कोलकाता की सिल्क साड़ियां क्यों हैं दुनिया में मशहूर, नोएडा हाट में बेचने आए कारीगरों से जानें
Noida Haat: रसगुल्ला के अलावा कोलकाता की सिल्क साड़ियों को भी काफी खास माना जाता है. एक साड़ी को बनाने में कम से कम 3 से 4 दिन का समय लगता है.
Noida Haat: बात जब कोलकाता की हो तो सबसे पहले आप रसगुल्ला के बारे में सोचते हैं, लेकिन रसगुल्ला ही नहीं, कोलकाता की सिल्क साड़ियों को भी काफी खास माना जाता है. एक ओर जहां बनारसी सिल्क साड़ियां कतान सिल्क रेशम के ऊपर बनाई जाती है, वहीं कोलकाता में हर राज्य के सिल्क जैसे मोंगा, कतान, मलबरी और कई तरह के सिल्क की साड़ियां बनाई जाती हैं. इन सभी साड़ियों को हाथों से बुनकर कर तैयार किया जाता है और एक साड़ी को बनने में कम से कम 3 से 4 दिन का समय लगता है. सबसे बड़ी बात कोलकाता की सिल्क साड़ी बनाने वाले कारीगर केले के छिलके और बम्बू की लकड़ी के रेशे से भी साड़ी बनाते हैं.
साड़ियों की खासियत
कोलकाता में बनाई गई इन सिल्क साड़ियों को काफी खास माना जाता है. नोएडा में कोलकाता से सिल्क साड़ियों को बेचने आये एक दुकानदार ने बताया कि इन साड़ियों का आम दुकान पर मिलना काफी मुश्किल है. ये सिर्फ स्टेट एम्पोरियम और हैंडीक्राफ्ट मेलों के अलावा और कहीं नहीं मिलती हैं. कोलकाता की सिल्क साड़ियों में कांथा सिल्क साड़ी को खास माना जाता है. यही वजह है कि विश्व भर में इस साड़ी की मांग की है. कोलकाता से नोएडा आए सिल्क साड़ी बनाने वाले कारीगर ने बताया कि एक एक साड़ी शुद्ध रेशम के ऊपर हाथों से बुनकर बनाई जाती है और एक साड़ी बनने में कुल 2 महीने का वक्त लगता है.
नोएडा हाट में साड़ी बेच रहे दुकानदार ने बताया कि खुद अपने घरों में इन साड़ियों को बुनते हैं. वहीं नोएडा हाट जैसे हैंडीक्राफ्ट बाजार में अपनी दुकान लगाने के लिए पहले सरकार से अनुमति लेनी होती है, जिसमें उन्हें अपने क्राफ्ट की जानकारी भी देनी होती है. जिसके बाद उनके क्राफ्ट को मंजूरी मिलने पर हाट में अपनी दुकान लगाते हैं.
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