Delhi Pollution: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के लिए आसपास के राज्यों में पराली जलाने को अक्सर दोषी ठहराया जाता है, लेकिन छोटे, स्थानीय स्रोतों, जैसे कि बगीचे के कचरे या नगरपालिका के कचरे को जलाने के बारे में बहुत कम बात की जाती है, जो बड़ी समस्या बनता है. एक बगीचे के कचरे को जलाने और सड़क के किनारे कार्डबोर्ड जलाने वाला कोई भी हो सकता है, ये सब दिल्ली-एनसीआर में पहले से ही बदतर वायु प्रदूषण की स्थिति को और बड़ा देता है.


विक्रांत तोंगड़ ने की लोगों से अपील


पर्यावरण संरक्षणवादी विक्रांत तोंगड़ ने लोगों से ट्विटर पर उन्हें और उनके संगठन को हैशटैग सेल्फीविदपॉल्यूशन के साथ प्रदूषण स्थल की तस्वीर के साथ टैग करने की अपील की है. सोशल एक्शन फॉर फॉरेस्ट एंड एनवायरनमेंट के संस्थापक सदस्य तोंगड ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण, दिल्ली उच्च न्यायालय और यहां तक कि सर्वोच्च न्यायालय से विभिन्न पर्यावरण/संरक्षण संबंधी दो दर्जन से अधिक आदेश/निर्णय प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. कानूनी हस्तक्षेपों के माध्यम से लगभग एक दशक की पर्यावरणीय सक्रियता के परिणामस्वरूप अधिकारियों ने उनकी बात को गंभीरता से लिया है.


सिर्फ अधिकारी नहीं है जिम्मेदार


तोंगड ने आईएएनएस से कहा कि ज्यादातर आम लोग या तो ये नहीं जानते हैं कि वास्तव में किससे संपर्क करना है या अगर वो जानते हैं और संपर्क नहीं करते हैं. अधिकारी पर्याप्त रूप से इन सबके उत्तरदायी नहीं हैं.


दिल्ली-एनसीआर पर रहेगी नजर


उन्होंने बुधवार शाम को अपील की थी, इसलिए आधा दर्जन लोगों ने पहले ही उन्हें टैग किया है कि वो कूड़ा जलाने/धूल प्रदूषण के स्थानीय मामलों की ओर ध्यान आकर्षित करे. तोंगड ने कहा कि वर्तमान में वो केवल दिल्ली-एनसीआर पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, लेकिन यदि आवश्यक होगा, तो उत्तर-पश्चिम भारतीय राज्यों में अभियान को आगे बढ़ा सकते हैं.


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