, सुनवाई के दैरान सीनियर एडवोकेट राहुल महरा ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि जज की ओर से पक्षपात करने का कोई मोटिव या तथ्य नहीं हैं. ईडी की ट्रांसफर वाली एप्लीकेशन का हवाला देते हुए एडवोकेट राहुल मेहरा ने कहा कि एजेंसी कोई आरोप नहीं लगा रही है, हालांकि, इस बात की पूरी संभावना है कि यह मामला पूर्व नियोजित था.
ED ने किया था यह दावा
जानकारी के लिए बता दें कि बीती 6 जून को ईडी ने दावा किया था कि एजेंसी ने 2.85 करोड़ कैश और सोने के 133 सिक्के (जिनका वजन 1.80 किलोग्राम है) सत्येंद्र जैन के करीबी के यहां से बरामद किए हैं. यह बरामदगी दिल्ली और एनसीआर में पूरे दिन चली छापेमारी के दौरान की गई.
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