(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Greater Noida प्राधिकरण के CEO को होगी एक महीने की जेल! 18 साल पुराने मामले में आया फैसला
Greater Noida News: जिला उपभोक्ता फोरम में भूखंड आवंटन को लेकर साल 2001 से चल रहे मामले में शनिवार को फैसला सुनाया गया. जिसमें ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के CEO को एक महीने की सजा सुनाई गई है.
Greater Noida News: एक भूखंड आवंटी और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के बीच चल रहे मुकदमे में ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को एक महीने के कारावास की सजा सुनाई गई है. उनकी गिरफ्तारी का आदेश भी जारी किया गया है. गौतमबुद्ध नगर की पुलिस कमिश्नर को सीईओ की गिरफ्तार के लिए वारंट जारी किया गया है. जिला उपभोक्ता फोरम ने 18 वर्षों से चल रहे मुकदमे में शनिवार को यह आदेश जारी किया हैं.
भूखंड आवंटन का है मामला
जिला उपभोक्ता फोरम से मिली जानकारी के मुताबिक महेश मित्रा नाम के व्यक्ति ने 2001 में भूखंड आवंटन के लिए आवेदन किया था. ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने महेश मित्रा को आवंटन नहीं किया। जिसके खिलाफ उन्होंने वर्ष 2005 में एक मुकदमा जिला उपभोक्ता फोरम में दायर किया था. इस मुकदमे पर 18 दिसंबर 2006 को जिला फोरम ने फैसला सुनाया. जिला फोरम ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को आदेश दिया कि महेश मित्रा को उनकी आवश्यकता के अनुसार 1,000 वर्ग मीटर से 2,500 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल का भूखंड आवंटित किया जाए. जिस पर प्राधिकरण के नियम और शर्तें लागू रहेंगी. इसके अलावा मुकदमे का हर्जा-खर्चा भी भरने का आदेश प्राधिकरण को दिया गया था. अथॉरिटी ने राज्य आयोग का दरवाजा खटखटाया.
राज्य आयोग के फैसले से विकास प्राधिकरण को मिली थी राहत
जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश के खिलाफ विकास प्राधिकरण ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील दायर की. अपील पर 21 दिसंबर 2010 को राज्य आयोग ने फैसला सुनाया. राज्य आयोग ने फैसला दिया कि महेश मित्रा की ओर से प्राधिकरण में जमा किए गए 20,000 की पंजीकरण राशि वापस लौटाई जाएगी। यह धनराशि 6 जनवरी 2001 को जमा की गई थी. उस दिन से लेकर भुगतान की तारीख तक 6 प्रतिशत ब्याज भी चुकाना होगा. राज्य आयोग के इस फैसले से विकास प्राधिकरण को बड़ी राहत मिल गई.
राज्य आयोग के खिलाफ खटखटाया राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग का दरवाजा
राज्य आयोग के इस आदेश के खिलाफ महेश मित्रा ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया. पूरे मामले को सुनने के बाद राष्ट्रीय आयोग ने 30 मई 2014 को अपना फैसला सुनाया. राष्ट्रीय आयोग ने कहा कि मित्रा का पक्ष सही है और राज्य आयोग का फैसला गलत है. जिला उपभोक्ता फोरम ने जो फैसला सुनाया था, वह सही है. हालांकि, जिला उपभोक्ता फोरम के फैसले में राष्ट्रीय आयोग ने मामूली बदलाव किया. राष्ट्रीय आयोग ने अपने फैसले में कहा कि महेश मित्रा को 500 वर्गमीटर से 2,500 वर्गमीटर के बीच का कोई भी प्लॉट आवंटित किया जा सकता है. यह उनकी प्रोजेक्ट रिपोर्ट और आवश्यकता के आधार पर निर्धारित किया जाएगा.
राष्ट्रीय आयोग के फैसले पर ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने अमल नहीं किया. जिसके खिलाफ महेश मित्रा ने एक बार फिर जिला उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया. जिला फोरम ने कई बार ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को राष्ट्रीय आयोग के फैसले का अनुपालन करने के लिए आदेश दिए. अंतत: 14 जुलाई 2017 को जिला फोरम ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के बैंक खाते कुर्क कर लिए. इस एक्शन के खिलाफ प्राधिकरण ने राज्य आयोग में अपील दायर की. राज्य आयोग ने जिला फोरम के आदेश को रद्द कर दिया. जिला फोरम ने 18 अगस्त 2017 को प्राधिकरण के सीईओ को व्यक्तिगत रूप से फोरम के सामने हाजिर होने का आदेश दिया. इस आदेश के खिलाफ भी प्राधिकरण ने राज्य आयोग से निरस्तीकरण आदेश हासिल कर लिया.
मुख्य कार्यपालक अधिकारी को सुनाई एक माह की सजा
जिला उपभोक्ता फोरम ने शनिवार को पारित आदेश में कहा है कि पिछले 9 वर्षों से ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण जिला फोरम और राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेशों को लटका रहा है. जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष अनिल कुमार पुंडीर और सदस्य दयाशंकर पांडे ने पूरे मामले की सुनवाई करते हुए शनिवार को नया आदेश पारित किया है. जिसमें ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को एक महीने की सजा सुनाई गई है. उन पर 2,000 का अर्थदंड लगाया गया है. सीईओ को गिरफ्तार करने के लिए गौतमबुद्ध नगर की पुलिस कमिश्नर को वारंट भेजा गया है. जिला फोरम की ओर से सीईओ को आदेश दिया गया है कि अगले 15 दिनों में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेश का पालन किया जाए.
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