Noida twin tower News: नोएडा सेक्टर 93A में बने देश के सबसे चर्चित ट्विन टावर को 28 अगस्त दोपहर 2:30 बजे गिरा दिया गया. ट्विन टावर को साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने अवैध घोषित करके गिराने का आदेश दिया था. जिसके बाद लगभग 7 महीने कि तैयारी 2 बार टावर गिराने कि तारीख को आगे बढ़ा कर 28 अगस्त को ट्विन टावर गिराने वाली कम्पनी एडिफिस इंजीनियरिंग ने सिर्फ 12 सेकंड में 32 मंजिला ट्विन टावर को जमींदोज कर दिया.
मलबे से बनाई जा सड़क
ट्विन टावर तो गिरा दिया गया और अब सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट सोसायटी में ट्विन टावर का हजारों टन मलबा बचा हुआ है. ट्विन टावर से निकले मलबे को नोएडा अथॉरिटी सेक्टर 80 में बने सी एंड डी वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में प्रोसेस करेगी, लेकिन एक सवाल अब भी बना हुआ है आखिर मलबे से होगा क्या और इसपर मंथन भी जारी है. इस बीच जिला प्रशासन ने नोएडा अथॉरिटी को एक सुझाव दिया है जिसमे यह बताया गया है कि ट्विन टावर से निकले मलबे का इस्तेमाल करके सड़क बनाई जाए, क्योंकि जितना मलबा इस टावर से निकला है उससे लगभग 10 किलोमीटर जितनी लंबी सड़क बनाई जा सकती है.
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मलबे की छंटनी की गई शुरू
एक ओर जहां जिला प्रशासन ने ट्विन टावर से निकले मलबे से सड़क बनाने की योजना दी है. वहीं दूसरी तरफ फिलहाल एडिफिस एजेंसी ने मलबे की छंटनी शुरू कर दी है. अभी मलबे से पर्दे निकाले जा रहे है. इसको लेकर एजेंसी के प्रॉजेक्ट मैनेजर मयूर मेहता ने बताया कि ट्विन टावर को गिराने से पहले इस पूरी तरह दे ढका गया था. टावर को जियो टेक्सटाइल फाइबर से ढका गया था जिससे धूल का जो गुबार निकले उससे आसपास रहने वाले लोगों को कम नुकसान हो. फिलहाल मलबे में छटनी करके पर्दे निकाले जा रहे हैं. इसके लिए मशीनें मंगा ली गई हैं.
आज से शुरू होगा मलबा भेजना
एडिफिस एजेंसी के मुताबिक आज से ट्विन टावर का मलबा उठना शुरू हो जाएगा, इसे उठा कर ट्रक में भेजा जाएगा. हजारों टन मलबे को नोएडा सेक्टर-80 में बने नोएडा अथॉरिटी के वेस्ट प्लांट भेजा जाएगा. इस प्लांट में मलबे से इंटरलॉकिंग और दूसरी चीजें बनाई जाती है. अनुमान लगाया जा रहा है कि 3 महीने में टि्वन टावर का मलबा हटा लिया जाएगा लेकिन अभी मौके पर क्या बनाया जाएगा इसकी तस्वीर साफ नहीं है. हालांकि टावर के बगल में जो 7 हजार वर्ग मीटर जमीन निकली है वही अथॉरिटी कि ग्रीन बेल्ट की जमीन है जिसका फिर से विकास किया जाएगा. इस मामले में नोएडा अथॉरिटी के अधिकारी बताते है कि टावर वाली जमीन का मालिकाना हक अभी सुपरटेक बिल्डर के पास ही है, लेकिन बिल्डर को अगर सोसायटी में कुछ भी बनाना होगा तो इसकी इजाजत सोसाइटी वालों से लेनी होगी.
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