Noida Authority Smog Tower: दिल्ली से सटे नोएडा में 1 अक्टूबर से ग्रेप लागू होने वाला है, इधर दिल्ली एनसीआर में अक्टूबर नवंबर महीने से प्रदूषण भी लोगों को सताने लगता है. इस बीच अब नोएडा में रहने वाले लोगों को प्रदूषण कि समस्या नहीं सताएगी. क्योंकि नोएडा प्राधिकरण कि मानें तो इस साल अक्टूबर के महीने में स्मॉग टावर (Smog Tower) को चालू किया जा सकता है.


दरअसल डीएनडी फ्लाई ओवर और उसके आसपास रहने वाले 14 सेक्टर के लोगों को इस स्मॉग टावर का फायदा होगा. पिछले साल भी इस स्मॉग टावर का इस्तेमाल किया गया था जिससे लोगों को हवा में मौजूद पीएम 2.5 से निजात मिली थी. इस साल एक बार फिर नोएडा अथॉरिटी का एयर पॉल्यूशन कंट्रोल टावर, जिसे डीएनडी फ्लाईओवर पर लगाया है वो अपना काम करने के लिए तैयार है.


नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों कि मानें तो शहर में ग्रेप व्यवस्था लागू होने जा रही है. अगर जरूरत पड़ेगी तो अक्टूबर से ही स्मॉग टावर के इस्तेमाल को शुरू कर दिया जाएगा. दरअसल इसी महीने में पराली जलाने और दिवाली के साथ बाकी त्योहारों पर पटाखे जलाने की वजह से लोगों को प्रदूषण का सामना करना पड़ता है. इसको देखते हुए पहले से टावर को तैयार कर लिया गया है. नोएडा की तरह ही दिल्ली में भी प्रदूषण से लड़ने के लिए कनॉट प्लेस में लगाए गए स्मॉग टावर को भी तैयार किया गया है.


कैसा है नोएडा का स्मॉग टावर


नोएडा में बनाए गए स्मॉग टावर का असर लगभग 14 सेक्टर तक है. वहीं उसके साइज की बात करें तो हवा को साफ करने के लिए इसमें 10 हजार फिल्टर लगाए गए हैं. टावर में लगाए गए ये फिल्टर हवा को छानते है. इसके बाद 40 पंखे फिल्टर से साफ की हुई हवा को बाहर फेंकते है. इस स्मॉग टावर के लगभग एक किलोमीटर तक के क्षेत्र को साफ करने की क्षमता है. इसकी ऊंचाई लगभग 7 फ्लोर जितनी है और 20 मीटर लंबा है. 
 
हवा कैसे होती है फिल्टर


अब आपके मन में सवाल होगा कि आखिर ये स्मॉग टावर हवा को फिल्टर करता कैसे है. दरअसल हवा को फिल्टर करने वाला ये स्मॉग टावर घरों में मौजूद फिल्टर जैसा ही है. ये पहले बाहर की प्रदूषित हवा को अंदर खींचता है उसके बाद टावर के ऊपर बनी चारों केनोपी प्रदूषित हवा को अंदर फिल्टर तक भेजता है. जिसके बाद फिल्टर हवा में से प्रदूषण को खत्म करके साफ हवा बाहर निकालता है. हवा निकालने के लिए टावर में बड़े बड़े पंखे लगाए गए हैं.


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