New Criminal Laws: देशभर में 1 जुलाई से 3 नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं. आईपीसी और सीपीआरपीसी के कानून की छुट्टी हो चुकी है तो उनकी जगह अब भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) लागू किए हैं. इन तीन नए कानूनों के तहत 30 जून की रात 12 बजे के बाद से ही एफआईआर दर्ज होनी शुरू हो गई थी. पहले दिन कई राज्यों में नए कानूनों के तहत मामले दर्ज किए गए.
भारतीय न्याय संहिता के तहत सोमवार को दिल्ली में एक दर्जन से ज्यादा एफआईआर दर्ज की गई. इसमें गोलीबारी की घटना से लेकर जानलेवा दुर्घटना तक शामिल हैं. सूत्रों की मानें तो 30 जून रात 12 बजे तक बाद से दोपहर तक दिल्ली में 100 से ज्यादा एफआईआर दर्ज की गई. हालांकि, दिल्ली पुलिस की तरफ से अभी कोई अधिकारिक घोषणा नहीं की गई है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 300 एफआईआर पहले दिन दर्ज हुई हैं.
सीलमपुर थाने में रात 12 बजे दर्ज की गई पहली एफआईआर
बता दें कि नए आपराधिक कानून के तहत दिल्ली में पहली एफआईआर सीलमपुर थाने में रात 12 बजे दर्ज की गई. वहीं दूसरी एफआईआर कमला मार्किट थाने में रात 12 बज कर 15 मिनट पर दर्ज की गई. पहली एफआईआर के मुताबिक, इसमें बीएनएस धारा 109 (1) के तहत मामल दर्ज किया गया. मामले के मुताबिक इसमें एक शख्स पर दो अज्ञात लोगों ने गोली चलाई थी, जिसमें वह घायल हो गया. वहीं दूसरी एफआईआर कमला मार्किट में दर्ज हुई, जिसमें देर रात पैट्रोलिंग के दौरान पुलिसकर्मी ने देखा एक शख्स रेलवे स्टेशन के पास बीच सड़क पर रेहड़ी लगाकर पानी, गुटखा बेच रहा था, जिससे लोगों को आने जाने में दिक्कत हो रही थी.
कई बार कहने पर भी वो नहीं माना और मजबूरी बताकर चला गया. मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी ने उसका नाम पता पूछकर नए कानून बीएनएस की धारा 285 के तहत एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी.नये कानूनों से एक आधुनिक न्याय प्रणाली स्थापित होगी, जिसमें ‘जीरो एफआईआर', पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना, ‘एसएमएस' (मोबाइल फोन पर संदेश) के जरिये समन भेजने जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम और सभी जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल होंगे.
3 साल में किसी भी पीड़ित को न्याय मिल सकेगा- गृह मंत्रालय
गृह मंत्रालय के मुताबिक, इस बदलाव से एक ऐसी प्रणाली स्थापित होगी, जिससे 3 साल में किसी भी पीड़ित को न्याय मिल सकेगा. ये कानून संसद ने बीते शीतकालीन सत्र में विधेयक के रूप में पारित किए गए थे. ये नए कानून भारत में ब्रिटिश राज से चले आ रहे इंडियन पीनल कोड (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और एविडेंस एक्ट का स्थान ले चुके हैं. नए कानून में बलात्कार के लिए धारा 375 और 376 की जगह धारा 63 होगी. सामूहिक बलात्कार की धारा 70 होगी, हत्या के लिए धारा 302 की जगह धारा 101 होगी.
लोकसभा ने इन तीनों विधेयकों को 20 दिसंबर और राज्यसभा ने 21 दिसंबर को पारित किया था. भारतीय न्याय संहिता की बात की जाए तो इसमें 21 नए अपराधों को जोड़ा गया है. इसमें एक नया अपराध माॅब लिंचिंग का भी है. इसके अलावा 41 विभिन्न अपराधों में सजा को बढ़ाया गया है, 82 अपराधों में जुर्माना वृद्धि की गई है, 25 अपराध ऐसे हैं, जिनमें न्यूनतम सजा है, 6 अपराधों में सामूहिक सेवा को दंड के रूप में स्वीकार किया गया है और 19 धाराओं को निरस्त किया गया है.
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