NEW DELHI CRIME: दिल्ली पुलिस ने ऑक्सीनज कंसेंट्रेटर को लेकर हुई कालाबाजारी के मामले में जो मसौदा चार्जशीट तैयार की है उसमें कहा है कि व्यवसायी नवनीत कालरा और अंतरराष्ट्रीय सिम कंपनी मैट्रिक्स के चार कर्मचारियों समेत इसके सीईओ ने कोरोना काल में कोविड रोगियों को ब्लैक में बेचे गए प्रत्येक ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर से 40 से 42 हजार रुपए का लाभ कमाया था. जल्द ही चार्जसीट के साकेत कोर्ट में दाखिल होने की उम्मीद है.


घटिया क्वालिटी के थे कंसेंट्रेटर
पुलिस ने यह भी आरोप लगाया है कि ये सभी कंसेंट्रेटर घटिया क्वालिटी के थे और कोरोना के उपचार के लिए बेकार थे. बता दें कि पिछले साल दिल्ली पुलिस ने कालरा के तीन रेस्टोरेंट- खान मार्केट स्थित टाउन हॉल और खान चाचा और लोधी कॉलोनी में स्थित नेगे जू के साथ-साथ छतरपुर के मंडी गांव स्थित मैट्रिक्स के गोदाम से 524 कंसेंट्रेटर बरामद किए थे.


जरूरतमंदों को कई गुना ऊंची कीमत पर बेचे गए कंसेंट्रेटर
इस मामले में कालरा और मैट्रिक्स के चार कर्मचारी - मैट्रिक्स सेल्युलर के सीईओ गौरव खन्ना;   बिजनेस हेड गौरव सूरी, सेल्स मैनेजर सतीश सेठी और विक्रांत सिंह और खान चाचा रेस्टोरेंट के मैंनेजर हितेश कुमार को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने आरोप लगाया था कि महामारी में इन्होंने ऑक्सीजन कंसेंट्रेटरों को अत्यधिक कीमतों पर बेचकर मोटा पैसा कमाया. पुलिस ने बताया कि ये सभी इस वक्त जमानत पर बाहर हैं जबकि मैट्रिक्स के मालिक गगन दीप सिंह दुग्गल फरार हैं.


कंपनी का चिकित्सा उपकरण बेचने का कोई रिकॉर्ड नहीं


पुलिस ने अपनी जांच में आरोप लगाया कि दुग्गल के रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के रिकॉर्ड के अनुसार, कंपनी ने न पहले कभी कोई चिकित्सा उपकरण बेचे और न ही उन्हें बेचने की अनुमति थी, उन्होंने केवल महामारी को भुनाने और मोटा लाभ कमाने के लिए ऐसा किया.


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