Difference in Carpet and Super Area: नोएडा अथॉरिटी ने एक बड़ा फैसला लिया है, जिससे नोएडा में फ्लैट खरीदने वाले लोगों को बहुत फायदा होगा. दरअसल नोएडा में अब कार्पेट एरिया के हिसाब से फ्लैट की रजिस्ट्री होगी, जो पहले सुपर एरिया के हिसाब से होता था. इस फैसले से लगभग 40 हजार लोगों को स्टांप शुल्क में 20-25 प्रतिशत तक की बचत होगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बिल्डरों की मनमानी रोकने के लिए ये मांग की गई थी. अब यूपी रेरा ने बायर्स की मांग को मानते हुए नोएडा अथॉरिटी को इसे लागू करने का निर्देश दिया है.


ऐसे में आपके मन में ये सवाल उठ रहे होंगे कि आखिर कार्पेट और सुपर एरिया में क्या अंतर है तो आइये हम आपको बताते हैं.


कार्पेट एरिया


कार्पेट एरिया, फ्लैट का वो एरिया होता है, जिसमें आप कार्पेट बिछाकर इस्तेमाल कर सकते हैं. यह फ्लैट के अंदर का खाली जगह होता है. फ्लैट के कार्पेट एरिया में अंदरूनी दीवार की मोटाई, बालकनी, सीढ़ियां और छत शामिल नहीं होती है. कार्पेट एरिया का पता लगाने के लिए फ्लैट के कुल क्षेत्र से दीवार की आंतरिक मोटाई को घटाना पड़ता है.


कार्पेट एरिया को कैलकुलेट करने का तरीका- (बेडरूम का एरिया + लिविंग रूम + बालकनी + शौचालय – भीतरी दीवारों की मोटाई= कार्पेट एरिया)


सुपर एरिया


सुपर एरिया में एंट्रेस लॉबी, कॉरिडोर, सीढ़ियां, लिफ्ट, जनरेटर लॉबी, क्लब हाउस, सिक्योरिटी रूम और अन्य कॉमन एरिया शामिल होते हैं. हालांकि अंडर ग्राउंड संप, वॉटर टैंक, स्वीमिंग पूल, स्पोर्ट्स एरिया, फूलों की क्यारियां और मचान को इसमें शामिल नहीं किया जाता. आमतौर पर सभी बिल्डर्स फ्लैट को सुपर एरिया के आधार पर बेचते हैं.


दोनों में अंतर इस तरह भी समझ सकते हैं- अगर एक फ्लैट का कार्पेट एरिया 1000 स्क्वायर फीट है, जिसकी कीमत 2000 प्रति स्क्वायर फीट है तो फ्लैट की कुल कीमत 20,00,000 रुपये होगी. वहीं बिल्डर सुपर एरिया में 1300 स्क्वायर फीट देगा और फ्लैट की कीमत करीब 1800 प्रति स्क्वायर फीट रखेगा. ऐसी स्थिति में, फ्लैट की कुल कीमत 23.40 लाख रुपये होगी.


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