Delhi Lok Sabha Election 2024: राष्ट्रीय राजधानी की नई दिल्ली लोकसभा सीट, यहां की सभी सात सीटों में सबसे अहम और चर्चित रही है. ये कभी बड़े नेताओं की हॉट सीट भी रही है. यही वजह है कि इस लोकसभा सीट के अस्तित्व में आने के बाद अलग-अलग सियासी दलों के बड़े-बड़े नेताओं ने इस सीट से चुनाव लड़ा. अपने समय के सबसे बड़े सुपरस्टार राजेश खन्ना ने भी इसी सीट से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. हालांकि, उन्हें अपने पहले चुनाव में बीजेपी के बड़े नेता लाल कृष्ण आडवाणी से हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन उस चुनाव के तुरंत बाद हुए उपचुनाव में उन्होंने अपने स्टारडम का जलवा दिखाते हुए जीत हासिल की थी.
नई दिल्ली लोकसभा सीट पर अब तक बीजेपी ने बढ़त बना रखी है और कई चुनावों में कांटे की टक्कर देने के साथ ज्यादातर चुनावों में जीत दर्ज कर इसे अपने गढ़ की तरह बना लिया है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस लोकसभा सीट के अस्तित्व में आने के बाद से कैसा रहा है इसका इतिहास और किसने, कब और कितनी बार यहां से बाजी मारी है.
नई दिल्ली सीट पर चुनाव में 10 बार बीजेपी की जीत
1951 में अस्तित्व में आने के बाद इस लोकसभा सीट के अंदर कुल 10 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का विधानसभा क्षेत्र नई दिल्ली, करोल बाग, पटेल नगर, मोती नगर, दिल्ली कैंट, राजेन्द्र नगर, कस्तूरबा नगर, मालवीय नगर, आर के पुरम और ग्रेटर कैलाश शामिल हैं. 1952 में इस सीट पर हुए पहले चुनाव से लेकर अब तक कुल 19 चुनाव हो चुके हैं, जिसमें से सबसे ज्यादा 10 बार बीजेपी ने इस सीट पर जीत हांसिल की है और कई मौकों पर विपक्षी दलों को कड़ी टक्कर भी दी है.
इस सीट पर हुए अब तक के चुनावों में 4 बार महिला प्रत्याशी ने जीत हासिल की है. इन चार जीत का सेहरा दो महिलाओं के सिर बंधा, जिनमें पहली सुचेता कृपलानी थी, जिन्होंने लगातार पहली और दूसरी लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की. वहीं, 16वीं और 17वीं लोकसभा में बीजेपी की तरफ से मीनाक्षी लेखी दो बार सांसद चुनी गईं.
सुचेता कृपलानी बनी थी पहली सांसद
1952 में किसान मजदूर प्रजा पार्टी की तरफ से सुचेता कृपलानी इस सीट पर जीत हांसिल कर यहां की पहली सांसद बनी. वे 1957 तक इस सीट पर सांसद रहीं. दूसरे लोकसभा चुनाव 1957 में वे कांग्रेस की टिकट पर इसी सीट से सांसद बनीं और 1960 तक सांसद रहीं, जबकि 1961-62 तक भारतीय जनसंघ के बलराज मधोक यहां से सांसद बने.
तीसरी लोकसभा 1962-67 तक कांग्रेस के मेहर चंद खन्ना, चौथी लोकसभा 1967-71 तक बीजेपी के प्रोफेसर मनोहर लाल सोंधी, पांचवी लोकसभा 1971-77 तक कांग्रेस के कृष्ण चंद पंत, छठी लोकसभा 1977-80 तक जनता पार्टी से अटल बिहारी वाजपेयी, सातवीं लोकसभा में 1980-84 तक बीजेपी से अटल बिहारी वाजपेयी, आठवीं लोकसभा 1984-89 तक कांग्रेस के कृष्ण चंद्र पंत, नवीं लोकसभा 1989-91 तक बीजेपी से लाल कृष्ण आडवाणी सांसद रहे.
राजेश खन्ना ने दी थी आडवाणी को कड़ी टक्कर
10वीं लोकसभा 1991-96 के बीच इस सीट पर दो बार चुनाव हुए. बीजेपी की तरफ से इस लोकसभा सीट से दोबारा लाल कृष्ण आडवाणी को चुनावी मैदान में उतारा गया था. जिन्हें मात देने के लिए कांग्रेस ने उस वक़्त के सुपरस्टार राजेश खन्ना को खड़ा किया. अपना पहला चुनाव लड़ रहे राजेश खन्ना ने आडवाणी को कड़ी टक्कर दी थी और महज 1589 वोटों से हारे थे.
चूंकि, आडवाणी ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था, इसलिए उन्होंने नई दिल्ली लोकसभा सीट को छोड़ दिया था. जिस पर 1992 में लोकसभा चुनाव हुए और इसमें सुपरस्टार राजेश खन्ना ने अपनी स्टारडम का परचम लहराते हुए जीत हांसिल की और 1996 तक यहां से सांसद रहे. उसके बाद 11वीं, 12वीं और 13वीं लोकसभा के लिए 1996 से 2004 बीच लगातार तीन बार बीजेपी की तरफ से सांसद बने.
वे एक मात्र हैं, जो लगातर तीन बार इस सीट से सांसद बने. उसके बाद 2004-09 और 2009-14 तक कांग्रेस के अजय माकन ने इस सीट से जीत हांसिल की. इस सीट पर आगे 2014-2019 और 2019-2014 में बीजेपी की तरफ से मीनाक्षी लेखी ने अपना बर्चस्व बनाए रखा.
बीजेपी की राह में रोड़ा बन सकते हैं सोमनाथ भारती
वहीं, इस बार बीजेपी ने फिर से इस सीट पर महिला प्रत्याशी बांसुरी स्वराज को उतारा है. बांसुरी बीजेपी की कद्दावर नेता और मंत्री रहीं सुषमा स्वराज की बेटी हैं. वहीं, बीजेपी के विरुद्ध इंडी गठबंधन के लिए आम आदमी पार्टी के सोमनाथ भारती, जो मालवीय नगर से विधायक हैं को खड़ा किया है.
दोनों ही प्रत्याशी पेशे से सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं. हालांकि, सोमनाथ भारती की तुलना में बांसुरी स्वराज का राजनैतिक कैरियर और अनुभव कम है लेकिन उन्होंने कम समय मे ही अपनी मां सुषमा स्वराज की बेटी होने से अलग अपनी अलग पहचान स्थापित कर ली है. बात करें इस बार के चुनाव की तो इस बार निश्चित ही बीजेपी के लिए इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाना आसान नहीं होने जा रहा है.
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