New Parliament Inauguration: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को देश के नए संसद भवन का उद्घाटन करने जा रहे हैं. हालांकि 19 विपक्षी दलों ने यह आरोप लगाते हुए इस समारोह का बहिष्कार किया है कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराया जाना चाहिए, उन्होंने इसे राष्ट्रपति और संविधान का अपमान बताया है.
इसी बाच आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने राष्ट्रपति द्वारा ही नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर दस कारण गिनाए हैं. उन्होंने बताया है कि आखिर क्यों राष्ट्रपति को ही नए संसद भवन का उद्घाटन करना चाहिए.
राघव चड्ढा ने गिनाई 10 वजहें
- भारत का राष्ट्रपति सर्वोच्च पद पर आसीन होता है.
- संविधान के अनुसार राष्ट्रपति राष्ट्र के प्रमुख हैं.
- हर एग्जीक्यूटिव कार्यवाही राष्ट्रपति के नाम पर की जाती है.
- राष्ट्रपति भारत के प्रथम नागरिक होते हैं, वो भारत की शक्ति, एकता और अखण्डता के प्रतीक हैं.
- राष्ट्रपति और दो सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) से संसद बना हुआ है.
- सारी एग्जीक्यूटिव पावर राष्ट्रपति में निहित होती है. राष्ट्रपति हर वर्ष सत्र के आरम्भ में सदन को सम्बोधित भी करते हैं.
- दोनों सदनों में पास किया हुआ बिल राष्ट्रपति की अनुमति के बिना अधिनियम नहीं बन सकता.
- प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं.
- राष्ट्र का प्रमुख होने की वजह से राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के मुकाबले एक ऊंचे पद पर होते हैं, जबकि प्रधानमंत्री केवल कार्यकारी प्रमुख होते हैं.
- सभी पार्टियां संविधान की रक्षा के लिए राष्ट्रपति की तरफ ही देखती हैं, क्योंकि उन्हीने संविधान की रक्षा की शपथ ली हुई है.
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (द्रमुक), जनता दल (यूनाइटेड), आम आदमी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, झारखंड मुक्ति मोर्चा, नेशनल कांफ्रेंस, केरल कांग्रेस (मणि), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, विदुथलाई चिरुथिगल काट्ची (वीसीके), मारुमलार्ची द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) और राष्ट्रीय लोकदल ने संयुक्त रूप से बहिष्कार की घोषणा की है
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