Namo Bharat Trains: दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर नमो भारत ट्रेनों को शुरुआत के बाद से इसकी लोकप्रियता में लगातार इजाफा होता जा रहा है, जिसे और बढ़ाने और आरआरटीएस स्टेशन के साथ नमो भारत ट्रेनों में सुविधाओं को बेहतर बनाने में NCRTC निरंतर प्रयासरत है.


इसी कड़ी में एनसीआरटीसी, नमो भारत ट्रेनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आरआरटीएस स्टेशनों पर पार्किंग प्लेस को विकसित कर रहा है. पूरे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर विकसित किए जा रहे पार्किंग सुविधाओं में 8000 से अधिक वाहन पार्क किए जा सकेंगे. 


इससे सार्वजनिक वाहनों के इस्तेमाल के चलन को बढ़ावा मिलेगा और इससे न केवल दिल्ली-मेरठ मार्ग पर निजी वाहनों का भार काफी कम होगा, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं को भी रोका जा सकेगा और वायु प्रदूषण को कम करने में भी काफी मदद मिलेगी.


सार्वजनिक परिवहन में हिस्सेदारी 37% से बढ़कर 63% होगी
अनुमान है कि पूरे दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर के कार्यान्वयन से सार्वजनिक परिवहन की हिस्सेदारी मौजूदा 37% से बढ़कर 63% हो जाएगी. एनसीआरटीसी यात्रियों को लास्ट माइल कनेक्टिविटी के विभिन्न विकल्प प्रदान करने पर भी काम कर रहा है और सभी 25 स्टेशनों पर विभिन्न प्रकार की फीडर सेवाएं प्रदान करने के लिए हाल ही में रुचि की अभिव्यक्ति आमंत्रित की गई है. पूरे कॉरिडोर की पार्किंग सुविधाओं में संभवतः 1,600 से अधिक कारें और 6,500 से अधिक दोपहिया वाहन होंगे.


मुफ्त पहले 10 मिनट के बाद यह शुल्क लागू
वर्तमान में, पिक एंड ड्रॉप के लिए आने वाले यात्रियों के लिए कोई पार्किंग शुल्क नहीं है, क्योंकि वे पहले 10 मिनट के लिए अपने वाहन मुफ्त में पार्क कर सकते हैं. इसके बाद, एक शुल्क संरचना लागू होगी, जो 6 घंटे तक के लिए, साइकिल के लिए 5 रुपये, दोपहिया वाहनों के लिए 10 रुपये और कारों के लिए 25 रुपये है. वहीं,  6 से 12 घंटे के लिए साइकिल के लिए 5 रुपये, दोपहिया वाहनों के लिए 25 रुपये और कारों के लिए 50 रुपये और 12 घंटे के बाद RRTS संचालन के घंटों के अंत तक, साइकिल के लिए 10 रुपये, दोपहिया वाहनों के लिए 30 रुपये और कारों के लिए 100 रुपये है. गैर-संचालन घंटों के दौरान रात की पार्किंग के लिए साइकिल के लिए 20 रुपये, दोपहिया वाहनों के लिए 60 रुपये और कारों के लिए 200 रुपये खर्च होंगे.


मेरठ के बाद सराय काले खां में बन रही दूसरी बड़ी पार्किंग
बता दें कि, दिल्ली से मेरठ तक पूरे RRTS कॉरिडोर पर 25 स्टेशन हैं. इन स्टेशनों पर अपेक्षित यात्रियों को ध्यान में रखते हुए पार्किंग स्थल विकसित किए जा रहे हैं. सबसे बड़ी पार्किंग मेरठ साउथ स्टेशन पर है जहां लगभग 300 कारें और 900 दोपहिया वाहन पार्क किए जा सकते हैं. दूसरी बड़ी पार्किंग दिल्ली के सराय काले खां स्टेशन पर विकसित की जा रही है, जहां लगभग 275 कारें और 900 दोपहिया वाहन पार्क किए जा सकते हैं. इन पार्किंग स्थलों में सुविधा, स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने सक्षम लास्ट माइल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन भी स्थापित किए जा रहे हैं.


आरआरटीएस स्टेशन पर फ्री पिक एंड ड्रॉप
वर्तमान में इस कॉरिडोर का 34 किलोमीटर का हिस्सा कार्यरत है, जिसमें 8 आरआरटीएस स्टेशन हैं, जहां यात्रियों को पार्किंग की सुविधा भी दी जा रही है. इन पार्किंग में ऑटो रिक्शा पार्क करने की सुविधा भी उपलब्ध है. वहीं, स्टेशनों पर पिक-अप और ड्रॉप-ऑफ सुविधाओं के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं. स्टेशनों को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि मुख्य सड़क से आने वाले वाहन आसानी से यात्रियों को पिक और ड्रॉप कर सकें. इसके साथ ही दिव्यांग यात्रियों की आवाजाही को ध्यान में रखते हुए उनके वाहनों की पार्किंग के लिए अलग से जगह निर्धारित की गई है और स्टेशन में आसानी से प्रवेश के लिए रैंप भी बनाए गए हैं, ताकि आसानी से नमो भारत ट्रेन पर सवार हो सकें.


पार्किंग क्षेत्रों में बैटरी स्वैपिंग स्टेशन स्थापित करने की भी योजना
एनसीआरटीसी अपने पार्किंग क्षेत्रों में यात्रियों और लास्ट माइल सर्विस प्रोवाइडरों की सुविधा के लिए बैटरी स्वैपिंग स्टेशन स्थापित करने की भी योजना बना रहा है. यह पहल यात्रियों के लिए किफायती लागत पर परिवहन के टिकाऊ साधनों को बढ़ावा देगी. बैटरी स्वैपिंग स्टेशन से न केवल इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि लोगों के लिए लास्ट माइल कनेक्टिविटी की सुविधा को भी बढ़ाएगा.


आरआरटीएस स्टेशनों से दूर रहने वाले यात्री बिना किसी परेशानी के आरआरटीएस स्टेशनों तक आसानी से पहुंच सकें और ज्यादा से ज्यादा लोगों को पार्किंग की सुविधा के साथ लास्ट माइल कनेक्टिविटी के विकल्प मिल सकें इसके लिए एनसीआरटीसी शुरू से ही प्रयासरत है और आरआरटीएस स्टेशनों पर इन सुविधाओं को मुहैया कराने में काफी अहम भूमिका निभा रहा है. एनसीआरटीसी के मुताबिक, इन सुविधाओं से ज़्यादा सुविधाजनक और अनुकूल परिवहन व्यवस्था बनेगी, जिससे न सिर्फ़ प्रदूषण कम होगा बल्कि लोगों की जिंदगी भी बेहतर होगी.


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