Delhi News: दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने और उसके बाद केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश लाने के बाद से राजधानी में सियासी बवाल की स्थि​ति है. इस मसले पर शुरू से ही पूर्व केंद्रीय मंत्री ​और दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन सक्रिय हैं. शुक्रवार को उन्होंने एक ट्वीट कर सीएम अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि दिल्ली के सीएम विशेषाधिकार की मांग कर खुद की महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए विशेष हैसियत हासिल करना चाहते हैं. 


सीएम अरविंद कजरीवाल दिल्ली के लिए उन अधिकारों की मांग की जिद पर अड़े हैं, जिसे देश की आजादी के बाद से अभी तक किसी सरकार ने स्वीकार नहीं किया. फिलहाल, मेरे लिए खुशी की बात यह है कि आप नेता अब उन बातों को स्वीकार करने लगे हैं, जिसे उनके सामने पहले ही उठा चुका हूं. उन्होंने कहा कि मैंने, कभी दावा नहीं किया कि शीला दीक्षित जी ने पूर्ण राज्य का दर्जा या विस्तारित अधिकार नहीं मांगा. 



CM जो मांग रहे वो PM दे नहीं सकते


सीएम अरविंद केजरीवाल उस विशेषाधिकार की हैसियत को हासिल करना चाहते हैं, जिसे पाने का प्रयास पूर्व सीएम शीला दीक्षित, मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज ने भी किया था. तत्कालीन प्रधामंत्रियों ने इन सभी से समय-समय पर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने से साफ इनकार कर दिया था. ऐसे में आप के नेता मेरे उस सवाल का जवाब दें जो मैं उनसे पूछ रहा हूं. पहला, क्या केजरीवाल की मांग समर्थन कर वर्तमान केंद्र सरकार पूर्व के कई सम्मानित नेताओं के फैसलों और उनके ज्ञान के खिलाफ नहीं चले जाएंगे. अगर केंद्र का अध्यादेश पास नहीं होता तो अरविंद केजरीवाल एक विशेष हैसियत वाले शख्स के रूप में उभरकर सामने आएंगे. ऐसे में पूर्व के उन मुख्यमंत्रियों का क्या होगा, जो पहले ही दिल्ली के लिए विशेष अधिकार की मांग कर चुके हैं. 


 नई नहीं सीएम केजरीवाल की मांग


अजय माकन ने अपने ट्वीट में इस बात का भी जिक्र किया कि 21 अक्टूबर 1947 को बाबा साहब अम्बेडकर, 1951 और 1956 में पंडित नेहरू और सरदार पटेल, 1964 में लाल बहादुर शास्त्री ने गृह मंत्री के रूप में और 1965 में प्रधान मंत्री के रूप में, 1991 में पीवी नरसिम्हा राव, 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी और 2014 तक पूर्व पीएम मनमोहन सिंह तक ने दिल्ली को वो अधिकार नहीं दिया जो पूर्व के मुख्यमंत्रियों ने उनसे मांगा था. वर्तमान में सीएम अरविंद केजरीवाल भी पीएम नरेंद्र मोदी से वहीं मांग रहे हैं जो पहले के पीएम देने से इनकार कर चुके हैं. 


दिल्ली की आड़ में न साधें खुद की महत्वाकांक्षा


दिल्ली को और अधिक शक्ति नहीं मिलने के बावजूद पूर्व के सभी मुख्यमंत्रियों ने सेवा करने के अपने इरादे के कारण दिल्ली के विकास में सराहनीय काम किया. दुर्भाग्य से केजरीवाल में वो गुण नहीं है पहले के सीएम में था. दिल्ली को और अधिकार मिले की मांग की जिद के पीछे अरविंद केजरीवाल का एकमात्र लक्ष्य अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाना और खुद को सियासी तौर पर मजबूत करना है. 


सहकारी संघवाद का सिद्धांत Delhi पर लागू नहीं होता  


उन्हें इस बात को समझने की जरूरत है कि दिल्ली को पूरे अधिकार नहीं दिए जाने के पीछे कोई न कोई कारण जरूर होगा. कारण यह है कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी का प्रतिनिधित्व करती है. दिल्ली बतौर राजधानी पूरे देश की है. इसलिए सहकारी संघवाद का सिद्धांत यहां लागू नहीं होता. भारतीय संविधान दिल्ली को केवल दिल्ली के रूप में नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के रूप में संदर्भित करता है. 


कमजोरियों को छुपाने के लिए कर रहे ये काम


अजय माकन का कहना है कि यदि आप के अनुयायी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के सार को समझते हैं, तो उन्हें सम्मानपूर्वक अपनी मांगों को वापस लेना चाहिए. सीएम अरविंद केजरीवाल अपनी अक्षमता को छिपाने और भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए और अधिक अधिकार मांगने के बजाय देश की राजधानी को सुधारने पर ध्यान केंद्रित करें, जिसके लिए उन्हें दिल्ली की जनता ने जनादेश दिया है.


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