Delhi News: दिल्ली के प्रतिष्ठित सर गंगा राम अस्पताल में एमपी के शिवपुरी के रहने वाले राजेश (48) को किडनी के प्रत्यारोपण के लिए उस वक्त भर्ती कराया गया था, जब डॉक्टरों के पास प्रत्यारोपण के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था. क्योंकि राजेश पिछले 5 वर्षों से लगातार डायलिसिस कराते आ रहे थे. हाई ब्लड प्रेशर की वजह से उनकी किडनी पर बुरा असर पड़ा था. जब राजेश और उनके परीजन डायलिसिस की प्रक्रिया से थक गए तो उन्होंने सर गंगा राम अस्पताल का रुख किया, ताकि उनकी किडनी का प्रत्यारोपण हो सके.
सर गंगा राम अस्पताल के नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट के चेयरमैन एंड हेड डॉ. एके भल्ला के मुताबिक राजेश की हालत जैसी थी, ऐसे में प्रत्यारोपण की एक मात्र विकल्प नजर आ रहा था, लेकिन दानकर्ताओं की कमी के कारण इसके लिए हमेशा से ही मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता है.
ऐसे में डोनर नहीं मिल पाने के कारण, राजेश के 70 वर्षीय पिता राम सिंह ने अपनी किडनी बेटे को दान करने का निर्णय लिया. हालांकि, वे अपनी उम्र और सर्जरी के दौरान होने वाली पीड़ा से भली-भांति वाकिफ थे, बावजूद उन्होंने अपने बेटे को फिर से सामान्य जीवन जीते देखने की लालसा के कारण, निस्वार्थ भाव से अपने बेटे के जीवन को बचाने के लिए प्रत्यारोपण प्रक्रिया से गुजरने का फैसला किया.
दान लेने से पहले ही हो गयी राजेश की मौत
डॉक्टरों ने भी उनके इस फैसले का सम्मान करते हुए सर्जरी की प्रक्रिया की तैयारी शुरू की और 8 मार्च 2024 को सर्जरी कर किडनी प्रत्यारोपण का दिन तय किया गया. लेकिन भाग्य को शायद कुछ और ही मंजूर था. नियोजित प्रक्रिया से कुछ ही दिन पहले, हाई ब्लड प्रेशर के कारण, उन्हें गंभीर मस्तिष्क आघात हुआ.
चिकित्सा मूल्यांकन में बाएं मस्तिष्क में पर्याप्त इंट्राक्रेनील रक्तस्त्राव का पता चला. मस्तिष्क में ब्लड क्लॉट कर जाने के कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका और 13 मार्च को उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया. जहां लग रहा था कि अब सबकुछ ठीक हो जाएगा ऐसे में राजेश के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा.
हार्ट और लीवर को दान के लिए पाया गया उपयुक्त
लेकिन इस भारी दुख और कठिन घड़ी के बीच राजेश के पिता राम सिंह और राजेश की पत्नी नलिनी, जो अब तक राजेश के लिए किडनी दाता की तलाश में थे, उन्होंने अदम्य साहस का परिचय देते हुए राजेश के अंगों को दान करने का फैसला लिया. उनकी इच्छा के अनुसार डॉक्टरों ने राजेश के अंगों को दान करने की तुरंत व्यवस्था की. मूल्यांकन के बाद, उनके हार्ट और लीवर को दान के लिए उपयुक्त माना गया.
चेन्नई में ओमान के मरीज में हुआ प्रत्यारोपित
हृदय प्रत्यारोपण के लिए 3 घंटे की संकीर्ण खिड़की को देखते हुए, दिल्ली यातायात पुलिस की सहायता से सर गंगा राम अस्पताल से इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे तक एक ग्रीन कॉरिडोर बना कर चार्टर्ड विमान से राजेश के हृदय को चेन्नई के एमजीएम अस्पताल भेजा गया. जहां निर्धारित समय के भीतर ओमान के एक मरीज को उनका हृदय प्रत्यारोपित कर उन्हें एक नई जिंदगी दी गई. राजेश शारीरिक रूप से भले ही मृत हो गए, लेकिन उनका दिल ओमान के एक परिवार के बीच धड़कता रहेगा.
2022 से इंतजार कर रहे मरीज को मिली नई जिंदगी
वहीं, राजेश का लीवर उस मरीज में प्रत्यारोपित किया गया जो 2022 से लीवर सिरोसिस से जूझ रहा था. जिसकी वजह से उन्हें हर हफ्ते टैपिंग करानी होती थी. डॉ. उषास्त धीर ने उनका लीवर ट्रांसप्लांट किया. इस तरह से राजेश और उनके परिजनो ने दो लोगों को नई जिंदगियां दीं.
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