Mother's Day: जन्म के समय टूटी बच्चे की गर्दन, मां ने हड्डी दान कर दी नई जिंदगी, पढ़ें दिल छू लेने वाली खबर
Delhi News: उत्तर प्रदेश के मेरठ की रहने वाली एक महिला(33) ने अपने कूल्हे की हड्डी का हिस्सा दान कर गर्दन के रीढ़ की हड्डी के फ्रैक्चर से पीड़ित अपने नवजात बच्चे को जिंदगी दी।
![Mother's Day: जन्म के समय टूटी बच्चे की गर्दन, मां ने हड्डी दान कर दी नई जिंदगी, पढ़ें दिल छू लेने वाली खबर Mother's Day aiims mother save son by donates bone to him for spine in neck surgery in Delhi ann Mother's Day: जन्म के समय टूटी बच्चे की गर्दन, मां ने हड्डी दान कर दी नई जिंदगी, पढ़ें दिल छू लेने वाली खबर](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/05/14/0c18e4c7763ea517dcac4f051fb770d41684082581967694_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Delhi News: "मां" एक शब्द ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया होती है. मां की ममता-प्यार से बढ़ कर इस दुनिया मे कुछ हो नहीं सकता है. वो मां ही है. जो एक जीवन को इस दुनिया में लाती है और फिर उस नन्ही सी जान को पाल-पोस कर इस काबिल बनाती है कि वो दुनिया में अपना एक मुकाम बना सके. मां को चंद शब्दों में परिभाषित नहीं किया जा सकता है. फिर भी अगर मां क्या होती है ये बताना हो तो कोई भी बेझिझक ये कह सकता है कि भगवान हर जगह नहीं हो सकते हैं.इसलिए उन्होंने मां को बनाया जिससे बच्चा उनकी छत्र-छाया के सुरक्षित रह सके और उसे भरपूर ममता व प्यार मिल सके.
इन शब्दों को पूरी तरह से चरितार्थ करने वाला एक उदाहरण आज हम आपसे 'मदर्स डे' के दिन साझा कर रहे हैं, जिसमें एक मां ने जन्म के समय शिशु की टूटी गर्दन को अपनी अस्थि दे कर एक नई जिंदगी दी.
बच्चे का एक हाथ और दोनों पैर काम नहीं कर रहे थे
दरअसल, एक साढ़े पांच महीने के शिशु को जून 2022 में इलाज के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में लाया गया था. जिसके गर्दन में गंभीर चोट लगने के कारण उसका एक हाथ और दोनों पैर काम नहीं कर रहे थे. बच्चे की मां से बात करने पर पता चला कि इस बच्चे का जन्म किसी और अस्पताल में साढ़े चार किलो वजन के साथ हुआ था.
मदर बोन ग्राफ्ट के साथ मेटल फ्री स्पाइन फिक्सेशन सर्जरी
यह केस एम्स के न्यूरो सर्जन डॉ दीपक गुप्ता को सौंपा गया जिन्होंने शिशु में मदर बोन ग्राफ्ट के साथ मेटल फ्री स्पाइन फिक्सेशन सर्जरी को सफलतापूर्वक संपन्न किया. इसके साथ ही एम्स 6 महीने के एमसीएच (पुरुष बच्चे) की सफल मेटल फ्री स्पाइन फिक्सेशन सफल सर्जरी करने वाला देश का पहला अस्पताल बन गया.
15 घंटे चली रीढ़ की सर्जरी
ऐसे शिशुओं में कार्टिलाजिनस हड्डियों के बहुत छोटे आकार के होने के कारण धातु (मेटल) के प्रत्यारोपण करके उनकी रीढ़ को ठीक करना लगभग असंभव है. बच्चे की जान सांसत में देखकर मां अपनी इलियाक क्रेस्ट बोन (कमर से नीचे कूल्हे पर हाथ रखकर खड़े वाली जगह की हड्डी) का हिस्सा अपने बच्चे को देने के लिए तैयार हो गई. बच्चे और मां दोनों की सर्जरी एक साथ और करीब 15 घंटे तक चली.
मेटल फ्री सर्जरी
डॉक्टरों ने बच्चे की रीढ़ (सर्वाइकल स्पाइन कॉर्ड डीकप्रेसन और 360 डिग्री फ्यूजन) के फ्यूजन के लिए फ्री मदर इलियाक क्रेस्ट ग्राफ्ट का एक हिस्सा लेकर 2.5 मिमी पीएलएलए प्लेट्स के साथ फिक्स किया. रीढ़ की हड्डी और गर्दन की गति को बनाए रखने और शरीर विकास के लिए रीढ़ की हड्डी के पीछे सिवनी सर्जरी टेप (पॉलीस्टीरिन पॉलीथीन ब्रेडेड सिवनी) का इस्तेमाल किया.
मां-बेटा दोनों का ब्लड ग्रुप था अलग-अलग
डॉ गुप्ता ने बताया कि दिलचस्प बात यह है कि इस मामले में मां का ब्लड ग्रुप बी जबकि बच्चे का ब्लड ग्रुप ए था. बोन ग्राफ्ट की कोई अस्वीकृति नहीं थी और 1 साल के फॉलोअप में, बच्चे में अच्छा बोनी फ्यूजन और रीढ़ की स्थिरता हासिल की गई है. ऐसे शिशुओं में स्पाइन फिक्सेशन सर्जरी भारत में अब तक न तो कभी रिपोर्ट की गई है और न ही देखी गई है.
अस्पताल में ही मना बच्चे का पहला जन्मदिन
बच्चे ने अपना पहला जन्मदिन दिसंबर 2022 में जेपीएनएटीसी (एम्स) में मनाया. यह बच्चा 11 महीने तक ट्रॉमा सेंटर के टीसी5 वार्ड में वेंटिलेटरी सपोर्ट पर था और न्यूरो रिहैबिलिटेशन सपोर्ट से गुजर रहा था. न्यूरो सर्जरी, न्यूरो एनेस्थीसिया, पीडियाट्रिक्स और ट्रॉमा सर्जरी विभाग के डॉक्टरों की टीम ने बच्चे की देखभाल की. इस दौरान 11 महीनों तक अस्पताल में शिशु के वेंटिलेटरी सपोर्ट पर रहने के दौरान मां अपने दूध से शिशु का जीवन सींचती रही.
11 महीने बाद बच्चे को मिला डिस्चार्ज
फिलहाल बच्चे को ठीक होने और छाती के संक्रमण से बचने के लिए अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है. जेपीएन एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में 11 महीने तक अस्पताल में रहने के दौरान, अस्पताल के विभिन्न डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ ने बच्चे और माता-पिता को लगातार सहायता प्रदान की.
एम्स ने हासिल की बड़ी उपलब्धि
यह बड़ी उपलब्धि डॉ दीपक गुप्ता के नाम रही. शिशु की जटिल सर्जरी डॉ. दीपक गुप्ता, प्रोफेसर न्यूरोसर्जरी (जेपीएनएटीसी) के नेतृत्व में संपन्न हुई. डॉ जीपी सिंह, प्रोफेसर न्यूरो एनेस्थीसिया, डॉ. अशोक जरयाल, न्यूरोफिजियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. शेफाली गुलाटी, डॉ. राकेश लोदा और डॉ. झुमा शंक बाल रोग विभाग के डॉ. सुबोध गर्ग, जनरल सर्जरी, नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिक स्टाफ न्यूरो रिहैबिलेशन और फिजियोथेरेपी टीम समेत सभी ने अपना योगदान दिया.
ये भी पढ़ें: Delhi News: 12वीं का रिजल्ट आने के बाद घर से निकली छात्रा का नाले में मिला शव, एक विषय में हुई थी फेल
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![शिवाजी सरकार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/5635d32963c9cc7c53a3f715fa284487.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)