New Delhi: अब चार नहीं महज दो घंटे में पूरा होगा गुड़गांव से जयपुर के बीच का सफर, 160 किमी की रफ्तार से दौड़ेगी ट्रेन
Gurugram: दिल्ली-जयपुर रेलवे ट्रैक पर ऑटोमैटिक सिग्नलिंग और इंटरलॉकिंग का काम पूरा हो चुका है. सब कुछ सही रहा तो इस ट्रैक पर इस साल के अंत तक 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें दौड़ने लगेंगी.
![New Delhi: अब चार नहीं महज दो घंटे में पूरा होगा गुड़गांव से जयपुर के बीच का सफर, 160 किमी की रफ्तार से दौड़ेगी ट्रेन New Delhi: now passengers will be able to reach Jaipur from Gurugram in 2 hours know how New Delhi: अब चार नहीं महज दो घंटे में पूरा होगा गुड़गांव से जयपुर के बीच का सफर, 160 किमी की रफ्तार से दौड़ेगी ट्रेन](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/08/08/1d2cd846fba0ea77cbcad2e8fd548a2b1659959121409371_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Delhi News: अब दिल्ली से जयपुर आप महज दो घंटे में पहुंच सकेंगे. 'नवभारत टाइम्स' की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली-जयपुर रेलवे ट्रैक पर ऑटोमैटिक सिग्नलिंग और इंटरलॉकिंग का काम पूरा हो चुका है, इसके अलावा जहां पटरी खराब थी उसे भी ठीक कर दिया गया है. हाल ही में गुड़गांव से अलवर के बीच हाईस्पीड ट्रेन का ट्रायल भी किया गया था. सब कुछ सही रहा तो इस ट्रैक पर इस साल के अंत तक 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें दौड़ने लगेंगी. यानी अब गुड़गांव से जयपुर 4 के बजाय 2 घंटे में ही पहुंच जा सकेगा.
अभी अहमदाबाद राजधानी से लगता है सबसे कम समय
वर्तमान समय में यदि आपको जल्द से जल्द गुड़गांव से जयपुर पहुंचना है तो आपको अहमदाबाद राजधानी ट्रेन का टिकट बुक कराना होगा. यह ट्रेन गुड़गांव से जयपुर तक का 276 किमी का सफर पूरा करने में 3 घंटे 12 मिनट का समय लेती है और बाकी ट्रेनें चार से आठ घंटे का समय लेती हैं. ट्रेनों के परिचालन को लेकर उत्तर-पश्चिम रेलवे की तरफ से गतिशक्ति यूनिट भी गठित कर दी गई है, जो स्टेशन पुनर्विकास, यार्ड रिमॉडलिंग, ट्रेन टाइमिंग आदि कार्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने का काम सुनिश्चित करेगी.
क्या होती है ऑटोमैटिक सिग्नलिंग
ऑटोमैटिक सिग्नलिंग यानी एबसोल्यूट प्रणाली. इस प्रणाली का फायदा ये होता है कि 2 स्टेशनों के बीच एक साथ चार से पांच ट्रेनें चलाई जा सकती हैं. इस प्रणाली में एक से डेढ़ किमी के बाद लगातार सिग्नल दिये जाए हैं. इस प्रणाली में जब तक एक ट्रेन अगले स्टेशन को पार न कर ले तब तक उसके पीछे वाले स्टेशन से ट्रेन नहीं चलाई जाती.
रूट की सभी ट्रेनों में लगेंगे एलएचबी कोच
इस रूट की सभी ट्रेनों में आईसीएफ की बजाय एलएचबी कोच लगाए जाएंगे. दरअसल आईसीएफ कोच लोहे के बने होते हैं और इनका भार भी अधिक होता है. इन कोचों में एयर ब्रेक होते हैं और इनकी अधिकतम स्पीड 110 किमी प्रति घंटा होती है, जबकि एलएचबी कोच जर्मन तकनीक से बने होते हैं. ये स्टेनलेस स्टील के बने होते हैं और इनका भार भी कम होता है. इनमें डिस्क ब्रेक लगा होता है और ये अधिकतम 200 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकते हैं. दुर्घटना के बाद ये डिब्बे एक के ऊपर एक नहीं चढ़ते और इनके रखरखाव का खर्च भी कम होता है. ये डिब्बे आईसीएफ की तुलना में बढ़े भी होते हैं.
यह भी पढ़ें:
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)