New Parliament Building: कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात पर सस्पेंस बरकरार, अनिल चौधरी बोले- 'अरविंद केजरीवाल को गलती का एहसास...'
Parliament Building Inauguration: केंद्र द्वारा दिल्ली में लाए गए अध्या
Delhi News: आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश के विरोध में समर्थन के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी नेता राहुल गांधी से मुलाकात का समय मांगा है. लेकिन आलाकमान से मुलाकात पर अभी भी सस्पेंस बरकरार है. इस बीच दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी का एक बयान सामने आया है.
शनिवार को अनिल चौधरी (Anil Chaudhary) ने कहा, 'मुलाकात करेंगे या नहीं, इस पर कांग्रेस आलाकमान फैसला करेगा. जब सभी विपक्षी दल एक साथ थे तो वे भाजपा की प्रशंसा करते रहे. अरविंद केजरीवाल को अपनी गलती का एहसास होना चाहिए. अब स्थिति ऐसी है, अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस आलाकमान से इस अध्यादेश का विरोध करने के लिए समर्थन करने का अनुरोध किया है. अब फैसला पूरी तरह कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पर है.'
'सुविधा की राजनीति करती है कांग्रेस'
इससे पहले AAP के वरिष्ठ नेता और मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली सेवा मामले पर केंद्र के अध्यादेश को लेकर कांग्रेस की दिल्ली इकाई पर 'सुविधा की राजनीति' करने का आरोप लगाया था. भारद्वाज ने कहा था कि एक तरफ जहां कांग्रेस की प्रदेश इकाई दिल्ली सेवा के मुद्दे पर ‘आप’ को समर्थन देने से इंकार कर रही है, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने 2002 में भाजपा शासित केंद्र सरकार के खिलाफ दिल्ली विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया था.
शीला दीक्षित ने पूर्व में केंद्र सरकार के आदेशों की निंदा की थी और कहा था कि यह लोकतांत्रिक परंपराओं का उल्लंघन है. उन्होंने केंद्र के खिलाफ 2002 में दिल्ली विधानसभा में इसी तरह का एक प्रस्ताव पारित किया था, क्योंकि केंद्र ने कहा था कि वे दिल्ली सरकार को मान्यता नहीं देते हैं और दिल्ली में केवल एक ही सरकार हो सकती है. प्रदेश कांग्रेस जो कर रही है, वह सुविधा की राजनीति है और वह भाजपा के लिए काम कर रही है. कांग्रेस के ऐसे नेताओं के बयान आ रहे हैं, जिन्हें पार्टी ने दरकिनार कर दिया है.'
कांग्रेस नेता ने AAP को दिया जवाब
हालांकि कुछ देर बार भारद्वाज के आरोपों पर पलटवार करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने कहा, 'दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ऐसे अद्वितीय विशेषाधिकार प्राप्त करना चाहते हैं, जिनसे पूर्व में शीला दीक्षित, मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज जैसे मुख्यमंत्री वंचित रहे. दिल्ली, राष्ट्रीय राजधानी का प्रतिनिधित्व करती है और यह पूरे देश की है. इसलिए सहकारी संघवाद का सिद्धांत यहां लागू नहीं होता. जैसे, संविधान दिल्ली को केवल दिल्ली के रूप में नहीं, बल्कि ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली’ के रूप में संदर्भित करता है. यदि आम आदमी पार्टी के समर्थक ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र’ के सार को समझते हैं, तो उन्हें सम्मानपूर्वक अपनी मांगों को वापस लेना चाहिए. नेहरू, शास्त्री, नरसिंह राव, वाजपेयी और वर्ष 2014 तक मनमोहन सिंह तक किसी ने भी वह नहीं दिया, जो आम आदमी पार्टी वर्तमान मोदी सरकार से मांग रही है.'
ये भी पढ़ें:- दिल्ली-एनसीआर में फिर मौसम ने ली करवट, तेज आंधी के साथ बारिश, येलो अलर्ट जारी