Ganesh Chaturthi 2022: दिल्ली में यमुना में मूर्ति विसर्जन की इजाजत नहीं, 50 हजार रुपये का लगेगा जुर्माना- DPCC
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने गणेश चतुर्थी से पहले स्पष्ट कर दिया है कि यमुना में मूर्ति विसर्जन की इजाजत नहीं है, ऐसा करने पर जुर्माना वसूला जाएगा.
Ganpati Idol Immersion: दिल्ली ने 2019 से यमुना में सभी मूर्ति विसर्जन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. डीपीसीसी ने अपने निर्देशों में कहा है कि यमुना में मूर्तियों को विसर्जित करने वाले किसी भी उल्लंघनकर्ता को 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा, साथ ही ऐसे प्रावधान भी हो. जिससे छह साल तक की जेल की सजा हो सकती है. 29 अगस्त को DPCC की ओर से एक आदेश जारी कर दिल्ली पुलिस से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है. जिलाधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है कि यमुना या नदी के सार्वजनिक जल निकायों, तालाबों और घाटों में कोई मूर्ति विसर्जन न हो.
पिछले वर्षों की तरह, मूर्ति विसर्जन के लिए केवल मिट्टी और बायोडिग्रेडेबल सामग्री से बनी मूर्तियों की अनुमति है, जबकि पीओपी आधारित मूर्तियों को प्रतिबंधित किया गया है. आदेश में कहा गया है कि दुर्गा पूजा सहित दिल्ली में भी मूर्ति विसर्जन के लिए वही नियम लागू रहेंगे.
स्थानीय निकायों द्वारा चिन्हित स्थानों को छोड़कर यमुना नदी और किसी भी अन्य जल निकायों में किसी भी मूर्ति विसर्जन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. उल्लंघन करने वालों को पर्यावरण मुआवजे के रूप में 50,000 रुपये का भुगतान करना होगा.
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि मूर्तियों के विसर्जन से पहले फूल और सजावटी सामग्री (कागज से बनी) जैसी पूजा सामग्री को हटा दिया जाना चाहिए और निपटान के लिए अलग से एकत्र किया जा सकता है. जहां बायोडिग्रेडेबल सामग्री को रीसाइक्लिंग और कंपोस्टिंग के लिए भेजा जाना है, वहीं गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्री को सैनिटरी लैंडफिल में भेजा जाएगा.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जहां 2015 में यमुना में मूर्ति विसर्जन पर रोक लगा दी थी, वहीं 2019 से राजधानी में इसका पालन हो रहा है.
एनजीटी-आधारित समिति द्वारा 2020 में तैयार की गई एक रिपोर्ट में पाया गया था कि वर्ष 2019 में लगभग 24,000 मूर्तियों को यमुना में विसर्जन करने से रोका गया, जिससे नदी में प्रदूषण कम हुआ.
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